सोशल इंजीनियरिंग करने वाले को मिलेगी फुलेरा में जीत
फुलेरा विधानसभा सीट पर सीधे तौर पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है। फिर से दोनों चिर परिचित प्रतिद्वंदी आमने सामने हैं।
जयपुर। फुलेरा विधानसभा सीट पर सीधे तौर पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर है। फिर से दोनों चिर परिचित प्रतिद्वंदी आमने सामने हैं। दोनों प्रत्याशियों में से जो आखिरी दिन तक सोशल इंजीनियरिंग करने में सफल होगा, जीत उसे ही मिलेगी। कांग्रेस इस सीट पर 20 साल से काबिज नहीं हो पा रही तो इस बार हर हाल में हासिल करना चाहती है, वहीं भाजपा के पास जीत बरकरार बनाए रखने की चुनौती बनी हुई है। पिछली बार यह सीट भाजपा प्रत्याशी ने मामूली अंतर से जीती थीं। फुलेरा भाजपा की मजबूत सीटों में से एक मानी जाती है, क्योंकि पिछले चार बार से लगातार चुनाव जीत रही है। इस जीत के रथ को रोकने के लिए इस बार कांग्रेस ने पूरी दम लगा रखी है। यहां भाजपा ने विधायक निर्मल कुमावत पर फिर से दाव खेला है तो कांग्रेस ने पुराने चेहरे विद्याधर चौधरी पर दाव खेला है।
जाट- कुमावत का बोलबाला
फुलेरा में 2.39 लाख मतदाताओं में जाट 54 हजार, कुमावत 49 हजार, यादव 14 हजार, मुस्लिम 15 हजार, ब्राह्मण 16 हजार, वैश्य 14 हजार, राजपूत आठ हजार, गुर्जर पांच हजार, एस-एसटी 35 हजार, सैनी पांच हजार, स्वर्णकार ढाई हजार,नाई तीन हजार और अन्य 19 हजार हैं। लिहाजा जातिगत सोशल इंजीनियरिंग बड़ा फैक्टर रहेगा।
1993 से चुनावी मैदान में डटे है सावरमल शर्मा
फुलेरा विधानसभा में एक प्रत्याशी ऐसे भी है जो 1993 से 2023 तक 30 सालों से चुनाव मैदान में डटे हुए है। हर बार विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं मिल पाई है। शर्मा का कहना है कि कांग्रेस और भाजपा जाट और कुमावत को ही टिकट देती है। अन्य जातियों के सिर्फ इन्हें वोट चाहिए।

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