बहू को बेटी मान किया कन्यादान : बेटी मानकर बहू की करवाई दोबारा शादी, बेटे की बीमारी के कारण निधन
दोनों ही एक दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ते रहे
बहू भी बेटी समान ही होती है। यह शब्द सुनने में तो अच्छा लगता है जबकि हकीकत में ऐसा होता बहुत कम है। कलयुग में जहां कई परिवारों में बहू बेटी बनकर नहीं रह पाती है। वहीं इस समय में जोशी परिवार ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी बहू को बेटी मानकर उसकी दोबारा शादी करवाई और उसके माता पिता बनकर कन्यादान किया।
कोटा। बहू भी बेटी समान ही होती है। यह शब्द सुनने में तो अच्छा लगता है जबकि हकीकत में ऐसा होता बहुत कम है। कलयुग में जहां कई परिवारों में बहू बेटी बनकर नहीं रह पाती है। वहीं इस समय में जोशी परिवार ने एक अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी बहू को बेटी मानकर उसकी दोबारा शादी करवाई और उसके माता पिता बनकर कन्यादान किया। यह कोई कहानी नहीं वरन हकीकत है। कोटा में ही मूल रूप से कैथूनीपोल हाल लक्षमण विहार कुन्हाड़ी निवासी भुवनेश जोशी व दीक्षा जोशी ने इस मिसाल को कायम किया है। वन विभाग से सेवानिवृत्त भुवनेश जोशी के पुत्र कुणाल जोशी(निक्कू) की शादी 6 जुलाई 2018 को दिल्ली के शाहदरा निवासी कीर्ति शर्मा(श्वेता) से हुई थी।
शादी के करीब सवा तीन साल बाद 20 अक्टूबर 2021को किसी बीमारी के कारण कुणाल का निधन हो गया। शादी के इतने कम समय में ही जहां एक परिवार ने अपना बेटा खोया वहीं एक पत्नी का सुहाग उजड़ गया। लेकिन पहाड़ जैसे इस दु:ख को न केवल दो परिवारों ने वरन् उस महिला ने भी सहा जिसकी दुनिया शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई थी। लेकिन न तो उस महिला ने और न ही उस जोशी परिवार ने हिम्मत हारी और दोनों ही एक दूसरे का सहारा बनकर आगे बढ़ते रहे।
अच्छा परिवार मिला तो किए हाथ पीले: भुवनेश जोशी ने बताया कि बीमारी के समय अस्पताल में भर्ती उनके पुत्र ने इच्छा जाहिर की थी कि उसके ठीक नहीं होने व दुनिया से चले जाने के बाद उनकी पत्नी का अच्छा रिश्ता देखकर फिर से घर बसा देना। उसकी इच्छा को देखते हुए बहू से बात की। लेकिन वह पहले तो राजी नहीं हुई। वह हमारे साथ ही इस परिवार का हिस्सा बनकर रहने को तैयार थी। लेकिन उसे समझाया कि उनका बुढ़ापा है। वे कब तक उसे इस तरह से रख पाएंगे। उसे दोबारा से घर बसाने के लिए राजी किया।

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