जेकेके में प्रदर्शित हुई वरिष्ठ पारंपरिक चित्रकारों की पेंटिंग्स : रंगरीत महोत्सव के तहत तैयार चित्रों की प्रदर्शनी 18 मई तक चलेगी
रंगरीत महोत्सव में छाया पारम्परिक चित्रों का सौंदर्य
चित्रकार समंदर सिंह खंगारोत ने पारंपरिक वसली पेपर पर सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार का चित्र उकेरा।
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की अलंकार कला दीर्घा में हुए दस दिवसीय रंगरीत कला महोत्सव के तहत देश के नामी कलाकारों की तैयार चित्र कृतियों की एक विशाल प्रदर्शनी सोमवार को अलंकार कला दीर्घा में शुरू हुई। केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा और वरिष्ठ कलाकारों ने इसका उद्घाटन किया। इस दौरान मीणा ने कहा कि यह कला महोत्सव बेहद खास रहा। वैदिक चित्रकार रामू रामदेव ने कहा की पारम्परिक चित्रकलाओं को औपचारिक शिक्षा पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
पौराणिक कथाओं की चित्रात्मक महागाथा
यहां प्रदर्शित गोविन्द रामदेव की पेंटिंग्स में दुर्गा सप्तशती के विविध प्रसंगों का जीवंत चित्रण किया गया है। इन कृतियों में महिषासुर और रक्तबीज वध, बगलामुखी माता, अर्द्धनारीश्वर, मां काली, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां कालरात्रि जैसे प्रसंग पारंपरिक शैली में जीवंत हो उठे। रामू रामदेव ने अपनी ढाई दर्जन से अधिक पेंटिंग्स में पारंपरिक शैली को जयपुर की ढूंढाड़ी शैली की सुगंध से सराबोर किया है। गणपति के बाल स्वरूप की उनकी कृति विशेष आकर्षण का केंद्र है, जिसमें बाल गणेश शिव-पार्वती के संग अठखेलियां करते नजर आते हैं। बीकानेर से महावीर स्वामी ने महोत्सव के दौरान बीकानेर की परंपरागत शैली में बंशी बजैया श्रीकृष्ण के अक्स की रचना को अपनी कलाकृति में उकेरा।
पारंपरिक वसली पेपर पर उकेरा अश्विनी कुमार का चित्र
चित्रकार समंदर सिंह खंगारोत ने पारंपरिक वसली पेपर पर सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार का चित्र उकेरा। डेढ़ गुणा दो फुट आकार की इस पेन्टिंग को खंगारोत ने जापानी टैम्परा कलर से बनाया है।
अहलावत के कैनवास पर राजस्थानी घूमर
दिल्ली से आई वरिष्ठ चित्रकार सुमित्रा अहलावत ने राजस्थानी घूमर को कैनवास पर उतारा। कैनवास पर एक्रेलिक रंग के माध्यम से राजस्थानी नृत्य घूमर को अपने सृजन का माध्यम बनाया, जिसमें कसूमल रंग का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है। यह प्रदर्शनी अलंकार दीर्घा में 18 मई तक आमजन के लिए चलेगी।
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