रविवार और अन्य सवैतनिक अवकाश को भी सेवा अवधि में किया जाए शामिल : हाईकोर्ट
याचिकाकर्ता की सेवा अवधि 246 दिन की होती है
राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के आदेश को खारिज कर दिया है।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें न्यायाधिकरण ने कर्मचारी की सेवा अवधि की गणना करते समय रविवार और अन्य सवैतनिक अवकाश को ध्यान में नहीं रखा था। इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण को नए सिरे से सुनवाई के लिए पुन: केन्द्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष भेजा है। अदालत ने न्यायाधिकरण को कहा है कि वह दोनों पक्षों को सुनवाई का मौका देकर नए सिरे से आदेश पारित करें। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश लाल चंद जिंदल की याचिका पर सुनवाई करते हुए।
याचिका में अधिवक्ता सुरेश कश्यप ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता बैंक का कर्मचारी था। उसकी सेवाओं को समाप्त करने के खिलाफ उसने न्यायाधिकरण, कोटा में दावा किया था। से न्यायाधिकरण ने 14 नवंबर, 2014 को यह कहते हुए तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया कि उसने एक कैलेंडर वर्ष में 240 दिन काम करना साबित नहीं किया हैं। इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि न्यायाधिकरण ने सेवा अवधि की गणना करते समय रविवार और अन्य सवैतनिक अवकाश को शामिल नहीं किया। जबकि नियमानुसार सेवा अवधि के बीच यदि कोई सवैतनिक अवकाश आता है तो उसे भी सेवा अवधि में ही शामिल किया जाएगा। इन अवकाश को शामिल करने पर याचिकाकर्ता की सेवा अवधि 246 दिन की होती है।
न्यायाधिकरण ने आदेश देते समय इसका ध्यान नहीं रखा है। औद्योगिक विवाद अधिनियम में भी इस संबंध में व्यवस्था दी गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकन एक्सप्रेस इंटरनेशनल बैंकिंग कॉरपोरेशन के कर्मचारियों के मामले में भी यह व्यवस्था दी है कि रविवार और अन्य सवैतनिक अवकाश को भी सेवा अवधि में माना जाएगा। इसलिए न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द करते हुए प्रकरण को नए सिरे से सुनवाई करते हुए एक साल में निर्णित करने को कहा है।
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