कोटा में चल रहा सफेद दूध का काला खेल

खाद्य और स्वास्थ्य अमला उदासीन

कोटा में चल रहा सफेद दूध का काला खेल

शहर में जितना भी दूध खुला बिक रहा है उसमें से लगभग 10 प्रतिशत दूध नकली है। एक अनुमान के अनुसार पूरे कोटा शहर में इस समय कोटा डेयरी या अन्य डेयरी से रोजना लगभग 75000 से 1 लाख लीटर पैक दूध बिकता है और लगभग 20 से 25 हजार लीटर खुला दूध बिकता है।

कोटा। कोटा शहर में बड़ी मात्रा में धडल्ले से नकली दूध बेचा जा रहा है लेकिन खाद्य विभाग और स्वास्थ्य की रक्षा का दावा करने वाला स्वास्थ्य विभाग इस मामले को लेकर चुप बैठा है। स्वास्थ्य विभाग ने साल भर में मात्र 125 नमूने लिए हैं जो विभाग की उदासीनता को दर्शाता है। हाल ही कोटा डेयरी ने लगभग 3500 लीटर नकली दूध पकड़कर उसे नष्ट किया था। जो इस बात की गवाही दे रहा है कि शहर में रोजाना हजारों लीटर नकली दूध बेचा जा रहा है। लोग इस दूध को काम में लेकर  गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है। लेकिन ना तो चिकित्सा विभाग और ना ही रसद विभाग शहर में बिक रहे नकली दूध को लेकर गंभीर बना हुआ है। शहर के ही एक ख्ुाले दूध विक्रेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि शहर में जितना भी दूध खुला बिक रहा है उसमें से लगभग 10 प्रतिशत दूध नकली है। अभी हाल ही में कोटा डेयरी में लगभग 3500 लीटर नकली दूध पकड़कर उसे नष्ट किया गया था। जिसके बाद ये सवाल उठने लगा है कि यहां तो आधुनिक जांच उपकरण होने के कारण असली और नकली में अन्तर करके नकली को नष्ट कर दिया गया लेकिन जो दूध खुला बेचा रहा है उसकी गुणवत्ता की क्या गारन्टी है। खुला दूध बचने वालों में से एक का कहना है कि नकली दूध कभी सीधा नहीं बेचा जाता है उसे या तो असली के साथ मिलाकर या उसका कोई प्रोडक्ट बनाकर बेचा जाता है। 

सवा लाख लीटर दूध की प्रति दिन बिक्री
एक अनुमान के अनुसार पूरे कोटा शहर में इस समय कोटा डेयरी या अन्य डेयरी से रोजना लगभग 75000 से 1 लाख लीटर पैक दूध बिकता है और लगभग 20 से 25 हजार लीटर खुला दूध बिकता है। पैक दूध को लेकर ये दावा किया गया है कि कोटा डेयरी में कभी भी नकली दूध नहीं आ सकता है। अगर आता भी हैं तो कुछ मिनटों में ही पकड़ लिया जाता है। कारण उसका ये है कि आधुनिक जांच उपकरण लगे होने के कारण कोई भी व्यक्ति डेयरी में नकली या बना हुआ दूध नहीं ला सकता है। इसलिए डेयरी का दूध अपनी गुणवत्ता पर खरा उतरता है लेकिन खुले दूध की गुणवत्ता की कोई गारन्टी नहीं है। 

नकली पकड़ना मुश्किल 
वहीं खुला दूध बचने वाले नामा डेयरी के मालिक उमाशंकर नामा का कहना है कि शहर में रोजाना करीब 40 से 50 हजार लीटर दूध बिकने को आता है जबकि मांग लगभग आधी है। मांग के ज्यादा ही दूध की सप्लाई होती है। नामा का कहना है कि शहर में नकली दूध ना के बराबर आता है और आता भी है तो इसे पकड़ना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि सीधा नकली दूध कभी नहीं बिकता है। या तो उसे असली दूध में मिलाकर बेचा जाता है या कोई दूध का उत्पाद बनाकर बेचा जाता है। 

ऐसे बनता है सिंथेटिक दूध
सिथेंटिक दूध बनाने के लिए सबसे पहले उसमें यूरिया डालकर उसे हल्की आंच पर उबाला जाता है। इसके बाद इसमें कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट, सोडा स्टार्च, फॉरेमैलिन और वाशिंग पाउडर मिलाया जाता है। इसके बाद इसमें थोड़ा असली दूध भी मिलाया जाता है। सिंथेटिक दूध पीने से फूड पॉयजनिंग हो सकती है। उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है। किडनी और लीवर पर भी बेहद बुरा असर पड़ता है। स्किन से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।

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यह अन्तर होता है असली और नकली दूध में
सिंथेटिक दूध में साबुन जैसी गंध आती है जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती। असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है। असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता, नकली दूध कुछ वक्तके बाद पीला पड़ने लगता है। अगर असली दूध में यूरिया भी हो तो ये हल्के पीले रंग का ही होता है, वहीं अगर सिंथेटिक दूध में यूरिया मिलाया जाए तो ये गाढ़े पीले रंग का दिखने लगता है। असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।

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चिकित्सकों का कहना है
खाने की चीजों में मिलावट से फूड प्वाइजनिंग से लेकर कैंसर तक बीमारियां हो सकती हैं। स्किन डिजीज स्टमक डिजीज हो सकती है। लगातार मिलावटी खाना खाने से कैंसर भी हो सकता। नकली मावा तो मिठाई में इस्तेमाल होता है। असली और नकली मिठाई में पहचान करना मुश्किल है। इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।

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इनका कहना है
कोटा में गत वर्ष लगभग 125 नमूने दूध की जांच के लिए गए है। इनमें से एक में भी सिंथेटिक दूध नहीं मिला है। कोटा में चल प्रयोगशाला में दूध की तुरन्त जांच हो सकती है लेकिन केवल यूरिया की क्योंकि अन्य घटकों की तुरन्त जांच संभव नहीं है। दूध की जांच के लिए विभाग की ओर से सालभर नमूने लिए जाते हैं। 
-खाद्य सुरक्षा अधिकारी, कोटा। 

डेयरी में अभी हाल ही में पहली बार मिलावटी दूध का मामला सामने आया था। वरना डेयरी में एक लीटर दूध भी नकली नहीं आता है। यहां जो आॅटोमेटिक लैब मशीनें लगी हुई है उनसे इस बात की भी पुष्टि हो जाती है कि इस दूध में कितना पानी कब मिलाया गया है। इसके अलावा डेयरी की जो समितियां दूध एकत्रित करती है वहां पर भी टेस्टिंग मशीनें लगाई गई हैं। वहां जांच करने के बाद डेयरी में फिर दूध की जांच की जाती है। 
-चैन सिंह राठौड़, अध्यक्ष, कोटा डेयरी। 

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