बसों में इमरजेंसी गेट की जगह लगा दी सीट आपदा के समय कैसे बाहर आएं यात्री
बसों में ऐसी मिल रही गड़बड़ियां
भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड के बाद परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग ने विशेष अभियान चलाया हैि
जयपुर। भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड के बाद परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग ने विशेष अभियान चलाया है। अभियान के तहत जयपुर आरटीओ प्रथम की टीम ने स्लीपर व अन्य बसों की जांच की, जिसमें कई कमियां मिली। इतना ही नहीं, बल्कि कई बसों में तो इमरजेंसी गेट के स्थान पर सीटें लगी मिली तो कई बसों में शीशे टूटे मिले। इस पर करीब दस बसों को सीज किया गया है। भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड में एक बस में कई यात्रियों की जलने से मौत हुई थी। इसके बाद बसों में सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़ी बसों में एक गेट के साथ 2 इमरजेंसी एग्जिट होने जरूरी हैं। केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम-1989 के नियम 125 सी के उप नियम 5 के अनुसार सिटिंग बस में एआईएस- 52, स्लीपर कोच में एआईएस-119 नियमों की पालना होनी चाहिए। वहीं फुली बिल्ट बॉडी वाली बस में एआईएस-153 मानकों के तहत बस की बॉडी बिल्डिंग और अनुमोदन होना जरूरी है लेकिन केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के इन नियमों की बसों के संचालन में पालना नहीं होती है। बसों में 2 इमरजेंसी एग्जिट गेट होने चाहिए, लेकिन इन इमरजेंसी एग्जिट गेट के स्थान पर भी सीट लगा दी जाती हैं। ऐसे में बस में आग लगने या अन्य किसी आपदा के समय यात्री बस के अंदर से बाहर नहीं निकल पाते। बसों की जो लम्बाई वाहन के पंजीयन के समय होती है, उसे बढ़ा दिया जाता है। इन गड़बड़ियों को लेकर आरटीओ जयपुर-प्रथम की टीम ने बसों का रियलिटी चैक किया, तो इसका पता चला। इसके बाद बसों के चालान और जब्ती की कार्रवाई की। इस दौरान कुल 10 बसों को मौके से ही जब्त किया गया।
बसों में ऐसी मिल रही गड़बड़ियां
स्लीपर बसों में निर्धारित लंबाई से अधिक लंबाई बढ़ाने, सिटिंग सीट की संख्या कम कर स्लीपर सीट बढ़ाने, बस में इमरजेंसी एग्जिट वाली जगह खाली नही है, बसों में इमरजेंसी एग्जिट वाली जगह पर कांच तोड़ने को हथौड़ा नहीं रहता, बस में लगेज बॉक्स को पूरी चैसिस पर लगा देते, इससे बैलेंस बिगड़ता है। वहीं बसों की छतों पर भी लगेज ढोया जाता हैं, जिससे हादसे की आशंका रहती है। वहीं कई बसों में शीशे टूटे मिले, उनके स्थान पर लकड़ी का प्लाई बोर्ड लगाया हुआ मिला।
इनका कहना है...
बसों व अन्य वाहनों की संघन जांच के लिए विशेष अभियान चलाया है। इस दौरान करीब एक दर्जन से अधिक बसों पर कार्रवाई की गई।
-राजेन्द्र सिंह शेखावत, आरटीओ जयपुर-प्रथम
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