पद दंगल और रिम भवई की प्रस्तुति ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
कलाकारों के स्थान पर पुरुष कलाकारों को प्रथम पंक्ति में प्रस्तुति के लिए रखा
पर्यटन विभाग की ओर से ‘कल्चरल डायरीज’ चौथे संस्करण के तहत शुक्रवार को अल्बर्ट हॉल पर प्रदेश के लोक कलाकारों ने घूमर, पद दंगल, मंजीरा सहित अन्य प्रस्तुतियां दीं
जयपुर। पर्यटन विभाग की ओर से ‘कल्चरल डायरीज’ चौथे संस्करण के तहत शुक्रवार को अल्बर्ट हॉल पर प्रदेश के लोक कलाकारों ने घूमर, पद दंगल, मंजीरा सहित अन्य प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम की शुरुआत संगीता सिंघल के नेतृत्व में पारंपरिक घूमर और मंजीरा नृत्य की प्रस्तुति से हुई। इसके पश्चात पारंपरिक मंजीरा नृत्य में भी इस बार महिला कलाकारों के स्थान पर पुरुष कलाकारों को प्रथम पंक्ति में प्रस्तुति के लिए रखा।
पद दंगल कला एवं इस कला के तीसरी पीढ़ी के कलाकार प्रभुलाल मीणा ने 15 लोक कलाकारों की टीम के साथ में घेरा पद दंगल और ढूंढाढ़ की अद्भुत वाकपटुता और आशुकवित्व, मोती डूंगरी वाल्ड़ा थारा बाजगा बाजा और गुलाबी पगड़ी ये गैटोर का राजा जैसे लोक गीतों की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। अलवर के प्रसिद्ध लोक कलाकार बन्ने सिंह प्रजापत रिम भवई नृत्य कला के अविष्कारक और प्रथम पीढ़ी के कलाकार माने जाते हैं। उन्होंने अल्बर्ट हॉल पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में अपने 10 कलाकारों के साथ ‘ढोला मारो अलवर सूं आयो, बिछिया बाजणा ल्यायो लोक गीत पर रिम भवई नृत्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के अधीक्षक महेन्द्र निम्हल, पर्यटन विभाग के उप निदेशक नवल किशोर बसवाल सहित विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
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