बाहर से जितना खूबसूरत, अंदर से उतना ही बदहाल कोटा का वैभव जगमंदिर

किशोर सागर तालाब में जगमंदिर लापरवाही का हो रहा शिकार

बाहर से जितना खूबसूरत, अंदर से उतना ही बदहाल कोटा का वैभव  जगमंदिर

मंदिर के गार्डन में जगह-जगह गंदगी के ढेर, दुर्गंध से पर्यटक परेशान।

कोटा। किसे दिखाऊं दहन दाह, किस अंचल में सो जाऊं, पास बहुत है पतझर मुझसे, दूर बहुत मधुमास है, जल-जल कर बुझ जाऊं, मेरा बस इतना इतिहास है... कोटा का वैभवशाली इतिहास और राजपूती स्थापत्य कला का बेहतरीन प्रतिक जगमंदिर अपनी चमक खोता जा रहा है। शहर की पहचान किशोर सागर तालाब का जगमंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बह रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही से कोटा का वैभवशाली इतिहास अपनी बर्बादी पर आंसू बहा रहा है। हालात यह हैं, जगमंदिर बाहर से जितना खूबसूरत नजर आता है, उतना ही अंदर से बदहाल  हो रहा है। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। फाउंटेन में पानी की जगह कीचड़ जमा है। मृत पक्षियों के अवशेष से उठती दुर्गंध से पर्यटकों का हाल बेहाल है। जबकि, इस मंदिर को देखने के लिए प्रतिदिन सैंकड़ों पर्यटक आते हैं। 

एक-दूसरे पर ढोल रहे जिम्मेदारी 
जगमंदिर का रिनोवेशन, सार-संभाल व देखरेख की जिम्मेदारी यूआईटी व पुरातत्व विभाग एक-दूसरे पर ढोल रहे हैं। नगर विकास न्यास के अधिकारियों का कहना है, हम मरम्मत करवाना चाहते हैं, जिसके लिए पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा है लेकिन वहां से अब तक कोई जवाब नहीं मिला। जबकि, पुरातत्व विभाग के अधिकारी कहते हैं, इसकी सार-संभाल का जिम्मा यूआईटी को दे रखा है। नियमों के अनुसार मरम्मत कार्य करवा सकते हैं। इस संबंध में हमारे पास कोई पत्र नहीं आया है। दोनों विभागों की खींचतान में ऐतिहासिक जगमंदिर बदहाली की कगार पर पहुंच गया।  

गंदगी के ढेर, दुर्गंध से पर्यटक परेशान
नेचर प्रमोटर एएच जैदी कहते हैं, शहर का हृदयस्थल जगमंदिर के गार्डन में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। कचरा पात्र टूटे हुए हैं। जिसमें भोजन सामग्री, खाली बोतले, चाय-नाश्ते के कप प्लेट बिखरे पड़े हैं। समय पर कचरा नहीं उठता। गंदगी से उठती दुर्गंध से पर्यटकों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 में इंटेक की पहल पर जगमंदिर का बेहतरीन विकास हुआ था। पूर्व में यहां सफाईकर्मी हुआ करते थे, पानी की मोटरों से इसकी धुलाई होती थी लेकिन आज देखभाल तक नहीं हो रही।

खुले पड़े बिजली के तार, करंट का खतरा
नेचर प्रमोटर एएच जैदी बताते हैं, जगमंदिर को देखने की चाहत में प्रतिदिन सैंकड़ों पर्यटक आते हैं। लेकिन जैसे ही वे अंदर पहुंचते हैं तो अव्यवस्थाएं देख दंग रह जाते हैं। बिजली के तार खुले पड़े हैं। सीढ़ियों के पत्थर टूटे हुए हैं। बारहदरी में गंदगी पसरी है। ऊपर की सीढ़ियों  की सुरक्षा पत्थर की जाली टूटी पड़ी है। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है। जबकि, पर्यटकों के साथ बच्चे भी आते हैं। 

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पर्यटकों को मिले सुविधा, संवारे विरासत
इंटेक को-कंवीनर बहादूर सिंह हाड़ा कहते हैं, जगमंदिर कोटा की  अनमोल विरासत है, जिसकी दुर्दशा देख न केवल पर्यटक बल्कि शहरवासी मायूस हैं। मंदिर का स्वरूप वैभवशाली है, जो यूआईटी अधिकारियों की लापरवाही से बदहाल है। यहां स्थाई कर्मचारी लगाया जाना चाहिए। नियमित साफ-सफाई हो। फव्वारें फिर से चालू कर रंग बिरंगी लाइटें लगाई जाए। इसकी जल्द से जल्द मरम्मत करवाई जानी चाहिए। ताकि, पर्यटक धरोहर से रुबरू हो सके। 

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फाउंटेन बंद, सांप-चूहों के बने बड़े-बड़े बिल
इंटेक कंवीनर निखिलेश सेठी कहते हैं, लोकसभा चुनाव से पहले जिला कलक्टर ने यूआईटी को सार-संभाल के निर्देश दिए थे। जगमंदिर कोटा की पहचान है, जो वर्तमान में दुर्दशा का शिकार हो रहा है। मंदिर के गार्डन में फाउंटेन लगे है, जो बंद पड़े हैं। उनमें कीचड़ जम रहा है। वहीं, गार्डन में चूहों व सांपों ने बड़े-बड़े गड्ढेÞ कर बिल बना रखे हैं। बारहदरी में कबूतरों की गंदगी व छत पर जाने की सीढ़ियों की जाली टूटी पड़ी है। जिससे हादसे का खतरा बना रहता है। 

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डिजाइनर लाइटें व लोहे की रेलिंग गायब
सेठी ने बताया कि जगमंदिर का मुख्य गेट नहीं है। जेटी स्थित चबूतरे के दोनों ओर लोहे की रेलिंग लगी हुई थी जो आज गायब हो गई। वहीं, रंग-बिरंगी डिजाइनर फॉक्स लाइटें भी चोरी हो चुकी है। दीवारों पर लगे लाल पत्थर उखड़े चुके हैं। पूर्व में इंटेक के मार्गदर्शन में लाखों का जीर्णोंद्धार हुआ था। वर्तमान में जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से ऐतिहासिक स्थल अपना स्वरूप खोता जा रहा है। यह जगमंदिर शहर की पहचान है, जिसे संवारने की आवश्यकता है। 

इनका कहना है
यह प्रोपर्टी पुरातत्व विभाग की है। मैंने स्वयं अपनी टीम के साथ किशोर सागर तालाब किनारे यूआईटी द्वारा करवाए गए विकास व सौंदर्यीकरण कार्यों का अवलोकन किया था। इस दौरान जगमंदिर का भी विजिट किया। जगमंदिर की देखरेख, रिनोवेशन, साफ-सफाई, सार-संभाल करना चाहते हैं, लेकिन हमें लिखित में परमिशन तो मिले। इस संबंध में हमने पुरातत्व विभाग को पत्र भी लिखे हैं। जैसे ही परमिशन मिलेगी, हम सभी आवश्यक कार्य करवा देंगे।
- कुशल कोठारी, सचिव केडीए

यूआईटी को जगमंदिर के सार-संभाल का जिम्मा दे रखा है। इसकी मरम्मत, साफ-सफाई, रंग रोगन सहित आवश्यक मेटिनेंस कार्य खुद करवा सकती है। वहीं, नगर विकास न्यास की ओर से इस संबंध में हमें कोई पत्र नहीं मिला है। 
- हरिओम चौरसिया, सहायक लेखाधिकारी, पुरातत्व विभाग कोटा

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