असर खबर का - खरीफ फसलों में हुए नुकसान का सर्वे करने के निर्देश
जिला कलक्टर ने तीन विभागों को सौंपा जिम्मा, सात दिन में पेश करनी होगी रिपोर्ट
कलक्टर के निर्देश के बाद तीन विभागों की टीमें शुक्रवार को खेतों में जाकर नुकसान का सर्वे करने में जुट गई है।
कोटा । मानसून की लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेत पानी से भरे हुए हैं। समय रहते पानी की निकासी नहीं हो पाने से सोयाबीन व उड़द की फसलें खराब हो गई हैं। कोटा जिले सहित हाड़ौती में सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुवाई होती है। ऐसे में लगातार बारिश के कारण इस फसल को अधिक नुकसान पहुंचा है। जिला कलक्टर ने शुक्रवार को खरीफ फसलों में हुए नुकसान का सर्वे करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए राजस्व विभाग, कृषि विभाग और बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों की टीम बनाई गई, जो खेतों में जाकर फसलों में हुए नुकसान का आंकलन करेगी। जिला कलक्टर ने सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर सात दिन में प्रशासन को सौंपने के निर्देश जारी किए है। कलक्टर के निर्देश के बाद तीन विभागों की टीमें शुक्रवार को खेतों में जाकर नुकसान का सर्वे करने में जुट गई है।
निर्देश मिलते ही खेतों में पहुंची टीमें
जिला कलक्टर ने शुक्रवार से फसलों में हुए नुकसान का सर्वे करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में राजस्व विभाग से पटवारी, कृषि विभाग से पर्यवेक्षक और बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों की अलग-अलग टीमों का गठन किया गया। शुक्रवार को बारिश नहीं होने के कारण तीनों विभागों की संयुक्त टीमें खेतों में पहुंची और फसलों में नुकसान का आंकलन शुरू कर दिया गया। जिले के सुल्तानपुर और इटावा क्षेत्र के खेतों में जलभराव होने से फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा हैं। किसानों के अनुसार लगातार बारिश के कारण यहां पर खेत तालाब में बन गए हैँ। पानी की निकासी नहीं हो पाई है। इस कारण बीज गल चुके हैं। वहीं अब सोयाबीन और उड़द की बुवाई का समय भी निकल चुका है। ऐसे में अब इन क्षेत्रों में अधिकांश खेत खाली ही रहेंगे।
कृषि विभाग ने हाड़ौती में माना 30 फीसदी खराबा
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस साल हाड़ौती क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई का लक्ष्य 12 लाख हैक्टेयर से अधिक निर्धारित किया गया था। इस बार जून माह में ही मानसून का आगाज और फिर लगातार बारिश होने से बुवाई का रकबा 10 लाख हैक्टेयर रह गया यानी लगभग दो लाख हैक्टेयर में बुवाई नहीं हो पाई। इसके बाद भी मूसलाधार बारिश से खेतों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। ऐसे में कृषि विभाग ने फसलों में नुकसान में प्रारम्भिक सर्वे किया था, जिसमें हाड़ौती क्षेत्र में फसलों में 30 फीसदी खराबा होना माना गया है। बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को पहुंचा है। खेतों में पानी भरने से फसलें गल गई और बीज अंकुरित नहीं हो पाए। इस कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा।
नवज्योति ने प्रमुखता से उठाई थी किसानों की पीड़ा
जुलाई माह में लगातार बारिश होने से फसलों में नुकसान होने के सम्बंध में दैनिक नवज्योति में 30 जुलाई को प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया था कि मानसून की लगातार बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। खेत पानी से भरे हुए हैं। समय रहते पानी की निकासी नहीं हो पाने से सोयाबीन व उड़द की फसलें खराब हो गई हैं। कोटा जिले सहित हाड़ौती में सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुवाई होती है। ऐसे में लगातार बारिश के कारण अधिक नुकसान सोयाबीन को पहुंचा है। इस बार कई किसान तो दो-दो बार सोयाबीन की बुवाई कर चुके हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें गल गई हैं।
तेज बारिश के कारण खेतों में पानी का भराव होने से सोयाबीन की फसल तो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। बड़ी मुश्किल से बीज लेकर खेतों में बुवाई की थी। अब तो सब कुछ बर्बाद हो चुका है। अब समझ नहीं आ रहा कि क्या करें।
- नेमीचंद नागर, किसान
जिला कलक्टर ने शुक्रवार को खरीफ फसलों में हुए नुकसान का सर्वे करने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए राजस्व विभाग, कृषि विभाग और बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों की टीम बनाई गई, जो खेतों में जाकर फसलों में हुए नुकसान का आंकलन करने में जुट गई है।
- अतीश कुमार शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग कोटा

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