जयपुर का सियासी रुख : जिस दल के अधिक विधायक, उसी की बनी सरकार
राजस्थान में पिछले पांच चुनाव की बात करें तो राजस्थान के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पार्टियों की हार जीत के आंकलन से सरकार आने के संकेत माने जाते हैं।
जयपुर। राजस्थान में पिछले पांच चुनाव की बात करें तो राजस्थान के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पार्टियों की हार जीत के आंकलन से सरकार आने के संकेत माने जाते हैं। अलग-अलग चुनाव में मेवाड़, मारवाड़, हाड़ौती, ढूंढाड, बागड़, मेवात और पूर्वी राजस्थान को लेकर ऐसे आंकलन होते रहे हैं।
राजधानी जयपुर की बात करें तो सियासी हवा के रुख का आंकलन यहां भी राजनीतिक प्रेक्षक करते हैं। प्रेक्षक मानते हैं कि बीते पांच विधानसभा चुनाव में जयपुर में जिस राजनीतिक दल के ज्यादा विधायक चुन कर आते हैं, उसी दल की सरकार यहां बनती है। राजनीतिक पार्टियों ने ऐसे आंकलन की वजह से जयपुर की सीटों पर जीत के लिए विशेष रणनीति बनाई थी। राजस्थान में 1993 के बाद यहां हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज नजर आया है। इसमें जयपुर के भी हर बार समीकरण बदले नजर आए हैं। वर्ष 1998 से लेकर अब तक जयपुर में जिस पार्टी के अधिक विधायक जीतकर आए, वही पार्टी सत्ता पर काबिज हुई है। हालांकि परिसीमन वर्ष 2008 को एक अपवाद के रूप में देखा जा सकता है।
विधानसभा चुनाव 1998
जयपुर में पांच में से चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी जीतकर आए। किशनपोल से महेश जोशी, सांगानेर से इंदिरा मायाराम, जौहरी बाजार से तकीउद्दीन अहमद और बनीपार्क से उदयसिंह राठौड़ जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में कांग्रेस 153 सीट जीतकर सत्ता पर काबिज हुई।
विधानसभा चुनाव 2003
इस चुनाव में कांग्रेस को पांचों सीटों पर हार मिली। किशनपोल से भाजपा के मोहनलाल गुप्ता, सांगानेर से घनश्याम तिवाड़ी, जौहरी बाजार से कालीचरण सराफ, हवामहल से सुरेंद्र पारीक और बनीपार्क से बीरू सिंह राठौड़ जीते। चुनाव में पूरी कांग्रेस 56 सीटों पर सिमट कर रह गई और भाजपा को 120 सीटें मिलीं।
विधानसभा चुनाव 2008
प्रदेश में परिसीमन के बाद जयपुर में पांच की जगह आठ विधानसभा सीट हो गई। साथ ही झोटवाड़ा और आमेर को जोड़कर दस सीटें हो गई। इस चुनाव में आमेर, हवामहल, सिविल लाइंस और बगरू में कांग्रेस प्रत्याशी जीतकर आए और विद्याधरनगर, किशनपोल, आदर्शनगर, मालवीय नगर, सांगानेर और झोटवाड़ा में भाजपा विधायक जीते। इस चुनाव में प्रदेश की जनता ने किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया। कांग्रेस को 96 सीटें मिली और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोड़ तोड़ की राजनीति कर कांग्रेस की सरकार बनाई।
विधानसभा चुनाव 2013
इस चुनाव में भाजपा ने कई रिकॉर्ड तोडेÞ। भाजपा 163 और कांग्रेस 21 सीटों पर रह गई। जयपुर की जनता ने एकतरफा मतदान किया। भाजपा के प्रत्याशी झोटवाड़ा, हवामहल, विद्याधरनगर, सिविल लाइंस, किशनपोल, आदर्शनगर, मालवीय नगर, सांगानेर और बगरू से चुनाव जीते।
विधानसभा चुनाव 2018
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से सरकार बनाई। जयपुर में कांग्रेस के अमीन कागजी ने किशनपोल, महेश जोशी ने हवामहल, रफीक खान ने आदर्शनगर, लालचंद कटारिया ने झोटवाड़ा, प्रताप सिंह खाचरियावास ने सिविल लाइंस और गंगादेवी ने बगरू सीट जीती। वहीं भाजपा के कालीचरण सराफ मालवीय नगर, नरपत सिंह राजवी विद्याधर नगर, सतीश पूनिया आमेर और अशोक लाहोटी सांगानेर से चुनाव जीते। परिसीमन के बाद पहली बार जयपुर में कांग्रेस विधायक का यह सर्वाधिक आंकड़ा रहा और कांग्रेस ने 100 सीटों के साथ सरकार बनाई।
इन चेहरों पर सत्ता परिवर्तन का असर नहीं
जयपुर में 90 के दशक के बाद कई ऐसे राजनीतिक चेहरे भी रहे, जिन पर सत्ता परिवर्तन का कोई असर नहीं होता था। इनमें तीन बार के विधायक रहे गिरधारीलाल भार्गव, छह बार विधायक रहे भंवरलाल शर्मा, पांच बार की विधायक उजला अरोड़ा और चार बार की विधायक रही विद्या पाठक के नाम भी शामिल हैं।
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