अब किताबों की कहानी बन गया रामगढ़ बांध

40 इंच से ज्यादा बरसात फिर भी खाली रह गया डेम

अब किताबों की कहानी बन गया रामगढ़ बांध

जयपुर जिले में भी इस बार 88 फीसदी ज्यादा बरसात हुई है।

जयपुर। बीस साल पहले तक जयपुर शहर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध अब सिर्फ किताबों की कहानी बन कर रह गया है। उसके बहाव क्षेत्र में हुए अतिक्रमणों की वजह से इस बार 40 इंच से भी ज्यादा बरसात होने के बाद बाद भी नहीं भरा। जयपुर जिले में भी इस बार 88 फीसदी ज्यादा बरसात हुई है। जयपुर जिले में औसतन 492.1 मिलीमीटर बरसात होती है, इस बार अब तक 924.2 मिमी हो चुकी है।  इस बांध के बहाव क्षेत्र में बाण गंगा और रोड़ा नदी में हुए अतिक्रमणों को हटाने को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय भी कई बार निर्देश दे चुका है। इसके साथ ही अपने स्तर पर समिति भी गठित कर चुका है। जिला प्रशासन भी अपने स्तर पर अलग से समिति बना चुका है। जिला प्रशासन की समिति में चार तहसीलों जमवारामगढ़, विराट नगर, आमेर और शाहपुरा के तहसीदार शामिल है, लेकिन यह सब समितियां मात्र कागजों तक सिमट कर रह गई। 

43 साल पहले चली थी चादर
रामगढ़ बांध पर 43 साल पहले 1981 में चादर चली थी। और उस साल 809.7 मिमी यानी 32 इंच से ज्यादा बरसात हुई थी। इस साल बुधवार सुबह तक 1012.5 मिमी बरसात हो चुकी है। इस बांध में 1982 में हुए एशियाड में नौकायान भी हो चुकी है। रामगढ़ बांध का भराव क्षेत्र पहले 60 फीट था। सन् 1981 में चादर चलने के बाद बांध में चार के स्थान पर छह नवीन आधुनिक मशीन चालित मोरियों के निर्माण के साथ बांध का भराव स्तर बढ़ाकर 65 फीट कर दिया गया। 

2005 में सूख गया था बांध
बांध की मुख्य नदी में बाण गंगा से आखिरी बार पानी 1999 में आया था। इसके बाद बरसात कम होने व नदी का पानी बहकर नहीं आने से वर्ष 2005 में बांध पूरी तरह सूख गया। बांध के सूखने के साथ ही रामगढ़ बांध की मुख्य नदी बाणगंगा और मुख्य सहायक नदी रोडा नदी में भी मिट्टी जमा हो गई। रामगढ़ बांध में भी इस समय करीब 15 फीट मिट्टी जमा है, जो बांध की कुल भराव क्षमता का करीब पच्चीस प्रतिशत है। 

1933 से पिला रहा था जयपुर को पानी 
इस बांध की सप्लाई से कई सालों तक जुड़ रहे अतिरिक्त मुख्य अभियंता अजय सिंह राठौड़ के अनुसार रामगढ़ बांध 1933 से जयपुर शहर के परकोटे के भीतर पानी सप्लाई किया जा रहा था। इसकी क्षमता रोजाना 54 एमएलडी पानी सप्लाई करने की थी। सन् 2008 तक रोजाना 40 एमएलडी पानी सप्लाई किया जाता रहा और 2015 में यह क्षमता घटकर मात्र पांच एमएलडी रह गया। पानी की कमी की वजह से सप्लाई बंद कर दी गई। 

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