यात्रा राजनीति में कांग्रेस को कभी नफा तो कभी नुकसान
जीत के लिए भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियां जुटी
साल 2013 में कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ डॉ. चन्द्रभान के नेतृत्व में संदेश यात्रा निकाली, लेकिन दिसम्बर 2013 चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
ब्यूरो/नवज्योति, जयपुर। आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां राजस्थान में यात्राएं निकालने में जुटी हुई हैं। राजस्थान कांग्रेस भी इन चुनावों में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए यात्राओं पर काफी कवायद कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार से विजन 2030 मुद्दे पर सात अक्टूबर तक चुनावी कैम्पेन शुरू किया है, जिसमें वे 20 जिलों में दस प्रमुख मंदिरों में दर्शन कर लोगों से मिशन 2030 के लिए सुझाव भी मांगेंगे। कांग्रेस की ईआरसीपी वाले 13 जिलों में जन आशीर्वाद यात्रा भी प्रस्तावित है, जो संभवत: आचार संहिता लगने के बाद ही शुरू हो पाएगी। वर्तमान सरकार के दौरान कांग्रेस में यात्राओं का दौर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से शुरू हुआ। यह यात्रा दिसम्बर में राजस्थान होकर गुजरी। इसका धरातल पर कांग्रेस को काफी हद तक फायदा मिला। अब गहलोत की 27 सितम्बर से सात अक्टूबर तक निकाली जा रही यात्रा से भी 20 जिलों में धरातल मजबूत करने की कवायद जारी है। इन यात्राओं का मकसद लोगों के बीच जाकर उनसे सीधा जुड़ाव और लोगों की सियासी नब्ज टटोलना है।
कांग्रेस पहले भी निकाल चुकी है यात्राएं
साल 2013 में कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ डॉ. चन्द्रभान के नेतृत्व में संदेश यात्रा निकाली, लेकिन दिसम्बर 2013 चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। साल 2017 में पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने किसान न्याय पदयात्रा निकाली। हालांकि यह यात्रा केवल कोटा संभाग में निकाली गई, लेकिन कांग्रेस से इसको बहुत फायदा मिला। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पिछले साल राजस्थान में होकर गुजरी तो कई जिलों में कांग्रेस के पक्ष में माहौल अच्छा नजर आया।
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