असर खबर का - चंबल के बांधों को मिलेगी संजीवनी, डीपीआर हुई तैयार

कोटा उत्तर विधायक धारीवाल ने विधानसभा में उठाया बांधों की मरम्मत का मामला

असर खबर का - चंबल के बांधों को मिलेगी संजीवनी, डीपीआर हुई तैयार

कोटा बैराज सहित तीनों बांधों की बजट जारी होने के बाद भी मरम्मत नहीं होने के मामले में दैनिक नवज्योति ने कई बार प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था।

कोटा । कोटा उत्तर विधायक शांति धारीवाल ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कोटा बैराज समेत चंबल नदी परबने तीनों बांधों की मरम्मत का मामला उठाया। धारीवाल ने सवाल पूछा कि राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध एवं कोटा बैराज की मरमत के लिए क्या डीपीआर तैयार हो चुकी है? और वर्कआॅर्डर भी जारी किया जा चुका है? इसकी जानकारी दी जाए। सरकार ने इसके जवाब में कहा कि चंबल नदी पर स्थित राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर एवं कोटा बैराज की मरम्मत के लिए विश्व बैंक एवं एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) द्वारा वित्त पोषित बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना (डीआरआईपी) के तहत केन्द्रीय जल आयोग के विशेषज्ञों एवं बांध सुरक्षा समीक्षा पैनल (डीएसआरपी) के सुझावों के अनुरूप प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग टैपलेट (पीएसटी) अर्थात डीपीआर तैयार की गई है। अभी कार्यों के लिए वर्कआर्डर जारी नहीं किया गया है।

केन्द्रीय जल आयोग ने सौंपी निरीक्षण की रिपोर्ट 
विधानसभा में सरकार की ओर से बताया गया कि राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर एवं कोटा बैराज के कार्य विशिष्ट तकनीकी श्रेणी में आते हैं। इन कार्यों को तकनीकी विशेषज्ञों की राय के अनुसार कराया जाना प्रस्तावित है। इसी क्रम में फरवरी माह के दौरान केन्द्रीय जल आयोग के विशषेज्ञों की टीम  ने दोनों बांधों एवं बैराज का तकनीकी परीक्षण किया था। इसकी रिपोर्ट 21 फरवरी को प्राप्त हो चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार इस जटिल कार्य को चरणबद्ध रूप से करवाया जाना प्रस्तावित है।

नवज्योति ने उजागर की थी बांधों की दुर्दशा
कोटा बैराज सहित तीनों बांधों की बजट जारी होने के बाद भी मरम्मत नहीं होने के मामले में दैनिक नवज्योति ने कई बार प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इसमें बताया था कि चंबल नदी पर स्थित तीन बांधों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपए का बजट काफी समय पहले स्वीकृत हो चुका है, लेकिन इन बांधों की मरम्मत के लिए संवेदक कंपनियां तैयार नहीं हो रही है। तीनों बांध करीब 60 से 65 साल पुराने बने हुए हैं। हाइड्रो मैकेनिकल वर्क में पुराने गेट व स्लूज गेट बदलने हैं। पुराने बांधों की मेंटेनेंस के काम के लिए काफी दिक्कत आती है, संवेदक इसलिए भी सामने नहीं आ रहे हैं। क्योंकि बांध में पानी काफी भरा रहता है और इस दौरान ही गेट और अन्य उपकरणों की मेंटेनेंस होनी है, जो हर कोई नहीं कर सकता है। इस सम्बंण में केन्द्रीय जल आयोग की टीम ने तकनीकी निरीक्षण किया था।

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