ये कैसे इंतजाम! : दस माह में भी मदर मिल्क बैंक के उपकरण नहीं मंगवा सके

कुपोषित व बिन मां के बच्चों की दूध के इंतजार में पथराई आंखें

ये कैसे इंतजाम! : दस माह में भी मदर मिल्क बैंक के उपकरण नहीं मंगवा सके

पीडब्ल्यूडी द्वारा अस्पताल प्रशासन को भवन हस्तांतरित भी कर दिया लेकिन अभी बच्चे मदर मिल्क के दूध से दूर है।

कोटा। जेकेलोन अस्पताल प्रशासन के ढीली कार्य शैली का भुगतान कुपोषित व बिन मां के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। मदर मिल्क बैंक भवन बनकर तैयार हुए दस माह से अधिक हो गए उसके बावजूद अभी तक उपकरण पूरे नहीं लगे। अस्पताल प्रशासन ने पहले मार्च मशीन आने और इसके शुरू होने की बात की उसको छह माह बीत गए। मदर मिल्क बैंक में एक एक उपकरण आने और उसको स्टॉल करने में ही समय निकाला जा रहा है। जिसके चलते मासूमों का इंतजार लंबा हो रहा है। दो साल से लंबे इंतजार के बाद तो भवन तैयार हुआ । अब भवन तैयार है तो उपकरण के नाम पर देरी हो रही है। खास बात ये है कि जेकेलोन अस्पताल परिसर में बहुप्रतीक्षित  मदर मिल्क बैंक भवन बनकर हो गया है। पीडब्ल्यूडी द्वारा अस्पताल प्रशासन को भवन हस्तांतरित भी कर दिया लेकिन अभी बच्चे मदर मिल्क के दूध से दूर है। कारण की भवन में कई उपकरण अभी आना बाकी है। 

कपड़े सुखाने के काम आ रहा
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मदर मिल्क बैंक में कई आवश्यक उपकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आ रहे जिससे ये देरी हो रही है।  मदर मिल्क बैंक के भवन को हस्तांतरित किए करीब 10 माह से अधिक हो गया है, जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है । इधर बंद पड़ा भवन मरीजों के परिजनों के कपड़े सुखाने के काम आ रहा है। उल्लेखनीय है कि 84 लाख की लागत से तैयार भवन में एसी से लेकर बाकी सभी सुविधाएं लग गई लेकिन मिल्क को संग्रहण से लेकर अन्य आधुनिक उपकरणों को स्थापित करने में अभी समय लग रहा है। दो साल से बेसब्री इंतजार कर रहे नौनिहालों इंतजार कब खत्म होगा ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है।

नवजात बच्चों को कुपोषण से बचाने का लंबा हो रहा इंतजार
बालपोषण संस्थाओं के अनुसार जन्म के आधे घंटे के भीतर मां का पहला दूध बच्चे के लिए पीना जरूरी है, लेकिन किसी कारणवश देश में 95 प्रतिशत बच्चों को यह दूध नहीं मिल पाता। यही वजह है कि भारत में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोटा में मदर मिल्क बैंक तैयार करने की कवायद की लेकिन अस्पताल प्रशासन इसको लेकर अभी तक गंभीर नजर नहीं आ रहा है। इसका खामियाजा नवजात शिशुओं को उठाना पड़ रहा है। ये मदर मिल्क बैंक शुरू हो जाता तो नवजात (0-1 साल) बच्चों को कुपोषित होने और दूध के अभाव में मौत के मुंह में समाने से रोका जा सकता है। 

अस्थाई मदर मिल्क बैंक होता तो ये समस्या नहीं आती
जेके लोन मातृ एवं शिशु अस्पताल में मार्च 2021 में अस्पताल के दो कमरों में अस्थाई मदर मिल्क बैंक शुरू करने की कवायद शुरू की थी। अप्रैल 2021 में दो कमरे और किचन बनकर तैयार भी हो गया था।  इसकी शुरुआत अप्रैल 2021 में करनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण से अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाएं बंद होने से मदर मिल्क के लिए आवश्यक मशीनें कोटा नहीं पहुंच सकी। जिससे  मदर मिल्क बैंक मूर्तरूप नहीं ले सका । अगर उस समय ये अस्थाई मदर मिल्क मूर्तरूप ले लेता तो आज उसमें लगी मशीन शिफ्ट हो जाती और बच्चों को मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ा। 

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इनका कहना है
जेकेलोन अस्पताल में मदर मिल्क बैंक भवन तैयार है उसके कई उपकरण तो आ चुके कुछ बाकी है।  उसके आते ही इसको चालू किया जा रहा है। अभी एक एक उपकरण आ रहे उनको स्टॉल कर रहे है। 
- डॉ. आशुतोष शर्मा,  अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल 

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मदर मिल्क बैंक को शीघ्र शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ उपकरण स्टॉल होना बाकी है। उसके बाद ही ये शुरू होगा। आवश्यक उपकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आ रहे है। जिससे समय लग रहा है।
- डॉ. संगीता सक्सेना, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज कोटा 

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