शहर की सड़कें : कहीं आमजन को राहत, कहीं आहत

बारिश में होती है सबसे ज्यादा परेशानी

शहर की सड़कें : कहीं आमजन को राहत, कहीं आहत

80 फीट से अधिक सड़कों पर लेन सिस्टम के हिसाब से डामरीकरण, फुटपाथ मीडियन एवं स्पिल लेन बनानी होती है।

जयपुर। शहर में सड़कों की मरम्मत हो या फिर नई सड़क बनाने का प्रकरण हो निर्धारित मापदंडों की पालना नहीं हो रही है। इससे आमजन को फायदा मिलने के साथ ही परेशानियों में भी इजाफा हो रहा है। शहर के बाहरी इलाकों में जहां सड़कें बनाने के साथ ही मरम्मत होती है वहां 30 फीट या फिर 40 फीट चौड़ी सड़क पर तीन मीटर तो कहीं चार मीटर डामरीकरण किया जा रहा है। इसके बाद शेष क्षेत्र में लोगों द्वारा सड़क पर ही अतिक्रमण कर लिया जाता है। इसके साथ ही सड़कों पर परत दर परत किए जा रहे डामरीकरण के चलते राजधानी की पुरानी कॉलोनियों के साथ ही चादीवारी क्षेत्र में सड़कें मकानों एवं दुकानों से ऊपर पहुंच गई है। इसके चलते बारिश के दौरान लोगों को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। वहीं शहर के बाहरी इलाकों में विकसित हो रही कॉलोनियों में बनाई जा रही सड़कों पर मकान काफी ऊपर रहते हैं ऐसे में लोग वाहनों की पार्किंग के लिए लंबे-लंबे खुर्रे बनाकर सड़कों पर अतिक्रमण कर रहे हैं। चारदीवारी में ब्रह्मपुरी, चांदपोल, रामगंज और घाटगेट इलाकों सहित प्रदेश के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक तथा सी-स्कीम में मंत्रियों के बंगले तक सड़कों से नीचे हो गए हैं और बारिश के दौरान पानी तक भर जाता है। 

बढ़ रहे हैं विवाद
शहर के बाहरी इलाकों में विकसित हो रही कॉलोनियों में सड़कों पर छूटी जगहों पर मकानों के आगे खुर्रे बनने से सड़कें सकड़ी हो रही हैं और पड़ौसियों में पार्किंग, पेड़ पौधे लगाने सहित अन्य विवाद भी बढ़ जाते हैं। राजधानी जयपुर में जगतपुरा, मालवीय नगर, पृथ्वीराजनगर, अजमेर रोड और टोंक रोड सहित कई क्षेत्रों की कई कॉलोनियों के मामले तो न्यायालयों तक भी पहुंचे।

नई सड़कों पर डामरीकरण के नियम
तीस फीट चौड़ी सड़कों पर एक लेन 3.06 मीटर चौड़ाई में एवं चालीस फीट चौडी रोड पर करीब चार मीटर पर डामरीकरण किया जाता है। इसके साथ ही साठ फीट चौड़ी रोड पर करीब साढ़े पांच मीटर चौड़ाई में डामरीकरण किया जाता है। वहीं 80 फीट पर दो-दो लेन डामरीकरण करने के साथ ही नियमो में मीडियन भी बनाना होता है। 80 फीट से अधिक सड़कों पर लेन सिस्टम के हिसाब से डामरीकरण, फुटपाथ मीडियन एवं स्पिल लेन बनानी होती है।

इनका कहना है
अब सड़कों की मरम्मत के दौरान पहले मिलिंग की जाती है उसके बाद ही उस पर डामरीकरण किया जाता है जिससे सड़क परत दर परत ऊंची नहीं हो और लोगों के घरों में पानी नहीं जाएं।
-अजय गर्ग, डायरेक्टर इंजीनियरिंग, जयपुर

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सड़कों पर अतिक्रमण नहीं हो इसके लिए डामरीकरण के साथ ही नालियां बनाने एवं फुटपाथ पर पेड़ों की जगह छोड़ते हुए टाइल्स लगा दी जा जाएं। इससे सड़कों पर अतिक्रमणों की समस्या भी दूर हो जाएगी और कॉलोनियों में हरियाली को भी बढ़ावा मिलने के साथ ही सौन्दर्यीकरण को बढ़ावा मिलेगा। 
-केसी मीना, उपाध्यक्ष, 
इंडियन रोड कांग्रेस एवं पूर्व चीफ इंजिनियर राजस्थान आवासन मंडल

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