हादसों का कारण बन रही कैटल युक्त सड़कें
जगह-जगह बीच राह लगा मवेशियों का जमघट
लोगों ने बताया शहर में सांडों द्वारा लोगों को मारने व उठाकर पटकने की घटनाएं होने से अधिक डर लगने लगा है।
कोटा। शहर में इन दिनों बरसात का सीजन चल रहा है। ऐसे में आए दिन रोड लाइटें बंद रहने से अंधेरा रहता है। उसी के साथ सड़कों पर बैठे मवेशियों के झुंड। ये सभी इन दिनों हादसों के कारण बन रहे हैं। शहर को कैटल मुक्त बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। उसके बाद भी शहर में जिस तरह से मुख्य मार्गों पर मवेशियों के झुंड दिन के समय ही नहीं रात में भी डेरा डाले हुए हैं। उससे शहर कैटल युक्त अधिक नजर आ रहा है। शहर के हर चौराहे व मुख्य मार्गों पर बरसात के इस सीजन में अधिक मवेशी नजर आ रहे है। इसका कारण स्थानीय मवेशियों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटने के बाद अधिकतर पशु पालक व किसान अपने मवेशियों को शहर की तरफ भेज रहा है। कई मवेशी तो शहर से रात के समय निकल रहे हैं जबकि कई यहां आने के बाद सड़कों पर डेरा डालकर बैठे हुए हैं।
रात के अंधेरे में नहीं आते नजर
बरसात के समय में एक तो सड़कों पर गड्ढ़ों में भरा पानी और रोड लाइटें बंद होने से छाया अंधेरे में वाहन चालक सावधानी से वाहन चलाते है। ऐसे में रात के अंधेरे में सड़कों पर बैठे काले व गहरे रंग के मवेशी आसानी से नजर भी नहीं आते। ऐसे में अक्सर उन मवेशियों से टकराकर वाहन चालकों के हादसे होने का खतरा बना हुुआ है।
सांड अधिक होने से खतरा
शहर में सड़कों पर मवेशियों में गायों की तुलना में सांड अधिक हैं। सांड के सींग बड़े व ताकतवर होने से उसके द्वारा लोगों को उठाकर फेकने व उनकी तरफ दौड़ने से इनसे अधिक खतरा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि सांड सड़क के बीच में खड़े होने पर आसानी से हटते भी नहीं है। वाहन के सामने आने पर हॉर्न बजाने पर भी डटकर खड़े रहते हैं। उन्हें भगाने पर पलटकर वार करने का डर हमेशा बना रहता है। लोगों ने बताया कि जिस तरह से शहर में सांडों द्वारा लोगों को मारने व उठाकर पटकने की घटनाएं हुई हैं। उससे अधिक डर लगने लगा है।
गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश
शहर में निराश्रित हालत में घूमने वाले मवेीशियों को पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन निगम अधिकारी उस जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभा पा रहे है। निगम ने मवेशी पकड़ने का ठेका दिया हुआ है। ठेकेदार अपनी मर्जी से मवेशी पकड़कर लाते हैं और इतिश्री कर लेते हैं। जबकि यह शहर की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। हालत यह है कि निगम अधिकारी गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश होने से उन्हें रखने की जगह नहीं होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से बचने लगते हैं।
मवेशी शहर की बड़ी समस्या
शहर में इन दिनों सड़कों पर जहां देखो वहीं मवेशी अधिक नजर आ रहे हैं। बरसात के समय में इनकी संख्या अचानक से अधिक दिखने लगी है। निगम अधिकारियों को चाहिए कि वे इन्हें पकड़कर लोगों को हादसों से बचाए।
- राजू कहार, कैथूनीपोल
हादसों से लगने लगा डर
शहर में निराश्रित गौवंश बड़ी समस्या है। जिस तरह से सांड द्वारा आए दिन लोगों को मारने की घटनाएं हो रही है। उससे सांड देखते ही डर लगने लगता है। मवेशी पकड़वाने की शिकायतों के बाद भी जिस तरह की कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं हो रही है।
- महेश योगी, साबरमती कॉलोनी
मवेशी पकड़ने से पहले करें व्यवस्था
शहर में सड़कों पर निराश्रित गौवंश की समस्या गभ्भीर है। समय-समय पर उन्हें पकड़ते भी है। लेकिन निगम की गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश है। जिससे उन्हें टहलने की पर्याप्त जगह नहीं मिलने से उनकी मृत्युदर बढ़ जाती है। अधिकारियों को चाहिए कि घेरा डालकर मवेशी पकड़ने से पहले गौशाला में व्यवस्था करें।
- जितेन्द्र सिंह, अध्यक्ष गौशाला समिति नगर निगम कोटा दक्षिण
गौशाला विस्तार के प्रयास
निगम की गौशाला में पर्याप्त संख्या में गौवंश है। शिकायतों पर उन्हें पकड़ भी रहे हैं। साथ ही गौशाला विस्तार का भी प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए जमीन आवंटित हो चुकी है। उसका कब्जा मिलने के बाद उसका काम कराया जाएगा।
- महेश गोयल, उपायुक्त नगर निगम कोटा दक्षिण

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