600 से अधिक किलोमीटर के साइकिलिंग चैलेंज में शामिल होने वाली एकमात्र भारतीय महिला
मलेशिया-सिंगापुर ऑडेक्स रैंडोन्यूर्स में छाई जोधपुर की साइक्लिस्ट रेणु सिंघी
300 किलोमीटर की सिंगापुर ऑडेक्स रैंडोन्यूर्स जोहार से शुरू होकर पहाट व कुकुप होते हुए वापस जोहार पहुंचकर फिनिश हुई।
जोधपुर। मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं होती। इस तथ्य को सही साबित किया 59 वर्षीय साइकिलिस्ट रेणु सिंघी ने जो गत दिनों 600 से अधिक किलोमीटर की मलेशिया ऑडेक्स और सिंगापुर ऑडेक्स रैंडोन्यूर्स सफलता पूर्वक पूरी कर लौटी हैं। मलेशिया ऑडेक्स में विभिन्न देशों के 130 साइक्लिस्ट और सिंगापुर ऑडेक्स में 15 साइक्लिस्ट शामिल हुए। खास बात ये है कि इन दोनों राइड में शामिल होने वाली रेणु सिंघी भारत की एकमात्र महिला साइक्लिस्ट हैं। वे वर्तमान में जोधपुर के जीत यूनिवर्स व मेडिपल्स हॉस्पिटल की डायरेक्टर व जयपुर की पूर्णिमा यूनिवर्सिटी की एडवाइजर हैं।
14 बार हासिल किया एसआर स्टेटस
रेणु सिंघी लंदन एडिनबर्ग लंदन 2022 एवं अल्ट्रा साइकिलिंग चैलेंज नॉर्थ केप 4200 पूर्ण करने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं और 14 बार एसआर का स्टेटस हासिल कर चुकी हैं। वे अगस्त19 में फ्रांस में आयोजित पेरिस -बे -पेरिस में 92 घंटे में 1220 किलोमीटर साइकिलिंग कर चुकी हैं। यही नहीं उन्होंने अक्टूबर 21 में श्रीनगर से खारदुंगण्ला होते हुए तुरतुक तक करीब 620 किलोमीटर की टास्क भी पूरी की है। वे दिल्ली से मुंबई तक केवल पांच दिन में 1500 किलोमीटर साइकिलिंग भी कर चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि साइकिलिंग के प्रति इस खास जुनून की वजह से रेणु सिंघी लोगों के लिए आज मिसाल बन चुकी हैं और साइकिलिंग ग्रुप में उन्हें आयरन लेडी के रूप में जाना जाता है।
टॉस्क को 20 घंटे में पूरा करने का मिला चैलेंज
300 किलोमीटर की सिंगापुर ऑडेक्स रैंडोन्यूर्स जोहार से शुरू होकर पहाट व कुकुप होते हुए वापस जोहार पहुंचकर फिनिश हुई। रेणु सिंघी ने बताया, 305 किलोमीटर की ऑडेक्स पीक चैलेंज मलेशिया को 20 घंटे में फिनिश करने का टास्क मिला था। मगर हमने इसे साढ़े 11 घंटे में पूर्ण किया। दोनों राइड के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जिनमें सबसे प्रमुख वेज फूड उपलब्ध नहीं होने से भूखे रहकर और सिर्फ पानी, कोल्ड ड्रिंक और चुनिंदा फूड आइटम्स के दम पर साइकिलिंग करनी पड़ी। रेणु सिंघी जोधपुर के साइक्लिस्ट भूपेंद्र जैन, भूपेंद्र गहलोत व सुभाष विश्नोई को अपनी इस सफलता का श्रेय देती हैं। जिन्होंने उन्हें इन चुनौतीपूर्ण राइड के लिए मोटिवेट कर इसकी काफी तैयारी करवाई।

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