कर्नाटक के सिरीधान्य, ओडिशा के मिलेट्स मिशन और तेलंगाना के मिलेट्स हब की तर्ज पर राजस्थान में खुलेंगे ‘श्रीअन्न आउटलेट्स’
आठ नए जिलों में उपभोक्ता भण्डारों के लिए सर्वे प्रक्रिया शुरू
सहकारिता विभाग ने बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड, फलौदी और सलूंबर जिले में भण्डार गठन के लिए सर्वे की प्रक्रिया के लिए 31 मई 2025 तक का समय तय किया है।
जयपुर। कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना की तर्ज पर अब राजस्थान सरकार भी मिलेट्स को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राज्य प्रत्येक जिले में विभिन्न स्थानों पर श्रीअन्न के आउटलेट्स खोले जाएंगे ताकि मिलेट्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही किसानों के लिए भी एक सशक्त बाजार तैयार किया जा सके। राज्य सरकार ने बजट वर्ष 2025-26 में भी इसकी घोषणा की थी। इसकी क्रियान्विति को लेकर अब सहकारिता विभाग ने आठ नए जिलों में योजना का खाका तैयार किया हैं। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम भी तय किया गया है।
नए जिलों में 31 मई तक सर्वे
सहकारिता विभाग ने बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड, फलौदी और सलूंबर जिले में भण्डार गठन के लिए सर्वे की प्रक्रिया के लिए 31 मई 2025 तक का समय तय किया है। इसके बाद सर्वे रिपोर्ट में वायबिलिटी होने पर आवेदन प्राप्त होने पर भण्डार की कार्यवाही के लिए 30 जून 2025 तक का समय तय किया गया है। नवीन जिलों के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
दूसरे राज्यों से राजस्थान की तुलना
कर्नाटक: कर्नाटक सरकार ने मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए सिरीधान्य ब्रांड लॉन्च किया है। इसमें स्कूल मिड-डे मील में भी मिलेट्स शामिल किए गए हैं। साथ ही बेंगलुरु में कई मिलेट्स आधारित स्टोर्स खोले गए हैं। राजस्थान का फोकस सहकारी भंडार के माध्यम से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में मिलेट्स उपलब्ध कराने पर है, जो कर्नाटक के शहरी केन्द्रित दृष्टिकोण से अधिक व्यापक है।
ओडिशा: ओडिशा ने ट्राइबल क्षेत्रों में मिलेट्स की खेती और खपत को पुनर्जीवित करने के लिए मिलेट मिशन शुरू किया। इसमें फूड फेस्टिवल्स और मिलेट्स रेसिपी प्रतियोगिताओं जैसे उपाय अपनाए गए हैं। राजस्थान ने न केवल उपभोग, बल्कि सहकारी प्रणाली के माध्यम से उत्पादन और वितरण की एकीकृत योजना बनाई है।
तेलंगाना: हैदराबाद को मिलेट्स हब के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसकी एक व्यापक मूल्य श्रृंखला विकसित की गई है, जिसमें प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और निर्यात शामिल हैं। राजस्थान का कदम सहकारी संस्थाओं पर आधारित है, जबकि तेलंगाना का दृष्टिकोण उद्योग केन्द्रित है। राजस्थान की योजना स्थानीय किसानों और उपभोक्ताओं को जोड़ने में अधिक सहायक हो सकती है।
बाजरा उत्पादन में राजस्थान टॉप
राजस्थान का देश में बाजरा, सरसों, कुल तिलहन एवं ग्वार फसलों के उत्पादन में पहला स्थान है। अर्थात करीब 50 लाख मेट्रिक टन बाजरा उत्पादन होता है, लेकिन इस बार भी एमएसपी पर बाजरे की खरीद नहीं होगी। राज्य सरकार की ओर से केन्द्र को इस संबंध में पत्र लिखा गया, लेकिन सकारात्मक परिणाम नहीं मिल सके हैं।
इन क्षेत्रों में खरीफ का सर्वाधिक उत्पादन
बाजरा, मोठ एवं तिल का शुष्क पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में शामिल जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी, बाड़मेर एवं बालोतरा, उत्तरी पश्चिमी सिंचित मैदानी क्षेत्र श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं अनूपगढ़ में कपास एवं ग्वार, अतिशुष्क आंशिक सिंचित पश्चिमी मैदानी क्षेत्र बीकानेर, जैसलमेर एवं चूरू में बाजरा, मोठ एवं ग्वार, अंत: स्थलीय जलोत्सरण के अंतवर्ती मैदानी क्षेत्र के सीकर, नीमकाथाना, चूरू के कुछ हिस्से को छोड़कर, झुंझुनूं, नागौर, डीडवाना एवं कुचामन में बाजरा, ग्वार एवं दलहन, लूनी नदी का अंतवर्ती मैदानी क्षेत्र के जालोर, सांचौर, सिरोही, पाली, ब्यावर, में बाजरा, ग्वार एवं तिल, अर्द्ध शुष्क पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अजमेर, जयपुर, दौसा, टोंक, दूदू, केकड़ी, तिजारा, कोटपूतली में में बाजरा, ग्वार एवं ज्वार का उत्पादन होता हैं।
इनका कहना है...
संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि टाइमलाइन के अनुसार नवीन जिलों में सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डारों के गठन की कार्यवाही सुनिश्चित करें।
- मंजू राजपाल, प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारिता

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