असर खबर का - नहर में बढ़ाया जलप्रवाह, होने लगी मॉनिटरिंग, टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचाने में जुटे अधिकारी

नवज्योति ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था समाचार

असर खबर का - नहर में बढ़ाया जलप्रवाह, होने लगी मॉनिटरिंग, टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचाने में जुटे अधिकारी

अधिकारियों ने मौके पर जाकर जलप्रवाह की निगरानी शुरू कर दी है।

कोटा। रबी सीजन की फसलों में सिंचाई के लिए पानी की डिमांड होने लगी है। वहीं गेहंू की बुवाई भी गति पकड़ने लगी है। इस कारण खेतों में नहरी पानी की डिमांड होने लगी है। ऐसे में सीएडी प्रशासन ने कोटा बैराज की दायीं नहर में जलप्रवाह बढ़ा दिया है। इसके अलावा विभागीय अधिकारी टेल क्षेत्र तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुट गए हैं, ताकि रबी फसलों विशेषकर सरसों, चने व गेहूं को समय पर सिंचाई की सुविधा मिल सके। पूर्व में दायीं नहर में 2550 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। मंगलवार को जलप्रवाह की मात्रा बढ़ाकर 4050 क्यूसेक कर दी गई है। अधिकारियों की टीमें माइनरों और वितरिकाओं की लगातार मॉनिटरिंग कर रही हैं, ताकि बीच रास्ते में कहीं भी रिसाव, अवरोध या अघोषित कटान की स्थिति न बने।

नवज्योति ने प्रमुखता से उठाया था मामला
नहरों की मरम्मत और साफ-सफाई नहीं होने के सम्बंध में 12 नवंबर को दैनिक नवज्योति में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें बताया था कि मौसम साफ होने के बाद रबी फसलों की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है। दायीं और बायीं नहर से जुड़ी वितरिकाएं कई जगह पर कचरे से अटी पड़ी हैं वही कुछ स्थानों से क्षतिग्रस्त भी हो रही है। पूर्व में इनकी साफ-सफाई और मरम्मत का कार्य किया गया था, लेकिन यह खानापूर्ति तक सीमित होने से टेल क्षेत्र में नहरी पानी पहुंचने में विलम्ब हो सकता है। हर साल जर्जर नहरी तंत्र के कारण टेल क्षेत्र के किसानों को नहरी पानी के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ता है। इस साल भी क्षतिग्रस्त वितरिकाओं के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद सीएडी अधिकारी के हरकत में आए और टेल क्षेत्र में नहरी पानी में जुट गए।

जिले में गेहूं व सरसों की पैदावार ज्यादा
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गेहूं की बुवाई के लिए खेतों में नमी होना जरूरी है। वर्तमान में गेहूं की फसल बुवाई हो रही है। इसलिए गेहूं की फसल को निर्धारित मात्रा में पानी देना जरूरी है। राजस्थान में रबी की फसल में सबसे ज्यादा गेहूं और सरसों की पैदावार की जाती है। गेहूं के लगातार बढ़ रहे भावों से अब इसकी खेती मुनाफा किसानों को दे रही है। इसलिए हर साल गेहूं का रकबा बढ़ता जा रहा है। इस कारण अधिकांश किसान गेहूं की बुवाई करना चाहते हैं। इसके अलावा सरसों और चना फसल के प्रति भी किसानों का रूझान बना हुआ है। इन फसलों के लिए पानी की दरकार बनी हुई है। 

क्षतिग्रस्त वितरिकाओं की करवाई मरम्मत
मौसम खुलने के बाद रबी फसलों में सिंचाई के लिए पानी की मांग तेज हो गई है। इस समय गेहूं की फसल को पानी की ज्यादा जरूरत है। इसके लिए सीएडी विभाग की ओर से दायीं नहर में जलप्रवाह किया जा रहा है। इसके बावजूद टेल क्षेत्र में स्थित कई खेतों में पर्याप्त मात्रा में नहरी पानी नहीं पहुंच पा रहा था। गत दिनों सीएडी के अधिकारियों ने वितरिकाओं में आ रहे अवरोधों को हटा दिया है। वहीं क्षतिग्रस्त हो रही दीवारों की भी मरम्मत करवा दी है।  इसके बाद नहर में जलप्रवाह की मात्रा को बढ़ा दिया है। अब सीएडी के अधिकारियों ने मौके पर जाकर जलप्रवाह की निगरानी शुरू कर दी है। अधिकारियों की टीमें जलप्रवाह में बाधक बन रहे अवरोधों को हटाने में जुट गई है। 

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गेहूं और चने की फसल को इस समय पानी की सबसे ज्यादा जरूरत रहती है। पिछले सप्ताह पानी धीमा था, अब प्रवाह बढ़ने से फसल बच जाएगी।
- सुनील नागर, किसान

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टेल क्षेत्र में अक्सर पानी देरी से पहुंचता है, लेकिन इस बार अधिकारी लगातार नहर पर नजर रख रहे हैं। उम्मीद है कि बी में पानी की कमी नहीं होगी।
- रेखालाल गुर्जर, किसान

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रबी सीजन में सिंचाई की मांग बढ़ना स्वाभाविक है। हमने दायीं नहर का डिस्चार्ज बढ़ा दिया है और फील्ड टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। 
- सागर कुमार, कनिष्ठ अभियंता, सीएडी

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