कोटा के पांच कॉलेजों में एक माह में छह दिन लगती क्लास, फिर 24 दिन रहती खाली
12 से ज्यादा विषयों के नहीं शिक्षक: रे-सेंटर के भरोसे चल रहे ग्रामीण इलाकों के राजकीय महाविद्यालय
राजकीय महाविद्यालय इटावा में करीब ढाई साल से अंग्रेजी की कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लगी।
कोटा। कोटा जिले के पांच राजकीय महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। यहां एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण विषयों की क्लासें नहीं लग पाती। जबकि, इस वर्ष स्नातक में सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया गया है। प्रथम वर्ष के पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं जनवरी में होनी है लेकिन शिक्षकों के नहीं होने से कोर्स पूरा नहीं हो रहा। ऐसे में अधिकांश विषयों की कक्षाएं खाली रहती हैं। दरअसल, ग्रामीण इलाकों के इटावा, सांगोद, कनवास, रामगंजमंडी व शहर का गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज में अंगे्रजी, हिन्दी, संस्कृत, अर्थशास्त्र सहित 12 से ज्यादा विषयों के शिक्षक नहीं है। ऐसे में रे-सेंटर कोटा गवर्नमेंट कॉलेज से संबंधित महाविद्यालयों की मांग पर 6-6 दिन के लिए शिक्षक भेजे जाते हैं, तब इन विषयों की क्लास लग पाती है लेकिन 6 दिन बाद इन विषयों की कक्षाएं 24 दिन तक खाली ही रहती हैं।
विद्या संबल पर भी नहीं लगाए शिक्षक
कॉलेज आयुक्तालय द्वारा इस वर्ष शिक्षकों की कमी से जूझ रहे महाविद्यालयों में विद्या संबल पर शिक्षक भी नहीं लगाए गए। जबकि, राजसेस सोसायटी द्वारा संचालित नए कॉलेजों में लगा दिए हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में चल रहे गवर्नमेंट कॉलेजों में रिक्त पदों की पूर्ति नहीं हो पाई। हालात यह हो रही है, विद्यार्थियों का कोर्स पूरा होना तो दूर सिलेबस समझाने वाला तक कोई नहीं है। वहीं, संभाग का सबसे बड़ा वाणिज्य महाविद्यालय कोटा भी लंबे समय से बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन फैकल्टी के लिए तरस रहा है।
रामगंजमंडी में 2 ही विषयों की चलती कक्षा
राजकीय महाविद्यालय रामगंजमंडी के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. संजय गुर्जर बताते हैं, महाविद्यालय में 7 विषय स्वीकृत हैं, जिनमें से 5 विषयों के अध्यापकों के पद लंबे समय से रिक्त हैं। जिसकी वजह से आर्ट्स में अंग्रेजी, हिन्दी ,इतिहास और कॉमर्स में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन व अर्थशास्त्र की कक्षाएं नहीं लग पाती। जबकि, संस्कृत और ज्योग्राफी की क्लास लगती है लेकिन संस्कृत में बच्चे कम है। ऐसे में मुख्य क्लास ज्योग्राफी की ही संचालित होती है।
कनवास में ज्योग्राफी से राजनीतिक विज्ञान तक नहीं पढ़ पा रहे छात्र
कार्यवाहक प्राचार्य ललित नामा ने बताया कि कनवास आर्ट्स कॉलेज में वर्ष 2021 के बाद से ही ज्योग्राफी और राजनेतिक विज्ञान की फैकल्टी नहीं है। ऐसे में इन विषयों की कक्षाएं नहीं लग पाती। हालांकि, जिले के रे-सेंटर को पत्र लिखने पर 6 दिन के लिए संबंधित विषय के शिक्षक लगा दिए जाते हैं लेकिन निर्धारित दिन के बाद वापस कक्षाएं खाली रह जाती है।
एक शिक्षक के भरोसे चल रहा इटावा कॉलेज
इटावा कॉलेज वर्तमान में एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा है। यहां 7 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें 3 शिक्षक पदस्थापित थे। इनमें से भी 2 शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर दूसरे कॉलजों में चले गए। ऐसे में यहां प्राचार्य रामदेव मीणा ही अकेले रह गए। चित्रकला के शिक्षक होने के नाते वे अपने विषय की कक्षाएं लेने के अलावा गैर शैक्षणिक कार्य भी खुद ही कर रहे हैं।
यहां ढाई साल से अंगे्रजी की नहीं लगी कक्षाएं
राजकीय महाविद्यालय इटावा में करीब ढाई साल से अंग्रेजी की कक्षाएं नियमित रूप से नहीं लगी। जबकि, वर्तमान में 5.50 से ज्यादा स्टूडेंटस का नमांकन रहता है। इटावा कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक प्राचार्य नरेंद्र मीणा ने बताया कि यहां वर्ष 2021 तक अंग्रेजी के शिक्षक थे। उनका ट्रांसफर होने के बाद अंग्रेजी का दूसरा कोई शिक्षक नहीं लगाया गया। पूर्व में विद्या संबल योजना के तहत विज्ञप्ति भी निकाली थी लेकिन यूजीसी नियमानुसार नेट या सेट योग्यता निर्धारित होने से एक भी शिक्षक का आवेदन नहीं मिला। जिसके कारण नियमित क्लासें नहीं लग पाई। हालांकि, रे-सेंटर कोटा ने ही 6-6 दिन के लिए शिक्षक भेजकर क्लासें लगवाई गई थी।
एक माह में 6 दिन ही मिलती है फैकल्टी
राजकीय सांगोद महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. मनोज कुमार सिंघल ने बताया कि गवर्नमेंट कॉलेज कोटा को आयुक्तालय द्वारा रे-सेंटर का नोडल बनाया गया है। जिन महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी होती है, वहां उस कॉलेज की डिमांड पर रे-सेंटर से मात्र 6 दिन के लिए फैकल्टी भेजी जाती है। इसके बाद उस कॉलेज का दोबारा से नम्बर अगले महीने ही आ पाता है। ऐसे में एक कॉलेज को एक माह में एक बार ही 6 दिन के लिए फैकल्टी मिल पाती है। क्योंकि, रे-सेंटर को रोटेशन के आधार पर दूसरे कॉलेजों में भी फैकल्टी भेजनी होती है।
इन विषयों की नहीं लग रही कक्षाएं
कोटा जिले के ग्रामीण इलाकों में संचालित हो रहे राजकीय महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही चल रही है। कनवास में राजनेतिक विज्ञान, भूगोल के शिक्षक नहीं है। इस तरह इटावा कॉलेज में अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, संस्कृत, राजनेतिक विज्ञान, सांगोद में उर्दू, संस्कृत, हिन्दी, लोकप्रशासन, ड्राइंग, रामगंजमंडी में इंग्लिश, हिन्दी, इतिहास तथा कॉमर्स संकाय में बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन व अर्थशास्त्र की शुरू से अब तक कक्षाएं नहीं लग पाई। ऐसे में जनवरी के अंत तक प्रस्तावित यूजी प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाओं की तैयारी विद्यार्थियों के लिए चुनौति बनी हुई है।
इस बार यूजी प्रथम वर्ष की परीक्षाएं सेमेस्टर स्कीम के तहत होनी है, लेकिन यहां संस्कृत, लोकप्रशासन पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है। कोटा से 6 दिन के लिए फैकल्टी आती है तब ही कक्षाएं लग पाती है। जबकि, 24 दिन क्लासें खाली ही रहती हैं। सिलेबस पूरा होना तो दूर परीक्षा पैटर्न क्या रहेगा, यह तक समझाने के लिए कोई नहीं है।
- राघव शर्मा, बीए प्रथम वर्ष, सांगोद कॉलेज
15 से 20 किमी दूर से कॉलेज आते हैं लेकिन यहां हिन्दी आॅफनल और चित्रकला पढ़ने को नहीं मिलती। ऐसे में कॉलेज जाने में समय व्यर्थ होता है। जनवरी में पेपर होने वाले हैं, परीक्षा की तैयारी कैसे करें, समझ में नहीं आ रहा। गत वर्ष भी फैकल्टी के अभाव में रिजल्ट अच्छा नहीं रहा।
- कमल मीणा, द्वितीय वर्ष, सांगोद
कॉलेज में ज्योग्राफी व राजनेतिक विज्ञान के शिक्षक नहीं होने से क्लासें नहीं लगती। ऐसे में कॉलेज जाने की जगह कोचिंग जाना मजबूरी हो गई। परीक्षा सिर पर है, पेपर पैटर्न क्या रहेगा, यह बताने वाले भी नहीं है। कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है।
- राजकुमार नागर, तृतीय वर्ष, कनवास महाविद्यालय
ग्रामीण इलाकों के कॉलेजों में शिक्षकों की कमी लंबे समय से चली आ रही है। आयुक्तालय की लापरवाही का खामियाजा पिछले साल बीए के परिणाम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को भुगतना पड़ा। सांगोद, कनवास व इटावा के अधिकतर विद्यार्थियों के सप्लीमेंट्री, अपेक्षाकृत कम नम्बर आए। वहीं कुछ छात्र तो फेल हो गए। हमने शिक्षकों की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन, आमरण अनशन तक किए लेकिन समाधान नहीं हुआ।
- आशीष गोचर, अध्यक्ष, ग्रामीण छात्र संगठन सांगोद
जिन कॉलेजों मे शिक्षकों की कमी है, वहां से डिमांड मिलने पर संबंधित विषयों की फैकल्टी 6 दिन के लिए रे-सेंटर के माध्यम से भेजी जाती है। यह व्यवस्था रोटेशन के आधार पर होती है, ऐेसे में सेंटर को दूसरे कॉलेजों के लिए भी फैकल्टी का इंतजाम करना पड़ता है।
- प्रतिमा श्रीवास्तव, प्राचार्य, गवर्नमेंट कॉलेज एवं रे-सेंटर नोडल
रे-सेंटर के माध्यम से रिक्त पद वाले कॉलेजों में शैक्षणिक व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, चुनाव में अधिकांश शिक्षकों की ड्यूटी लगी होने के कारण व्यवस्था प्रभावित होती है।
- डॉ. रघुराज सिंह परिहार, क्षेत्रिय सहायक निदेशक कॉलेज आयुक्तालय
हमारे कॉलेज में हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, लोकप्रशासन व चित्रकला के शिक्षक नहीं है। जिसकी वजह से परेशानी होती है। रे-सेंटर को पत्र लिखकर फैकल्टी भेजे जाने का आग्रह किया है। व्यवस्थाएं बनाए रखने की हरसंभव कोशिश की जा रही है।
- प्रो. अनिता वर्मा, प्राचार्य कनवास कॉलेज

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