राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद एसओजी ने हाईकोर्ट में लिया यू-टर्न : गहलोत
याचिका के अनुरूप एफआईआर को रद्द नहीं किया है
भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्रीजी की याचिका के अनुरूप एफआईआर को रद्द नहीं किया है।
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संजीवनी प्रकरण को लेकर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा दायर एक मुकदमे में हाईकोर्ट का फैसला वर्तमान में अदालत के सामने एसओजी द्वारा रखे गए तथ्यों के आधार पर आया है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद एसओजी ने हाईकोर्ट में यू-टर्न ले लिया। इस केस के जांच अधिकारी को भी हटा दिया गया एवं भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्री की याचिका के अनुरूप एफआईआर को रद्द नहीं किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की इजाजत लेकर आगे कार्रवाई की जा सकती है। गहलोत ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि एसओजी द्वारा 2023 में राजकीय अधिवक्ता को लिखे गए पत्र क्रमांक एसओजी/ एसएफआईयू/ आईएनवी/2023/220 में इस केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी, जिसके पेज नंबर 7 पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत एवं उनके परिजनों की अपराध में संलिप्तता होने की बात लिखी और आरोपी माना। इस रिपोर्ट में लिखा गया कि जिन कंपनियों की संलिप्तता संजीवनी स्कैम में है, उनसे गजेन्द्र सिंह शेखावत का सीधा संबंध है। इस केस के सैकड़ों पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात की तब मैंने एसओजी से इस मामले की जानकारी मांगी। तब एसओजी ने गृहमंत्री के रूप में मुझे इन तथ्यों एवं इस प्रकरण की प्रगति से अवगत करवाया। मेरा गजेन्द्र शेखावत के प्रति कोई व्यक्ति द्वेष नहीं था।
एसओजी की इस ब्रीफिंग के आधार बदले
गहलोत ने कहा कि एसओजी की इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मैंने मीडिया के सामने शेखावत एवं उनके परिजनों पर लगे आरोपों की जानकारी रखी। शेखावत ने भी अपने बयानों में अपनी स्वर्गीय माताजी पर लगे आरोपों का उल्लेख किया। राज्य के गृहमंत्री के रूप में मेरे सामने लाए गए तथ्यों को पीड़ितों एवं जनता के सामने रखना मेरा कर्तव्य था। अब राज्य में सरकार बदलने के बाद एसओजीपर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया, जिसके कारण एसओजी ने कोर्ट में यू-टर्न लिया और इन्हें आरोपी नहीं माना है।
निष्पक्ष जांच की मांग
पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में टीम बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए, जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में एसओजी द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में एसओजी ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।
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