रीढ़ की हड्डी का एक ओर मुड़ना स्कोलियोसिस के लक्षण, न्यूरो और ऑर्थोपैडिक सर्जन्स की सलाह : स्कोलियोसिस के बारे में जागरूकता जरूरी
समय पर पहचान और जांच से इलाज संभव
रीढ़ की हड्डी का एक ओर असामान्य रूप से मुड़ना शरीर के लिए घातक हो सकता है।
जयपुर। रीढ़ की हड्डी का एक ओर असामान्य रूप से मुड़ना शरीर के लिए घातक हो सकता है। यह स्थिति स्कोलियोसिस कहलाती है और इसमें रीढ़ की हड्डी एस या सी आकार की दिखाई देती है। यह स्थिति अक्सर बच्चों और किशोरों में वृद्धि की अवधि के दौरान देखी जाती है लेकिन यह वयस्कों में भी हो सकती है। यह मामूली लक्षणों से शुरू हो सकती है लेकिन यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक समस्याएं पैदा कर सकती है। एसएमएस अस्पताल की न्यूरो और ऑर्थोपेडिक ओपीडी में भी स्कोलियोसिस के कई मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कोलियोसिस के बारे में जागरुकता बढ़ाना इसके प्रारंभिक पहचान, प्रभावी उपचार और बेहतर प्रबंधन के लिए बेहद जरूरी है।
यह हैं लक्षण :
1) असमान कंधे या कमर
2) एक तरफ का कूल्हा ऊंचा होना
3) एक ओर पसलियों का ज्यादा उभरना।
4) रीढ़ में वक्रता दिखाई देना और वयस्कों में पीठ दर्द इसके लक्षण हैं।
यह है इलाज : चिकित्सकों के अनुसार इसका निदान शारीरिक परीक्षण और एक्स-रे जैसे इमेजिंग टेस्ट द्वारा किया जाता है। इसका इलाज कर्व की स्थिति, रोगी की आयु और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करती हैं। हल्के मामलों में केवल नियमित निगरानी पर्याप्त हो सकती है। गंभीर मामलों में वक्रता को ठीक करने और रीढ़ को स्थिर करने के लिए स्पाइनल फ्यूजन सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
समय पर पहचान और जांच से इलाज संभव :
एसएमएस अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. अरविंद शर्मा और आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अवतार सिंह बलावत ने बताया कि इस बीमारी की जल्दी पहचान से इलाज काफी हद तक संभव है। खासकर बच्चों में इसका जल्दी पता चलना जरूरी है, क्योंकि वृद्धि के समय उनकी रीढ़ की हड्डी तेजी से आकार बदलती है।
अत्याधुनिक तकनीकों से कारगर इलाज :
डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि नेविगेशन और इंट्राऑपरेटिव न्यूरोमॉनिटरिंग जैसी तकनीकी प्रगति ने विकृति सुधार सर्जरी को और अधिक सुरक्षित बना दिया है। स्कोलियोसिस सर्जरी के बाद कई रोगियों को दर्द से राहत, बेहतर मुद्रा और सांस लेने में सुधार होता है।

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