जयपुर में भी धड़कता है 'दिल-ए-संगमरमर' : यहां ताजमहल की अनोखी प्रतिकृति
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में भी मौजूद 19वीं शताब्दी में बनी इनकी रेप्लिका
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शित पुरा वस्तुओं को देखने के लिए आते हैं।
जयपुर। प्रेम का प्रतीक ताजमहल दुनियाभर में अपनी भव्यता और भावनात्मक गहराई के लिए पहचाना जाता है। आमतौर पर इसे देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक आगरा पहुंचते हैं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि जयपुर स्थित अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में भी ताजमहल की हूबहू प्रतिकृति (रेप्लिका) मौजूद है। यह प्रतिकृति फिलहाल संग्रहालय के स्टोर रूम में रखी हुई है, लेकिन इसकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व किसी धरोहर से कम नहीं। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शित पुरा वस्तुओं को देखने के लिए आते हैं।
पर्यटकों के लिए जल्द प्रदर्शित होगा
मकराना की खदानों से निकले संगमरमर से इस ताजमहल की प्रतिकृति (रेप्लिका) को तैयार किया गया था। इसे 19वीं शताब्दी में अंग्रेज अधिकारी हैंडले ने आगरा से संग्रहित किया और जयपुर लाए थे। इसकी संरचना में करीब-करीब वही बारीकियां देखने को मिलती हैं जो असली ताजमहल में हैं। मीनारों की छतरियां भी उसी तरह हल्की सी बाहर की ओर झुकी हुई हैं। हालांकि इसे अभी संग्रहालय में पर्यटकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित नहीं किया गया है।
एत्मादुद्दौला की भी मौजूद
अनमोल प्रतिकृति ताजमहल के साथ ही आगरा के एत्मादुद्दौला मकबरे की भी संगमरमर से बनी एक दुर्लभ प्रतिकृति संग्रहालय के स्टोर में रखी गई है। यह भी 19वीं शताब्दी की ही बताई जाती है और समय-समय पर इसका संरक्षण एवं कंजर्वेशन कार्य किया गया है।
संग्रहालय प्रशासन ने इन दोनों ऐतिहासिक प्रतिकृतियों को स्टोर रूम में सुरक्षित रखा है। जिनका कंजर्वेशन विशेषज्ञों की देखरेख में किया जा चुका है। ताजमहल और एत्मादुद्दौला की ये दुर्लभ प्रतिकृतियां प्रेम और कला की बेजोड़ मिसाल हैं। 19वीं सदी की ये कृतियां अब भी संरक्षित अवस्था में संग्रहालय के स्टोर रूम में हैं।
-महेंद्र कुमार निम्हल, अधीक्षक, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय

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