भारत में डायबिटीज का नया चेहरा : सिर्फ शुगर नहीं, हार्ट, किडनी, लिवर की बीमारी भी है

डॉक्टर्स डे पर जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी ने दिया नया संदेश डायबिटीज को हल्के में न लें

भारत में डायबिटीज का नया चेहरा : सिर्फ शुगर नहीं, हार्ट, किडनी, लिवर की बीमारी भी है

मोटापा और डायबिटीज जब साथ आते हैं तो यह हार्ट, किडनी, लिवर, आंखों और नसों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

जयपुर। भारत को एक समय डायबिटीज की राजधानी कहा जाता था, लेकिन आज यह बीमारी कहीं ज्यादा खतरनाक रूप में हमारे सामने है। 
अब डायबिटीज सिर्फ शुगर की बीमारी नहीं रह गई, बल्कि ये हार्ट, किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंचाती है। आज जरूरत है कि हम डायबिटीज को सिर्फ ब्लड शुगर तक सीमित न रखें, बल्कि एक मल्टीऑर्गन डिजीज की तरह देखें और उसका समग्र इलाज करें। वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और पांच प्रतिशत से अधिक लोग प्री-डायबिटिक अवस्था में हैं। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि 40 प्रतिशत डायबिटिक मरीज मोटापे से भी जूझ रहे हैं और 90 प्रतिशत टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों का वजन सामान्य से अधिक है। मोटापा और डायबिटीज जब साथ आते हैं तो यह हार्ट, किडनी, लिवर, आंखों और नसों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

भारतीयों में डायबिटीज जल्दी और ज्यादा क्यों होती है
भारतीयों में इंसुलिन रेसिस्टेंस अधिक होता है यानी शरीर में इंसुलिन तो होता है लेकिन वह अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाता। तनाव, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अनियमित खानपान डायबिटीज को और बढ़ाते हैं। एक और गंभीर बात यह है कि भारत में डायबिटीज से जुड़ी हार्ट डिजीज पश्चिमी देशों की तुलना में 10 साल पहले शुरू हो जाती है। इसके अलावा डायबिटीज भारत में कम उम्र में शुरू होती है जिससे शरीर को ज्यादा वर्षों तक उसका बोझ झेलना पड़ता है। इसका अर्थ है लंबे समय तक हार्ट, किडनी और लिवर पर असर।


हर 6 से 12 महीने में ये जांचें करवाना जरूरी
हार्टचेकअप: ईसीजी, इकोकार्डियोग्राफी, लिपिडप्रोफाइल
किडनी की जांच: क्रीएटिनिन, ईजीएफआर, यूरीन एल्बुमिन
लिवर की जांच: एसजीओटी, एसजीपीटी, लिवर अल्ट्रासाउंड
आंखों की जांच: सालाना रेटिना स्क्रीनिंग
नर्वससिस्टम: न्यूरोपैथी जांच, मोनोफिलामेंट टेस्ट
साथ ही एचबीएवनसी, ब्लडप्रेशर, वजन और कोलेस्ट्रॉल की नियमित मॉनिटरिंग भी जरूरी है। 

ये सावधानी बरतनी जरूरी
वजन नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है।
हर डायबिटिक व्यक्ति को सालाना हार्ट, किडनी और लिवर की स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
बचपन का मोटापा भविष्य की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। बच्चों की सेहत पर ध्यान दें।
अपने डॉक्टर से सम्पूर्ण इलाज और नई वैज्ञानिक दवाओं की जानकारी लें।

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