ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई की रस्म अदायगी : अफसर-कार्मिकों की लापरवाही से समस्याओं का नहीं होता निदान

जनसुनवाई करने वाले गंभीर नहीं

ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई की रस्म अदायगी : अफसर-कार्मिकों की लापरवाही से समस्याओं का नहीं होता निदान

जनसुनवाई कार्यक्रमों की खानापूर्ति बनने के पीछे मुख्य कारण जनसुनवाई करने वालों की गंभीरता नहीं होना और प्रभावी कार्रवाई का अभाव हैं।

जयपुर। ग्राम पंचायतों में हर जनसुनवाई कार्यक्रम अधिकांश जिलों में महज एक रस्म अदायगी बन गया हैं। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की कई बार अनुपस्थिति रहने तथा शिकायतों का समय पर निस्तारण नहीं होने के चलते ग्रामीणों को राहत मिलना कम होने लगा हैं। अब विभाग इसे डिजिटल ट्रेकिंग से जोड़ने पर विचार कर रहा है, ताकि लोगों की समस्याओं का समय पर निस्तारण किया जा सके। जनसुनवाई व्यवस्था की मंशा ग्रामीण समस्याओं को प्राथमिक स्तर पर हल करने की है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि छोटी मोटी समस्याओं में बीपीएल राशनकार्ड, बिजली, पानी, मूल निवास सहित अन्य प्रमाण पत्र बनवाने जैसे काम भी समय पर नहीं होेते तो जनता का भरोसा भी कम होने लगा है। हालांकि कुछ ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई प्रभावी भी साबित हो रही है तो कुछ ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई नियमित रूप से नहीं हो रही हैं। 

जनसुनवाई करने वाले गंभीर नहीं
जनसुनवाई कार्यक्रमों की खानापूर्ति बनने के पीछे मुख्य कारण जनसुनवाई करने वालों की गंभीरता नहीं होना और प्रभावी कार्रवाई का अभाव हैं। कई वर्षों से लागू इस व्यवस्था का असली ढांचा 2021 के बाद बिगड़ा है। 

खानापूर्ति होने के प्रमुख कारण
नियमित रूप से जनसुनवाई नहीं होने से ज्यादातर शिकायतों की औपचारिकता होती है। लोग पेयजल, सड़क, बिजली, राशनकार्ड, पेंशन जैसी शिकायतें लेकर आते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में समय पर ठोस कार्रवाई नहीं होने पर पेंडेंसी बनी रहती है। शिकायतकर्ता यदि शिकायत स्टेटस से संतुष्ट नहीं होता तो उसकी दुबारा प्रक्रिया में भी लंबा समय लग रहा है। कई बार जनसुनवाई में अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि भी मौजूद नहीं रहते हैं। कुछ ग्रामीणों में भी जनसुनवाई के उद्देश्य और प्रक्रिया के बारे में जागरूकता की कमी होती है। कुछ मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते शिकायतें लंबित रख दी जाती हैं।

डिजिटल ट्रेकिंग सिस्टम को बढ़ावा मिले, लेकिन यहां भी चुनौती
जनसुनवाई कार्यक्रम को चुस्त करने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करना जरूरी है। शिकायतें तो दर्ज हो जाती हैं, लेकिन उनका समय पर समाधान नहीं होता। जनसुनवाई आयोजन को अनिवार्य और पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू करने की जरूरत है। डिजिटल ट्रेकिंग से जनसुनवाई को जोड़ने से शिकायतों का समयबद्ध निस्तारण करने के साथ ऑनलाइन ट्रेक भी किया जा सकता है। पंचायतीराज विभाग इस बारे में विचार कर रहा है। डिजिटल ट्रेकिंग में आॅनलाइन शिकायतें दर्ज करने और ट्रेक करने की सुविधा से ग्रामीण अपनी शिकायत का स्टेटस जांच सकेंगे।

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डिजिटल ट्रेकिंग से शिकायतों के पैटर्न का विश्लेषण भी किया जा सकता है और लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई भी संभव हो सकती है। मोबाइल एप या पोर्टल पर जनसुनवाई सेक्शन बनाकर क्यूआर कोड सिस्टम, एमएसएस अलर्ट, डैशबोर्ड और आधार एकीकरण से फर्जी शिकायतों को रोकने की कार्रवाई की जा सकती है। इस प्रणाली में डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट कनेक्टिविटी और प्रशासनिक इच्छाशक्ति सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।

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बडे अधिकारी नहीं होते शामिल, छोटे करते हैं खानापूर्ति
जनसुनवाई में लोगों की समस्याओं के निदान नहीं होने के पीछे एक वजह यह भी है कि बड़े अधिकारी सरकारी बैठकों, वीसी बैठकों और अन्य कार्यों में व्यस्तता की बात कहते हुए नहीं आते हैं। छोटे अधिकारी जैसे गाम विकास अधिकारी, ग्राम सचिव, रोजगार सहायक भी शिकायतों को लेकर गंभीर नहीं होते। कई बार ये लोग सिर्फ हस्ताक्षर करने के लिए बैठकों में आते हैं तो लोग इस सरकारी ढर्रे से जल्दी ही हताश हो जाते है। पूर्वी राजस्थान में भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर, बाड़मेर, सिरोही, पाली, जालोर, दक्षिणी राजस्थान में भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ आदि जिलों में कई ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई के नाम पर खानापूर्ति होने के मामले विभाग के सामने आए हैं। कई एनजीओ की फील्ड रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। 

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जनसुनवाई कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों और अधिकारी-कर्मचारियों को कोई समस्या है तो मुझसे मिलकर बता सकते हैं। लोगों की समस्याओं को प्राथमिकता से निस्तारण करना हमारी सरकार का उद्देश्य है। हम जल्दी ही जनसुनवाई को नियमित और पारदर्शी बनाने के लिए और कदम उठाने जा रहे हैं। मैंने चित्तौडगढ़ से ग्राम पंचायतों में पहुंचकर फीडबैक लेने का कार्यक्रम शुरू किया है। जल्दी ही सभी जिलों में दौरे कर ग्राम पंचायतों में कार्यों की सच्चाई पता लगाएंगे। रूटीन कार्यों के अलावा स्वच्छ भारत मिशन और अन्य योजनाओं से जुडे कार्यों में लापरवाही बरतने पर दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मदन दिलावर, पंचायतीराज मंत्री 

माह के प्रथम गुरुवार को ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाली जनसुनवाई को लेकर प्रत्येक ग्राम विकास अधिकारी अत्यंत गंभीर है। शासन एवं सरकार की इस पहल के कारण आमजन की समस्याओं के त्वरित निस्तारण में बहुत अच्छी प्रगति हुई है। हमारे संवर्ग की प्राथमिकता ग्राम पंचायत स्तर की प्रत्येक समस्या और परिवाद का त्वरित निस्तारण है और ब्लॉक एवं जिला स्तर के परिवाद को सक्षम स्तर पर फॉरवर्ड कर फॉलो करना है। भविष्य में जनसुनवाई में परिवादों के निस्तारण को और अधिक संवेदनशीलता से सुनिश्चित किया जाएगा। 
महावीर शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, 
राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी संघ

मकान के आगे रोड लाइट और पड़ौसी के मकान के आगे अवैध चबूतरे को लेकर कई बार शिकायत दी, लेकिन सिर्फ जल्दी शिकायत निस्तारण होने का आश्वासन मिलता है। लोग कुछ नेताओं से फोन करा देते हैं तो शिकायत पर गौर नहीं होता है। एक बार फिर शिकायत दर्ज कराऊंगा।
श्रवण कुमार, स्थानीय नागरिक ग्राम कालवाड़

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