बयान दर्ज कराने आए आईपीएस ने न्यायिक अधिकारी से अभद्रता, कोर्ट ने दो घंटे न्यायिक अभिरक्षा में भेजा
रीट पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से हाईकोर्ट का इनकार
इस मामले में कोर्ट पिछले एक साल से एसपी को गिरफ्तारी वारंट से बुला रही थी, लेकिन वे मुख्य गवाही के लिए पेश ही नहीं हो रहे थे।
जयपुर। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम-6, महानगर प्रथम ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, आईपीसी एवं पशु कू्ररता अधिनियम से जुड़े मामले में गिरफ्तारी वारंट से गवाही के लिए हनुमानगढ़ एसपी अरशद अली को पीठासीन अधिकारी कल्पना पारीक से अभद्रता करने पर दो घंटे के लिए न्यायिक अभिरक्षा में ले लिया। हालांकि बाद में एसपी के खेद व्यक्त करने और तबीयत सही नहीं होने का हवाला देने पर कोर्ट ने उन्हें बैठने के लिए कुर्सी देकर उनके मुख्य बयान दर्ज किए। इस मामले में कोर्ट पिछले एक साल से एसपी को गिरफ्तारी वारंट से बुला रही थी, लेकिन वे मुख्य गवाही के लिए पेश ही नहीं हो रहे थे।
जबकि कोर्ट ने इससे पहले 2019 से ही उनके जमानती वारंट जारी किए हुए थे। इन जमानती वारंट की तामील ही नहीं हो पा रही थी। इसके बाद ही कोर्ट ने एसपी को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया था। मामले के अनुसार एसपी अरशद अली गिरफ्तारी वारंट की पालना में कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने पीठासीन अधिकारी से गिरफ्तारी वारंट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वे वीसी के जरिए ही पेश हो जाते। इस पर पीठासीन अधिकारी ने कहा कि यदि वे पहले इसके लिए प्रार्थना पत्र दायर करते तो उस पर निर्णय लिया जा सकता था। इस पर एसपी ने अपनी गलती नहीं मानी और पीठासीन अधिकारी से अभद्रता की। जिस पर कोर्ट ने चालानी गार्ड बुलाकर उन्हें दो घंटे के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। इसके बाद एसपी वापस पेश हुए तो उन्होंने खेद व्यक्त किया और कहा कि उनकी तबीयत खराब है। जिस पर कोर्ट ने मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए उन्हें बैठने के लिए कुर्सी मुहैया कराई और बयान देने के लिए कहा।
एसपी अरशद अली दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में ट्रायल के दौरान अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ कई सालों तक जेल में रहे हैं। अदालत ने बाद में सभी को दोषमुक्त कर दिया था। दरअसल, इस मामले में मौजूदा एसपी ने सालों पहले एसओजी में एएसपी के पद पर रहते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी और वे खुद ही परिवादी थे। इस मामले में सतीश, बद्री प्रसाद, रमाकांत, जुगल किशोर, शिवहरि, सुनील व मुन्ना आरोपी हैं।
रीट पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से हाईकोर्ट का इनकार
राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए आयोजित रीट-2021 परीक्षा के पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिकाओं को निस्तारित कर दिया हैं। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए।याचिकाओं में कहा गया था कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली हुई हैं। एसओजी ने पेपर लीक मानते हुए कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया हैं। पेपर लीक में बड़े लोगों का हाथ होने की आशंका है। ऐसे में मामले की सीबीआई से कराई जाए। जिसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि परीक्षा को रद्द कर पुन: परीक्षा आयोजित हो चुकी है। एसओजी ने भी मामले में जांच की है। ऐसे में याचिकाओं को निस्तारित किया जाए। इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से अदालत को कहा गया था कि पहले भी कई भर्तियों को एसओजी की जांच के बाद रद्द किया गया था। इसके अलावा याचिकाकर्ता अपने आप को राष्टÑीय स्तर का संगठन बताता है, लेकिन अन्य राज्यों में रद्द हुई विभिन्न भर्तियों को लेकर संगठन ने सीबीआई जांच की मांग नहीं की है। एसओजी मामले में निष्पक्षता से जांच कर रही है। ऐसे में जनहित याचिका को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने पेपर लीक की जांच सीबीआई को सौंपने ने इनकार करते हुए याचिकाओं को निस्तारित कर दिया हैं।
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