चांदी ने तोड़ा रिकॉर्ड : 1,12,500 रुपए प्रति किलो की नई ऊंचाई पर
एक दिन में 2900 रुपए महंगी सोना दो सौ रुपए चढ़ा
हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित किया है।
जयपुर। चांदी की कीमतों ने बुधवार को इतिहास रच दिया, जब यह 2,900 रुपए की शानदार उछाल के साथ 1,12,500 रुपए प्रति किलो के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) और हाजिर बाजार में चांदी की यह चमक निवेशकों के लिए आश्चर्यजनक रही। जयपुर सर्राफा बाजार में नए साल से अब तक सबसे तेज चांदी 23,900 रुपए, शुद्ध सोना 23,000 रुपए और जेवराती सोना 21,900 रुपए महंगा हुआ। बुधवार को शुद्ध सोना 200 रुपए बढ़कर 1,01,800 रुपए और जेवराती सोना 200 रुपए तेज होकर 95,500 रुपए प्रति दस ग्राम रहा।
चांदी की कीमतें 1,10,000 रुपए के स्तर को पार करने के बाद अब 1,18,000 रुपए तक जा सकती हैं। यदि फेड ब्याज दरों में और कटौती करता है, तो चांदी की मांग और बढ़ेगी। चांदी की यह चमक अभूतपूर्व है। त्योहारी सीजन और निवेशकों का बढ़ता रुझान इसे और ऊपर ले जा सकता है।
तेजी के प्रमुख कारण
ईरान-इजरायल तनाव: हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित किया है। निवेश का भरोसेमंद विकल्प माना जाता है।
औद्योगिक मांग में उछाल: चांदी का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर पैनल और ऑटोमोटिव उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है। वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग ने चांदी की खपत को बढ़ावा दिया है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां: फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और कमजोर होते अमेरिकी डॉलर ने चांदी की कीमतों को और बल प्रदान किया। डॉलर इंडेक्स में गिरावट से कमोडिटी की कीमतों को समर्थन मिला।
सोने-चांदी अनुपात में कमी: सोने और चांदी का मूल्य अनुपात 107 से घटकर 95 पर आ गया, जो चांदी की बढ़ती मांग को दर्शाता है। चांदी को सोने के मुकाबले अधिक आकर्षक मान रहे हैं।
त्योहारी और निवेश मांग: आगामी त्योहारी सीजन और शादियों के मौसम में चांदी की मांग में वृद्धि देखी जा रही है।
सर्वकालिक उच्च स्तर : जयपुर के बाजार में चांदी 1,12,500 रुपए प्रति किलो रही, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है। इससे पहले अप्रैल 2025 में चांदी ने 1,09,100 रुपए प्रति किलो का उच्चतम स्तर छुआ था।
चांदी में ऐतिहासिक तेजी
2011-12 की तेजी: अप्रैल 2011 में चांदी की कीमतें वैश्विक बाजार में 49 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई थीं। यह उस समय की सर्वकालिक उच्च थी, जिसका कारण 2008 की वैश्विक मंदी के बाद आर्थिक अनिश्चितता और निवेशकों का सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर रुझान था। भारत में भी चांदी की कीमतें उस समय 70,000 रुपए प्रति किलो के आसपास थीं।
2020 की उछाल: कोविड में वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने चांदी को 30 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंचा दिया। भारत में चांदी 76,000 रु. प्रति किलो तक पहुंची। तेजी का कारण महामारी और औद्योगिक मांग में कमी से निवेश मांग में वृद्धि थी।
2024 की शुरुआत: अप्रैल 2024 में चांदी ने 82,000 रुपए प्रति किलो का स्तर पार किया, जो उस समय का रिकॉर्ड था। वैश्विक बाजार में चांदी 28 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर थी।
2025 की रिकॉर्ड तोड़ तेजी: मई-जून 2025 में चांदी ने लगातार नए रिकॉर्ड बनाए। मई में यह 1,04,947 रुपए प्रति किलो तक पहुंची और अब जून में 1,12,500 रुपए का स्तर छू लिया।

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