कलाकारों का मानना : कहीं एआई के नए युग से कलाकारों की क्रिएटिविटी खत्म ना हो जाए
नाट्य लेखक एआई टूल्स से जनरेट कर रहे हैं कहानी का प्लॉट और नए आइडिया
एआई थिएटर में बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं लगता है, क्योंकि कलाकार जितना ज्यादा एआई का उपयोग करेगा, उतनी ही उसकी क्रिएटिविटी कम होती चली जाएगी।
जयपुर। कला के पारंपरिक मंच पर अब तकनीक की आधुनिक आहट सुनाई देने लगी है। रंगमंच, जो अब तक मानवीय संवेदनाओं, जीवंत संवादों और अभिनय के दम पर दर्शकों को बांधता रहा है, वह अब एआई के जरिए एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। वर्तमान में रंगमंच में नाटकों की स्क्रिप्ट और किरदारों के संवाद लेखन से लेकर नाटक में उपयोग होने वाले म्यूजिक तक में एआई की भूमिका लगातार बढ़ती और मददगार साबित होती नजर आ जा रही है। बात की जाए रंगमंच की तो इसमें एआई के फायदे हैं, तो नुकसान भी कम नहीं है। इसके जुड़े कलाकारों का मानना है कि रंगमंच बिल्कुल क्रिएटिविटी का माध्यम होता है, इसमें कोई भी मशीन जुड़ेगी उतनी ही लोगों की क्रिएटिविटी कम होती जाएगी।
एआई थिएटर में बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं लगता है, क्योंकि कलाकार जितना ज्यादा एआई का उपयोग करेगा, उतनी ही उसकी क्रिएटिविटी कम होती चली जाएगी। कलाकारों का मानना है कि आने वाले कुछ सालों तक अगर एआई अपने पांव पसार गया, तो हम लोगों का बेसिक जो कॉमन सेंस है, वहीं खत्म हो जाएगा।
रंगमंच की दुनिया में रचनात्मक लेखन सबसे मूल तत्व है। अब कई नाट्य लेखक एआइ टूल्स की मदद से कहानी के प्लॉट और नए आइडिया जनरेट कर रहे हैं। इसके अलावा एआई किरदारों के संवादों को प्रभावशाली तरीके से तैयार करने, नाटकों के चरित्रों की भावनात्मक गहराई को गढ़ने और ऐतिहासिक या समसामयिक संदर्भों को आपस में जोड़ने में सहयोग प्रदान कर रहा है। हालांकि, तकनीक के इस बढ़ते प्रयोग को लेकर रंगमंच के कुछ पारंपरिक कलाकारों में चिंता भी हैं। एआई का प्रभाव सिर्फ लेखन तक सीमित नहीं है। मंच पर म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक भी अब एआई टूल्स के माध्यम से तैयार किया जाने लगा है।
बात की जाए रंगमंच की तो इसमें एआई के फायदे हैं, तो नुकसान भी कम नहीं है। इसके जुड़े कलाकारों का मानना है कि रंगमंच बिल्कुल क्रिएटिविटी का माध्यम होता है, इसमें कोई भी मशीन जुड़ेगी उतनी ही लोगों की क्रिएटिविटी कम होती जाएगी। एआई थिएटर में बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं लगता है, क्योंकि कलाकार जितना ज्यादा एआई का उपयोग करेगा, उतनी ही उसकी क्रिएटिविटी कम होती चली जाएगी।
-योगेन्द्र परिहार
(थिएटर एक्टर)
मुझे थिएटर के दौरान कुछ सांग और म्यूजिक की जरूरत थी, जो स्टूडियो में रिकॉर्ड कराता तो काफी महंगा साबित होगा, लेकिन मैंने एआई का इस्तेमाल किया। कुछ देर की मेहनत के बाद ही हमें नाटक के लिए सॉन्ग और म्यूजिक मिल गया। इसके अलावा नाटक की पटकथा प्राचीन जाति विशेष पर आधारित थी। नाटक से पूर्व उस जाति से संबंधित डॉक्यूमेंट्री भी हमने एआई की मदद से तैयार की और दर्शकों को दिखाया।
-ओम प्रकाश सैनी
(रंगमंच कलाकार)
एआई से कलाकारों की क्रिएटिविटी खत्म होने का खतरा है। रंगमंच पूरी तरह से क्रिएटिविटी पर टिका हुआ है।
समीर पहाड़िया
(बॉलीबुड कास्टिंग डायरेक्टर)
बात की जाए एआई की तो ये रंगमंच के लिए ये ज्यादा उपयोगी नहीं लगता है। कुछ जगहों पर इसका उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ज्यादातर इसका उपयोग करने से कलाकारों के सोचने समझने की क्षमता कम होने का खतरा बना रहेगा।
महेन्द्र शर्मा (कास्टिंग डायरेक्टर)
एआई तकनीक के इस बढ़ते प्रयोग को लेकर रंगमंच के कुछ पारंपरिक कलाकारों में चिंता भी हैं। एआई का प्रभाव सिर्फ लेखन तक सीमित नहीं है। मंच पर म्यूजिक और बैकग्राउंड म्यूजिक भी अब एआई टूल्स के माध्यम से तैयार किया जाने लगा है।
आसिफ शेर अली खान (रंगमंच कलाकार)
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