आठ करोड़ से बना सिंथेटिक ट्रैक अब धूल-धाणी ,एथलीटों के सपनों पर लग रहा विराम
श्रीनाथपुरम स्टेडियम बना पिकनिक स्पॉट
मैदान पर चल रही अवैध अकादमियां, महंगा ट्रैक बदहाली की कगार पर।
कोटा। हाड़ौती क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में लंबे समय तक पिछड़ने की एक बड़ी वजह थी सिंथेटिक ट्रैक का अभाव। जब तक खिलाड़ियों के पास उपयुक्त ट्रैक नहीं था, कई प्रतिभाएं बड़े स्तर की प्रतिस्पधार्ओं में कदम-दर-कदम पिछड़ जाती थीं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से कोटा के श्रीनाथपुरम स्टेडियम में प्रदेश का पांचवां सिंथेटिक ट्रैक बनकर तैयार हुआ, तो एथलीटों में नई उम्मीद जगी थी। करीब 8 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह ट्रैक युवाओं के भविष्य का आधार बनने वाला था, लेकिन आज इसकी दुर्दशा देखकर लगता है कि यह सुविधा अब उपेक्षा एवं अव्यवस्था की चपेट में आ चुकी है।
सिंथेटिक ट्रैक पर छोटे-छोटे गड्ढे, टूटे ट्रैक के किनारे
ट्रैक के कई हिस्से टूटने लगे हैं, किनारे उधड़ चुके हैं और बीच-बीच में गड्ढेनुमा छेद बन चुके हैं। यदि तेज दौड़ के दौरान खिलाड़ी का पैर इन गड्ढों में पड़ जाए तो गंभीर चोट का खतरा है। 8 करोड़ रुपए की सुविधा इतनी जल्दी खराब हो जाना बदइंतजामी की सबसे बड़ी मिसाल माना जा रहा है।
स्पाइक शूज की अनदेखी, ट्रैक पर दौड़ रहे चप्पलधारी लोग
एथलेटिक्स में सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ने के लिए स्पाइक शूज अनिवार्य होते हैं। लेकिन यहां लोग सामान्य जूते, स्पोर्ट्स शूज, यहां तक कि चप्पलों में घूमते और दौड़ते नजर आते हैं। इससे ट्रैक की सतह पर लगातार नुकसान हो रहा है। जिन खिलाड़ियों को इस ट्रैक का उपयोग बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए करना था, वे अब भीड़ और गलत उपयोग से निराश होकर दूसरे मैदानों की तलाश कर रहे हैं।
ट्रैक के बीच बना हरा मैदान अब मल्टीपर्पस ग्राउंड
सिंथेटिक ट्रैक के बीच की हरी घास का मैदान भी अब सबके लिए फिटनेस जोन बन चुका है। यहां एक साथ भाला फेंक, फुटबॉल, वॉकिंग, योग, व्यायाम की क्लासें सब चल रही हैं। ऐसे में एथलेटिक्स जैसे स्पेशलाइज्ड खेल की प्रैक्टिस लगभग असंभव हो गई है।
यूं हो सकता है समाधान
-स्टेडियम में प्रवेश के लिए कार्ड सिस्टम लागू हो
-अवैध अकादमियों पर त्वरित कार्रवाई
-सीसीटीवी पुन: चालू हों
-ट्रैक पर केवल एथलेटिक्स गतिविधियों की अनुमति
-बच्चों और सामान्य जनता के लिए अलग वॉकिंग ट्रैक बनाना
-सुरक्षा व मेंटेनेंस के लिए स्थायी स्टाफ तैनात किया जाए
सिंथेटिक ट्रैक पर चम्बल गार्डन जैसा नजारा
सुबह-शाम श्रीनाथपुरम स्टेडियम का दृश्य किसी स्टेडियम से ज्यादा एक पिकनिक स्पॉट या चम्बल गार्डन जैसा दिखाई देता है। यहां बच्चे, महिलाएं, युवा, बुजुर्ग सब बेधड़क इस उच्च गुणवत्ता वाले ट्रैक पर सैर-सपाटा करते नजर आते हैं। एथलेटिक्स में अपना करियर बनाने की चाह रखने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए यह माहौल किसी चुनौती से कम नहीं। जिन खिलाड़ियों को तेज दौड़, स्प्रिंट और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए इस ट्रैक की जरूरत है, वे घंटों भीड़ के बीच जगह तलाशते रह जाते हैं। भीड़ और अव्यवस्था के बीच अभ्यास करना लगभग नामुमकिन हो चुका है। एथलेटिक्स जैसे संवेदनशील खेल में, जहां हर सेकंड और हर कदम मायने रखता है, वहां इस तरह की भीड़ उनके सपनों पर ब्रेक की तरह काम कर रही है।
- तरुण शर्मा, एथलेटिक कोच, कोटा
अवैध अकादमियों का जमावड़ा, सरकार को नहीं आमदनी
श्रीनाथपुरम स्टेडियम की एक बड़ी समस्या है अवैध रूप से चल रही खेल अकादमियों का वर्चस्व। कई प्रशिक्षक बिना किसी अनुमति के ट्रैक पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इन अकादमियों में आने वाले बच्चों से 2,000 से 3,000 रुपए तक की फीस वसूली जा रही है। बच्चों को खेल कोटे से नौकरी दिलाने के लालच दिए जाते हैं, जबकि न तो इनके पास मान्यता है और न ही कोई नियमित नियंत्रण। सरकार को इस पूरे संचालन से एक रुपये की आमदनी भी नहीं, जबकि सार्वजनिक सुविधा का निजी उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
-सुरेश व्यास, श्रीनाथपुरम क्षेत्र
ट्रैक पर बच्चों से लेकर कुत्तों तक की आवाजाही
श्रीनाथपुरम ट्रैक की बदहाल स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि यहां छोटे-छोटे बच्चे ट्रैक पर मिट्टी डालते नजर आते हैं। जब कोई जागरूक खिलाड़ी उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो कई बार उनके पैरेंट्स ही विवाद खड़ा कर देते हैं झगड़ा, बहस, धमकी सबकुछ आम हो चुका है। ट्रैक पर आवारा कुत्तों का घूमना भी रोजमर्रा की बात है। सिंथेटिक सतह पर कुत्तों के पंजों से खरोंच और नुकसान लगातार बढ़ रहा है।
-एमपीसिंह, पूर्व डीएफओ अध्यक्ष
सीसीटीवी बंद, सुरक्षा भगवान भरोसे
स्टेडियम परिसर में लगे अधिकांश सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े हैं। कई घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन फुटेज न मिलने के कारण कोई कार्रवाई संभव नहीं होती। बाहर तैनात बुजुर्ग गार्ड केवल औपचारिकता निभाते नजर आते हैं। ट्रैक पर आने वाले लोगों के वाहन सड़क किनारे खड़े कर दिए जाते हैं, जिससे ट्रैफिक भी प्रभावित हो रहा है। श्रीनाथपुरम क्षेत्र पॉश इलाका है। यहां कई बड़े पदों पर बैठे लोग रहते हैं और कथित राजनीतिक दबदबा दिखाते हुए ट्रैक का मनमाना उपयोग हो रहा है। केडीए (कोटा विकास प्राधिकरण) पर निगरानी की जिम्मेदारी है, परंतु राजनीतिक प्रभाव के चलते अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
उठाने होंगे बड़े कदम
यह राजस्थान का पांचवां सिंथेटिक ट्रैक है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। जयपुर, गंगानगर, चुरू और जोधपुर में बने ट्रैक पूरी तरह सक्रिय हैं और उनके खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में कोटा जैसे शिक्षा नगरी में बना सिंथेटिक ट्रैक इस तरह बर्बाद होता देखना निराशाजनक है। यहां सरकार को यहां आने वालों के लिए फीस व पास जारी करने चाहिए।
विनोद ग्रेवाल, कोच
इनका कहना है
सिंथेटिक ट्रैक केवल राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए ही निर्धारित है। प्रयास रहेगा कि आमजन का प्रवेश यहां प्रतिबंधित रहे। खिलाड़ियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुख्ता सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
- वाई बी सिंह, जिला खेल अधिकारी

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