जवाहर कला केंद्र स्थापना दिवस : 100 से अधिक लोक वाद्य यंत्रों ने रचा सुर और ताल का जादुई संसार
राजस्थान की लोक संस्कृति में रचे-बसे संगीत से रूबरू हुए कलाप्रेमी
केंद्र के इतिहास, केंद्र में हुए कार्यक्रमों, गतिविधियों व केंद्र की विशेषताओं को ऑडियो-विजुअल माध्यम से दर्शाया गया।
जयपुर। जवाहर कला केंद्र का मध्यवर्ती बुधवार शाम राजस्थानी लोक वाद्य यंत्रों से निकली सुर-ताल की अठखेलियों से आबाद हो उठा। जवाहर कला केंद्र के 32वें स्थापना दिवस समारोह में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व जनजातियों के लोक वाद्य यंत्रों का जादू शहरवासियों को देखने को मिला। शाम के समय हल्की बारिश से तरोताजा हुए माहौल में जब लोक कलाकारों ने वाद्य यंत्रों पर अपने सधे हुए हाथों का जादू बिखेरा तो जेकेके का पूरा प्रांगण राजस्थानी लोक संस्कृति में रचे-बसे संगीत के रंगों से सराबोर हो गया। प्रदेशभर से आए कलाकारों ने सौ से अधिक वाद्य यंत्र बजाए। स्थापना दिवस समारोह का गुरुवार को समापन होगा।
इन वाद्य यंत्रों ने सजाई शाम
कार्यक्रम में बम नगाड़ा, रावण हत्था, गूजरी, ढोल, बकरी की मसक, पाबू जी का माटा, जोगिया सारंगी, धूम धड़ाम, सिंगी, बीन, तूमड़ी, चंटर, पेडी, रणसिंह, नौबत, झांझ, शंख, सुरिंदा, नड़, नौबत, मुरली, सुरिंदा, भपंग सहित 100 से अधिक वाद्य यंत्रों का वादन किया गया।
डूडल वॉल बनी पसंदीदा स्पॉट प्रदर्शनी में दिखा जेकेके का सफर
जेकेके के डोम एरिया में बनाई गई डूडल वॉल पर दिनभर कलाकारों ने अपनी भावनाओं को चित्रों के माध्यम से उकेरा। केंद्र में नियमित आने वाले कलाकारों के साथ ही केंद्र को देखने आए लोगों ने भी डूडल वॉल पर रंगों की कलाकारी कर चित्र बनाए। केंद्र के इतिहास, केंद्र में हुए कार्यक्रमों, गतिविधियों व केंद्र की विशेषताओं को ऑडियो-विजुअल माध्यम से दर्शाया गया।

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