आईटीएटी रिश्वत कांड में जयपुर के नामी बिल्डर की भी भूमिका : नोटिस के बाद भी नहीं पहुंचा तो बेटे से की गई पूछताछ, जांच के दायरे में हैं 16 फाइलें
नकद और दस्तावेजों की जांच जारी
आईटीएटी रिश्वतकांड में जयपुर के नामी बिल्डर की भी भूमिका बताई गई। केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने बिल्डर को नोटिस देकर बुलाया था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। इस पर ब्यूरो के अफसरों ने उसके बेटे से लम्बी पूछताछ की। इस रिश्वत कांड की जांच में सीबीआई लगातार नए पहलुओं को खंगाल रही है। जांच एजेंसी को जिन बिंदुओं पर संदेह है, उनमें शहर के एक बिल्डर की भूमिका भी शामिल बताई जा रही है।
जयपुर। आईटीएटी रिश्वतकांड में जयपुर के नामी बिल्डर की भी भूमिका बताई गई है। केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बिल्डर को नोटिस देकर बुलाया था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। इस पर ब्यूरो के अफसरों ने उसके बेटे से लम्बी पूछताछ की। इस रिश्वत कांड की जांच में सीबीआई लगातार नए पहलुओं को खंगाल रही है। जांच एजेंसी को जिन बिंदुओं पर संदेह है, उनमें शहर के एक बिल्डर की भूमिका भी शामिल बताई जा रही है। सीबीआई ने बिल्डर विजय गोयल को बयान दर्ज करने के लिए तलब किया था, लेकिन वे निर्धारित तिथि पर उपस्थित नहीं हुए। उनकी गैरहाजिरी के बाद एजेंसी ने गुरुवार रात उनके बेटे को पूछताछ के लिए बुलाया। उससे करीब तीन घंटे तक विस्तृत पूछताछ की गई।अधिकारियों के अनुसार जवाब संतोषजनक न मिलने पर बेटे को घर भेज दिया गया, जबकि स्वयं विजय गोयल को सीबीआई कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए। हालांकि शुक्रवार देर शाम तक भी वे एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए।
सीबीआई इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही है। एजेंसी ने शुक्रवार को मामले के चार मुख्य आरोपियों डॉ. एस. सीतालक्ष्मी, एडवोकेट राजेंद्र सिंह सिसोदिया, मुजजमिल और आईटीएटी के अकाउंटेंट मेंबर कमलेश राठौर को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की। संदिग्ध लेन-देन, मिलीभगत और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों के संबंध में चारों आरोपी एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे, लेकिन कोई भी स्पष्ट व ठोस जवाब नहीं दे पाया।
नकद और दस्तावेजों की जांच जारी
इस रिश्वतकांड में अब तक एक करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक नकद और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं। सीबीआई इस मामले में लगभग 16 फाइलों की जांच कर रही है। बताया गया है कि आईटीएटी जयपुर में लंबे समय से चल रहे कथित रिश्वतखोरी सिंडिकेट पर 25-26 नवंबर को बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने इसका भंडाफोड़ किया था। शुरुआत एडवोकेट सुरेंद्र सिंह सिसोदिया को साढे़ पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ने से हुई, जिसके बाद पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ।

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