निरामय राजस्थान की नई पहल : 4350 स्वास्थ्य अधिकारियों को किया प्रशिक्षित
अधिकारियों को हर स्तर पर गतिविधियों के आयोजन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए
चिकित्सा विभाग की और से शुक्रवार को जंक फूड को ना कहें विषय पर प्रदेश के 4350 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को वेबीनार के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया
जयपुर। चिकित्सा विभाग की और से शुक्रवार को जंक फूड को ना कहें विषय पर प्रदेश के 4350 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को वेबीनार के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. टी. शुभमंगला ने बताया कि यह प्रशिक्षण आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर कार्यरत सीएचओ को निरामय राजस्थान अभियान की गतिविधियों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए दिया गया। उन्होंने अधिकारियों को हर स्तर पर गतिविधियों के आयोजन और मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। शैक्षणिक संस्थानों व बैठकों में जंक फूड से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए और स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ. मनीषा चावला ने बताया कि जंक फूड में कैलोरी अधिक होती है, लेकिन इसमें विटामिन, खनिज और फाइबर जैसे पोषक तत्वों की भारी कमी होती है। उन्होंने कहा कि जंक फूड के दुष्प्रभावों के बारे में समुदाय में जागरूकता फैलाने में सीएचओ की भूमिका बेहद अहम है। यूनिसेफ के आदित्य अग्निहोत्री ने मानसिक स्वास्थ्य को निरामय राजस्थान अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना अनिवार्य है।
मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. एस. एम. स्वामी ने बताया कि मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए परिवार और समाज की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने टेलीमानस हेल्पलाइन 14416 तथा 1800 89 14416 के माध्यम से परामर्श लेने की सुविधा की जानकारी दी। साथ ही, चिकित्सा विभाग द्वारा संचालित मनदर्पण कार्यक्रम की भी चर्चा की गई।

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