इंटरनेशनल म्यूजियम डे : ये केवल संग्रहालय नहीं, बल्कि ज्ञान के भी भण्डार; पर्यटकों को मिलता है सालों पुरानी कला-संस्कृति से मुखातिब होने का मौका
संग्रहालयों में सालों पुरानी पुरा वस्तुएं डिस्प्लेड हैं
पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में कई ऐसी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित हैं, जिन्हें देख पर्यटक दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं।
जयपुर। संग्रहालय एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि शिक्षा का एक केन्द्र भी कहा जा सकता है। जहां देशी और विदेशी पर्यटकों को सालों पुरानी वस्तुओं से मुखातिब होने का मौका मिलता है। इनके इतिहास के बारे में जानकारी भी मिलती है। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से किले-महलों के अतिरिक्त करीब 20 से अधिक संग्रहालय भी संरक्षित हैं। जहां एक लाख से अधिक विभिन्न पुरा वस्तुएं पर्यटकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित हैं। इनमें हैंडी क्राफ्ट्स, कालीन, वाद्ययंत्र, बंदूकें, तलवार, भाले सहित विभिन्न हथियार, प्राचीन सिक्के, ढाल सहित अन्य दुर्लभ वस्तुएं शामिल हैं। 18 मई को इंटरनेशनल म्यूजियम डे मनाया जाता है।
इन संग्रहालयों में इतनी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित
पुरातत्व विभाग के संरक्षित स्मारकों में कई ऐसी दुर्लभ वस्तुएं प्रदर्शित हैं, जिन्हें देख पर्यटक दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। राजकीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल में करीब 2500, अलवर संग्रहालय में 1450, बीकानेर संग्रहालय में करीब 1800, बूंदी संग्रहालय में 300, जैसलमेर संग्रहालय में 1200, झालावाड़ संग्रहालय में 700, बारां संग्रहालय में 600, चित्तौड़गढ़ संग्रहालय में 364, राजकीय संग्रहालय आहड़ (उदयपुर) में 1017 सहित अन्य संग्रहालयों में सालों पुरानी पुरा वस्तुएं डिस्प्लेड हैं।
अद्भुत हैं हथियार
अलवर संग्रहालय में कई ऐसे दुर्लभ हथियार हैं, जो अपनी विशेषता के लिए जाने जाते हैं। यहां हथियारों की बात करें तो कुल्हाड़ी और कटार एक में ही हैं। वहीं कुल्हाड़ी के साथ बंदूक और कटार के साथ बंदूक देखने को मिलेगी। यहां एक म्यान में दो तलवारें, अकबर द्वितीय और जहांगीर की तलवार, ढाल के साथ बंदूक, ईरानी तलवारें सहित हस्तलिखित ग्रंथ भी हैं। वहीं दूसरी ओर वाद्य यंत्र सहित कारपेट आकर्षण का केन्द्र हैं। इसके साथ ही विभाग के अन्य संग्रहालयों में भी कई दुर्लभ वस्तुओं का भण्डार छिपा है।
सबसे अधिक पर्यटक आते हैं यहां
संग्रहालय में पर्यटकों की उपस्थिति की बात करें, तो राजकीय संग्रहालय अल्बर्ट में इनकी संख्या सबसे अधिक रहती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 3,09,647 देशी और विदेशी पर्यटकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं चित्तौड़गढ़ में 1,14,617, भरतपुर में 48,389, अलवर में 21,568, अजमेर में 18,475, मंडोर (जोधपुर) में 28,860, जैसलमेर में 1132 सहित अन्य संग्रहालय में सैलानियों की आवाजाही रही है।
आधुनिकता का किया जाएगा समावेश
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में संरक्षित संग्रहालयों में जल्द ही बदलाव किए जाएंगे। इसके लिए एआई तकनीक का भी समावेश किया जाएगा। इसके लिए कवायद की जा रही है। ऐसे में पर्यटकों को कई संग्रहालय बदले-बदले से नजर आएंगे।
प्र देश में संरक्षित संग्रहालयों में अब जल्द ही नई तकनीकों का समावेश देखने को मिलेगा। इसके लिए विभाग की ओर से कार्य किया जा रहा है।
- संग्रहालयों में प्रदर्शित सालों पुरानी वस्तुओं से पर्यटकों उस समय की कला और संस्कृति के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है।
डॉ.पंकज धरेन्द्र, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग
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