‘ताबूत जिंदगी’ में दिखा नि:स्वार्थ भाव
लेखक आकर्ष खुराना की मास्टर क्लास से हुई महोत्सव की शुरुआत
जेकेके के कृष्णायन सभागार में स्टोरीटेलिंग का सत्र रंग गाथा रखा गया, जिसमें वक्ताओं ने अपनी कहानियां सुनाई।
जयपुर। दस दिवसीय रंग राजस्थान के सातवें दिन जेकेके में शनिवार को महोत्सव की शुरुआत सुबह 10 बजे फिल्म निर्देशक, लेखक आकर्ष खुराना की मास्टर क्लास से हुई। 35 लोगों की इस क्लास में रंगमंच के सफर और फिल्मों में आसानी से काम मिलने पर खूब सारी बातें हुई। इसके बाद जेकेके के कृष्णायन सभागार में स्टोरीटेलिंग का सत्र रंग गाथा रखा गया, जिसमें वक्ताओं ने अपनी कहानियां सुनाई। इसके बाद जेकेके के अलंकार में बातचीत सत्र रंग चौपाल का आयोजन हुआ, जिसमें अतिथि के रूप में अभिनेता तारुक रैना, अभिषेक शाह और वृंदा कैकर उपस्थित रहें। इसके बाद कृष्णायन सभागार में विजय कुमार नायक द्वारा निर्देशित नाटक ‘ताबूत जिंदगी’ का मंचन हुआ। ताबूत जिंदगी एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो गोवा में अपने परिवार के साथ रहता है। और ताबूत बनाने का काम करता है। उस व्यक्ति की एक खासियत है कि वो ताबूत बनाते वक्त गाने गाता है। मगर ताबूत बनाते वक्त गाने गाना उसकी पत्नी कर लड़के को पसंद नहीं है। क्योंकि किसी की मौत पर ताबूत बनाते वक्त गाना गाना अच्छा नहीं ऐसा उनका मानना है और वहीं उस व्यक्ति की बेटी उस व्यक्ति को प्रेम करती है। बस इसी कहानी के इर्द गिर्द ये नाटक चलता है। इसके बाद सात बजे जेकेके के रंगायन सभागार में नाटक देयर समथिंग इन द वाटर का मंचन हुआ। फिल्म निर्देशक और लेखक आकर्ष खुराना लिखित-निर्देशित ये नाटक दिल्ली के फ्रेंड सर्कल की एक कहानी है जहां एक मेडिकल डॉक्टर है, जिसके इर्द गिर्द ये नाटक होता है। वहां एक मंदिर निर्माण होने जा रहा है जहां नीचे पानी में कुछ गड़बड़ है बस इसी को लेकर सभी दृश्य है और नाटक खेला जाता है।

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