गाथा बंदिनी में बयां हुई कैदी औरतों की व्यथा, स्त्रियों के यौन शोषण से लेकर अन्य ज्वलंत मुद्दों को उठाया
करियर की चाह में एक ढोंगी बाबा के आश्रम में पहुंचा देते हैं
इन किरदारों के साथ जेल में चलने वाली अन्य गतिविधियों और महिलाओं के शोषण से जुड़े अनेक प्रसंगों को जेलकर्मी स्टाफ और जेलर के संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
जयपुर। कवि कथाकार प्रेमचंद गांधी लिखित नाटक गाथा बंदिनी का मंचन गुरुवार को जेकेके के रंगायन सभागार में हुआ। नाटक के माध्यम से महिला शोषण के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत किया गया। नाटक मुख्यत: ऐसी चार महिल कैदियों की कहानियों का कोलाज है, जिन्हें हालात ने हत्यारी बनाकर जेल पहुंचा दिया। एक युवती है सोमा, जो अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते एक सेठ की हत्या कर डालती है। दूसरी महिला है चण्डी, जिसकी मासूम बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या हो जाती है, तो वह दुष्कर्मी के लिए सच में ही चण्डी का रूप धारण कर दुष्कर्मी की जान ले लेती है।
एक लड़की है गीता, जिसे उसके पिता राजनीतिक करियर की चाह में एक ढोंगी बाबा के आश्रम में पहुंचा देते हैं। बाबा जब गीता के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश करता है तो वह बाबा को ही ठिकाने लगा देती है। एक ओर किरदार के रूप में गांव की एक सीधी-सादी महिला है शनीचरी माई, जिसके रूप और खेत-खलिहान पर दुष्ट मुखिया की निगाहें लगी रहती हैं। जब मुखिया उसका सब कुछ उजाड़कर उसे डायन बना देता है तो शनीचरी मुखिया का ही काल बन जाती है। इन किरदारों के साथ जेल में चलने वाली अन्य गतिविधियों और महिलाओं के शोषण से जुड़े अनेक प्रसंगों को जेलकर्मी स्टाफ और जेलर के संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
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