जल संकट : परवन नदी किनारे ग्रामीणों के कंठ सूखे, बिन पानी सब सून

मवासा डैम बने तो मिलेगा लोगों को लाभ

जल संकट : परवन नदी किनारे ग्रामीणों के कंठ सूखे, बिन पानी सब सून

घटते जल स्तर का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ेगा।

चंदीपुर। चंदीपुर क्षेत्र की परवन नदी फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में ही पूरी तरह से सुख जाने से किसानों को चिंता सताने लगी है। बरसात के मौसम की अगर बात की जाए तो क्षेत्र में काफी कम बारिश हुई थी जिससे क्षेत्र के तालाब व कुओं का जलस्तर भी नही बढ़ पाया था। परवन नदी में जावर पुलिया से लेकर क्षेत्र के बट्टूखेड़ी गांव के पास एक मात्र एनिकट है, जिससे क्षेत्र के करीबन 10 गांव जिसमे बट्टूखेड़ी, मोतीपुरा,कोलूखेड़ी मेवातीयान, ,पीपलखेड़ी, सादला, जतावा,  जावरी,भुमरिया,ढाबा,देवरी जागीर आदि गांव के लोग खेतो में सिंचाई करते है और जीवन यापन करते है।  क्षेत्र के किसानों का कहना है कि बट्टूखेड़ी गांव में करीबन 2007-2008 में एनीकट का निर्माण हुआ था, तब से ही परवन नदी में पर्याप्त मात्रा में पानी भरा होता था, जो सर्दी गर्मी में भी भरा रहता था, लेकिन करीबन 15 साल बाद परवन नदी में पानी सुख जाने के कारण क्षेत्र में पानी कि समस्या उत्पन होने लगी है, यहां तक कि क्षेत्र के कुआं, ट्यूबवेलो का जलस्तर कम हो जाने से क्षेत्र के किसानों को फसले सूखने की चिंता सताने लगी है।

मनोहरथाना क्षेत्र में है एक मात्र कालीखाड़ डैम
मनोहरथाना क्षेत्र में सबसे बड़ा डेम एक मात्र कालीखाड़ डैम है, जिसमें कालीखाड नदी का पानी इकट्ठा होता है जिससे कई गांवों में नहर के माध्यम से सिंचाई होती थी, लेकिन इस वर्ष बारिश कम होने से कालीखाड़ डैम नहीं भरने के कारण नदी, तालाब,कुआं, ट्यूबवेलो में जल स्तर कम हो गया, जिससे क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न हुई। वही अगर क्षेत्र में मवासा डेम का निर्माण होता है तो यह मनोहरथाना क्षेत्र का सबसे बड़ा डैम होगा, जिससे कई गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा। साथ ही जल स्तर बढ़ेगा। साथ जिससे किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी की पूर्ति हो सकेगी। ग्रामीणों का कहना है कि मवासा डेम बनने के लिए सर्वे भी कई बार कर लिया गया, लेकिन अभी तक मवासा डैम का निर्माण नहीं हो सका। अगर मवासा डैम बन जाएगा तो खेरखेड़ा चंदीपुर,शोरती ग्राम पंचायत के गांवों के किसानों को फायदा मिलेगा। साथ ही क्षेत्र में कई गांवों में पानी के समस्या दूर हो जाएगी।

अप्रैल -मई महीने में बढ़ सकती है मुसीबत
वर्तमान समय में बहुत बुरे हालत उत्पन्न तो नहीं हुए लेकिन बढ़ती गर्मी के साथ पानी के बड़े संकट से इनकार नहीं किया जा सकता। घटते जल स्तर का सीधा प्रभाव मानव जीवन पर पड़ेगा। अगर स्थिति यही रही तो अप्रैल मई जून महीने में हालात और भी खराब हो सकते हैं।

पशु पक्षियों के लिए होगी और दिक्कत
इंसान तो किसी ना किसी रूप में खुद के लिए पानी की व्यवस्था कर लेता है लेकिन पशु पक्षियों के लिए जल संकट एक बड़ी समस्या बन जाती है। नदी नाले पशु पक्षियों के लिए एकमात्र पानी का स्रोत होते हैं जो लेकिन इस बार नदी तालाब अभी सही सूखने लग गए। ऐसे में मनुष्यों से ज्यादा पशु पक्षियों के लिए पानी की पूर्ति करना कठिन हो जाएगा।

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परवन नदी सूखने से मछली पालन हुआ प्रभावित
परवन नदी में कई सालों से पर्याप्त मात्रा में पानी होने से मछली पालन भी काफी मात्रा में हो रहा था, जिससे लोग मछली पालन करके अपना जीवन यापन कर रहे थे, लेकिन इस बार परवन नदी सुख जाने से मछली पालन पर भी बुरा असर पड़ा है। 15 साल बाद मछलियां नदी में पानी की कमी के कारण शिकार हो गई।

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फसलें हो रही प्रभावित
परवन नदी में पानी की कमी के कारण फसल चक्र पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। हजारों किसानों की फसलें प्रभावित हो रही है। वहीं नदी किनारे बसे गांव के किसान हर मौसम में अपने खेतों की सिंचाई भी परवन नदी से करते आ रहे हैं पर अब सिंचाई धीरे-धीरे बंद हो रहा है पेयजल के स्रोत पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।

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इनका कहना है
बट्टूखेड़ी गांव में एनिकट बनने के बाद पहली बार परवन नदी सुखी है, पानी की वजह से फसलों में काफी नुकसान हुआ है। वही क्षेत्र में मवासा डेम का कई बार सर्वे होने के बाद अभी तक निर्माण नहीं हो सका। अगर मवासा डैम का निर्माण जो जाता है तो क्षेत्र में जलस्तर बढ़ जाएगा और पानी की समस्या दूर हो जाएगी।
-,प्रेमनारायण पटेल, बट्टूखेड़ी

इस बार परवन नदी में मछली पालन का टेंडर था, लेकिन इस नदी में फरवरी महीने में ही पानी सुख जाने से काफी मछली पानी को वजह से मर गई, जिससे काफी नुकसान हुआ है। 
- भेरूलाल मेवाडा, मछली पालक देवरी जागीर

यह एनिकट हमारे जलदाय विभाग के अंतर्गत नहीं आता है। 
- अजय सिंह मीणा, कनिष्ठ अभियंता पीएचडी

बट्टूखेड़ी एनिकट की मरम्मत कार्य के लिए सिंचाई विभाग को अवगत करवाया जाएगा।
- रेखा लोधा, सरपंच ग्राम पंचायत शोरती

बट्टूखेड़ी के पास परवन नदी में बने एनिकट से 10 गांवों के लोग सिंचाई करते हैं, लेकिन इस बार एनिकट क्षतिग्रस्त होने से पानी बह रहा है। एनिकट को बने हुए 15 साल हो गए हैं कभी भी पानी नहीं खत्म हुआ, लेकिन इस बार क्षतिग्रस्त एनिकट से पानी निकलने से किसानों की फसलों में पानी की समस्या पैदा हो गई है। प्रशासन से निवेदन है कि इसकी मरम्मत करवाई जाए।
- दौलत राम, लोधा किसान बट्टूखेड़ी

बट्टूखेड़ी एनिकट में रबर रिंग लगेज होने से पानी बहता रहा। साथ ही एनिकट में नीचे से पानी बैठक लेने लग गया। इसकी मरम्मत को लेकर जब मैं प्रधान था उस समय मरम्मत कार्य के लिए पीएचडी को अवगत करवा दिया था, लेकिन मरम्मत कार्य नहीं होने से एनिकट बनने 15 साल बाद पहली बार परवन नदी सुखी है। साथ ही कालीखाड डैम से नहरों को अर्जुनपूरा तक बढ़ाया जाए। वही मवासा डैम का निर्माण किया जाए।
- कमलेश लोधा पूर्व प्रधान पंचायत समिति मनोहरथाना

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