बदलती जीवनशैली और बढ़ता तनाव बना पाचन तंत्र का दुश्मन : फैटी लिवर के बढ़े मामले, गैस्ट्रो विशेषज्ञों से जानिए कारण, रोकथाम और उपचार
भारत में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी पेट की समस्या से परेशान
आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली, अनियमित भोजन और बढ़ता तनाव हमारे पाचन तंत्र और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।
जयपुर। आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली, अनियमित भोजन और बढ़ता तनाव हमारे पाचन तंत्र और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। भारत में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी पेट की समस्या से परेशान है। चाहे वह एसिडिटी, गैस, पेट फूलना, या भूख न लगना हो, लेकिन अक्सर लोग इन लक्षणों को मामूली समझ कर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यह गंभीर स्थितियों जैसे गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिज़ीज और फैटी लिवर डिज़ीज का संकेत हो सकते हैं।
गैस्ट्रिक समस्याएँ : सिर्फ गैस नहीं, एक संकेत
गैस्ट्रिक एसिड रिफ्लक्स, जिसमें पेट का अम्ल भोजन नली में लौट आता है, एक बेहद आम समस्या बन चुकी है। इससे सीने में जलन, खट्टी डकारें, गले में खराश, और रात को नींद में खलल जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। शेल्बी हॉस्पिटल के डॉ. विमल गुप्ता ने बताया कि अगर हफ्ते में दो या अधिक बार आपको सीने में जलन महसूस होती है या लगातार खट्टी डकारें आती हैं, तो यह एक चेतावनी है। इसे केवल घरेलू उपायों या ऐंटासिड से दबाना सही नहीं है, सही निदान और उपचार आवश्यक है।
गैस्ट्रिक समस्याओं से बचाव कैसे करें?
-भोजन के बाद तुरंत लेटना नहीं चाहिए।
-तली-भुनी, मसालेदार और बहुत अधिक चाय-कॉफी से बचें।
-भोजन समय पर करें और धीरे-धीरे चबाकर खाएं।
-धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें।
फैटी लिवर क्या है?
फैटी लिवर डिज़ीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लिवर में वसा जम जाती है और यह अक्सर बिना लक्षणों के धीरे-धीरे बढ़ती है। शुरुआत में यह कोई परेशानी नहीं देती, लेकिन समय के साथ यह लिवर सिरोसिस और लीवर फेलियर जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकती है।
डॉ. अनभ्र शर्मा बताते हैं कि भारत में मोटापा, डायबिटीज और जंक फूड की आदत के चलते फैटी लिवर एक ‘साइलेंट एपीडेमिक’ बन गया है। लोग सोचते हैं कि यह केवल शराब पीने वालों को होता है, जबकि अब गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर तेजी से बढ़ रहा है।
फैटी लिवर के संकेत क्या हैं?
-पेट के ऊपरी दाएँ हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द
-थकान और शरीर में सुस्ती
-भूख में कमी या वजन कम होना
-त्वचा और आँखों का पीला पड़ना (गंभीर मामलों में)
बचाव और इलाज :
-वजन को नियंत्रित रखें, शरीर का 5-10% वजन कम करने से लिवर को बड़ा फायदा मिलता है।
-डाइट में फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट शामिल करें (जैसे फल, हरी सब्जियाँ, ओट्स, नट्स)।
-मीठे पेय, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएँ।
-हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें।
-लिवर फंक्शन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड जैसे जांच समय-समय पर कराएं।
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