कोटा कोचिंग का जलवा पड़ रहा फीका

अभिभावकों के विश्वास को कोटा कोचिंग लगातार तोड़ रहा

कोटा कोचिंग का जलवा पड़ रहा फीका

कोचिंग अब पैसा कमाने की फैक्ट्री बन गए हैं, ऐसे में एक-एक स्टूडेंट पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जा रहा।

कोटा। मेडिकल व इंजीनियरिग की प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रवेश दिलाने के लिए देश भर में विख्यात शिक्षानगरी की कोटा कोचिंग का जलवा अब फीका पड़ता नजर आ रहा है। जेईई एडवांस्ड व नीट के पिछले कुछ वर्षों में जहां कोटा कोचिंग के चार से पांच स्टूडेंट टॉप टेन में स्थान बनाते थे वहीं पिछले तीन साल की  परीक्षा के परिणाम की तुलना करें तो यह हालात काफी कमजोर नजर आते हैं। दूसरी तरफ  तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे राज्यों के छात्र टॉप टेन मैरिट में ज्यादा नजर आ रहे हैं। जेईई एडवास्ड और नीट दोनों ही परीक्षाओं में पिछले तीन वर्ष में कोटा कोचिंग के स्टूडेंट टॉप टेन में केवल एक से दो स्थान ही बना सके हैं। हाल ही जारी नीट परीक्षा में टॉप टेन में कोटा कोचिंग के केवल एक छात्र को स्थान मिला है वह भी सबसे अंतिम दसवां। विशेषज्ञों का मानना है कि कोचिंग अब पैसा कमाने की फैक्ट्री बन गए हैं। ऐसे में एक-एक स्टूडेंट पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दिया जा रहा। कोचिंग का छात्रों के प्रति समर्पण कम औैर रुपए के प्रति ज्यादा हो गया है। 

नीट में ऐसे गिर रहा स्तर
नीट 2021 में  हैदराबाद के मृणाल कुट्टी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस वर्ष कोटा कोचिंग को केवल एक स्थान अमन को फोर्थ रैंक के रूप में मिला। इसी प्रकार 2022 में भी तनिष्का के रूप में एक ही स्थान मिला। वर्ष 2023 में  टॉप टेन की सूची में सबसे अंतिम स्थान पर जयपुर का पार्थ खंडेलवाल रहा। जब कि इस सूची में आंध्र प्रदेश,तमिलनाडु, कर्नाटक, दिल्ली के छात्रों का दबदबा नजर आ रहा है।

जेईई एडवांस्ड में भी हालात जस के तस
इसी प्रकार जेईई एडवांस्ड 2021 में प्रथम स्थान कोटा कोचिंग के मृदुल अग्रवाल को  मिला इसके साथ नौै वें स्थान पर अर्जन आदित्य सिंह रहे। 2022 में केवल मयंक मोटवानी को पांचवा स्थान मिला, 2023 में जरूर चार और छह रैंक कोटा कोचिंग के हिस्से में आई। ऐसे में देखा जाए तो पिछले वर्षों में कोटा कोचिंग ने जो साख बनाई थी वह अब सुस्त होती नजर आ रही है। जब कि देश भर से बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को उज्जवल भविष्य के  लिए कोटा भेजते हैं लेकिन कोचिंग उस साख को कायम रखने में कामयाब नहीं हो पा रही है।  उल्टा लगातार छात्रों द्वारा की जा रही आत्म हत्याओं के चलते अभिभावक भयग्रस्त होने लगे हैं।

टापर्स में छात्राओं का बिगड़ रहा गणित
नीट में छात्राओं की बात करें तो 2023 में टॉप 10 में केवल एक छात्रा है, जब कि पिछले दो वर्ष में कोई छात्रा टॉप टेन में स्थान ही नहीं बना पाई। नीट 2023 में टॉप 50 में से मात्र दस छात्राएं ही शामिल हैं। खड़गपुर आईआईटी द्वारा आयोजित जेईई एडवांस्ड 2021 परीक्षा में काव्या चौपड़ा गर्ल्स केटेगरी में प्रथम रही लेकिन इसकी एआईआर 98 थी। 2022 में मुंबई आईआईटी द्वारा आयोजित  2022 परीक्षा में तनिष्का काबरा ने गर्ल्स केटेगरी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया लेकिन इसकी सीएलआर 16  वीं थी। गुवाहाटी आईआईटी द्वारा आयोजित  2023 परीक्षा में भी नौंवा स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा डिस्टेंस लर्निंग की बताई जा रही है। 

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समर्पण का भाव कमजोर हुआ
कोचिंग के लिए कोटा आने वाले बच्चों की संख्या अब बढ़ गई है। क्वालिटी के स्थान पर क्वांटिटी पर कोचिंग का जोर है। कोचिंग पैसा कमाने का जरिया बन गया है। वास्तव में शिक्षक और कोचिंग संचालकों का समर्पण का भाव कम हो गया है। जब तक समर्पण था कोई परेशानी नहीं थी। अब शिक्षकों को बच्चे की स्ट्रेंथ तो क्या नाम तक पता नहीं होता। बच्चों ने शिक्षकों का भविष्य तो बना दिया लेकिन शिक्षक बच्चों का भविष्य नहीं बना पा रहे।  
-देव शर्मा, एजुकेशन एक्सपर्ट

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नियामक संस्था बनानी चाहिए
कोचिंग संस्थानों के लिए सरकार को नियामक संस्था बनानी चाहिए ताकि  गाइड लाइन के अनुसार काम हो सके। वर्तमान में कोचिंग क्लासों में शिक्षक और विद्यार्थियों का अनुपात ठीक नहीं है। बच्चों पर पूरा फोकस नहीं हो पाता है। आदर्श रूप से चालीस बच्चों की क्लॉस होनी चाहिए। लेकिन सौ से ज्यादा बच्चों की क्लास लगाई जा रही है। एडमिशन देने से पहले अभिभावकों के सामने बच्चे का मनो वैज्ञानिक टेस्ट भी लिया जाना चाहिए जिससे बच्चे की अभिरुचि जानी जा सके। इससे आत्महत्या जैसे प्रकरण भी रुकेंगे और रिजल्ट में सुधार आएगा। 
-प्रोफेसर भोपाल सिंह, पूर्व निदेशक शौध कोटा यूनिवर्सिटी 

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हर बच्चे को बनाना होगा टॉपर
यहां रिजल्ट ओरियंटेड टॉपर बच्चों पर अधिक फोकस किया जा रहा है।  अधिकांश बच्चे अपने घर से दूर आकर कोचिंग कर रहे हैं। वे अपने यहां के टॉपर हैं लेकिन कोचिंग में जब दूसरे टॉपर से उनकी तुलना होती है तो वे स्वयं को कमजोर मानने लगते हैं। जिससे वे तनाव में आ जाते हैं और उनका रिजल्ट डाउन होने लगता है।  कोचिंग संस्थानों में भी उन बच्चों की  संख्या अधिक है उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। संस्थानों को बच्चों की कॉउंसलिंग कर उनका तनाव कम करने के प्रयास करने चाहिए।। यदि कमजोर बच्चों पर ध्यान देकर उन्हें टॉपर बनाया जाएगा तो रिजल्ट की संख्या बढ़ सकती है।  कोचिंग संस्थानों को भी बच्चे को पैसे कमाने की फैक्ट्री नहीं समझना चाहिए। 
-स्नेहलता साहनी,रिटायर्ट प्रिंसीपल, जेडीबी कॉलेज कोटा 

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