भरोसा रखें भगवान आपको मिलेंगे, समर्पण भाव से याद करें: पंडित विजय शंकर
रामराज्य की रूपरेखा पर चर्चा सहित अनेक प्रसंग सुनाएं
लंकाकाण्ड में भरत जी कह रहे हैं मोरे भरोस दृढ़ होई।
जयपुर। पं. विजय शंकर मेहता ने कहा कि उत्तरकाण्ड का सूत्र समर्पण है। यानी पूर्णाहुति का अवसर अर्थात व्यक्ति की वृद्धावस्था। इसलिए इस अवस्था में परिवार, समाज, ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाइए। मां-पिता बच्चे पति पत्नी आदि के रूप में परमात्मा आपके पास हैं।
बिरला सभागार में श्रीमान प्रताप फाउंडेशन की ओर से हनुमत पंचामृत कथा में गुरुवार को व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक पं. विजय शंकर मेहता उत्तरकाण्ड पर चर्चा करते हुए श्रीराम जय राम जय जय राम, राजाराम सीता राम नाम का संकीर्तन कराया। उत्तरकाण्ड में हनुमानजी का भरत जी से मिलन, रामराज्य की रूपरेखा पर चर्चा सहित अनेक प्रसंग सुनाए।
सच्ची भक्ति श्रीराम से सीखें, अपनी बुराई को त्यागे
उन्होंने कहा लोग मुझसे सवाल करते हैं कि रामजी ने सीता जी को क्यों छोड़ा। सीताजी ने स्वयं कहा है कि ये तो लीला है। उत्तरकाण्ड का अर्थ है जवाब। भरत जी सोच रहे थे मेरे कारण उन्हें 14 वर्ष का वनवास हुआ था शायद इस वजह से अयोध्या आने में देर लग रही है। उनका मन विरह में डूब रहा था। राम राम रघुपति जपत करते हुए भरत जी की आंखों से अश्रु धारा बह रही थी।
लंकाकाण्ड में भरत जी कह रहे हैं मोरे भरोस दृढ़ होई। श्रीराम मिलेंगे भरत जी को यह भरोसा था। परन्तु सेवक के अवगुण को भगवान कभी ध्यान नहीं रखते। सच्ची भक्ति श्री राम से सीखें।
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