कॉलेज एडमिशन में लाडलियों को मिला रिजर्वेशन, ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में होगा फायदा
कोएड महाविद्यालयों में छात्राओं को सीट मिलने में होगी आसानी
शहर में तीन गर्ल्स कॉलेज हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कन्या महाविद्यालय नहीं हैं।
कोटा। राजकीय महाविद्यालयों में एडमिशन लेने वाली छात्राओं के लिए खुशखबरी है। कॉलेज आयुक्तालय ने सह शिक्षा (कोएड) गवर्नमेंट कॉलेजों में 30 प्रतिशत सीटें बालिकाओें के लिए आरक्षित की है। ताकि, उच्च शिक्षा में छात्राओं की भागीदारी बढ़ सके। यह सुविधा बालिकाओं को इसी सत्र से मिलेगी। हालांकि, तीस प्रतिशत सीटें रिर्जव रखी जाने से छात्रों को सीट मिलने के अवसर कम हो जाएंगे। क्योंकि, बालिकाएं एडमिशन के लिए आवेदन राजकीय कन्या महाविद्यालय के साथ कोएड कॉलेजों में भी करती हैं। ऐसे में गर्ल्स कॉलेज में एडमिशन नहीं होने पर उनका रुख कोएड कॉलेजों में होगा और उनकी परसेंटेज लड़कों के मुकाबले अधिक होती है। ऐसे में नियमित प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या अधिक रह सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में होगा फायदा
हाल ही में जारी हुए 12वीं बोर्ड के परिणाम में प्रथम श्रेणी से पास होने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या अधिक है। ऐसे में कॉलेजों में कटऑफ का लेवल हाई रहने से एडमिशन की मारामारी बनी रहेगी। शहर में तीन गर्ल्स कॉलेज हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कन्या महाविद्यालय नहीं हैं। ऐसे में राजकीय कोएड कॉलेजों में बालिकाओं के लिए सीट मिलने के अवसर बढ़ जाएंगे।
सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
कॉलेज शिक्षकों का कहना है, सह शिक्षा वाले सरकारी कॉलेजों में एडमिशन में बालिकाओं के लिए 30 प्रतिशत सीटें रिजर्व करने से उच्च शिक्षा में उनकी संख्या बढ़ेगी। शहर के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गर्ल्स कॉलेज नहीं होने से अभिभावक छात्राओं को रेगुलर एडमिशन नहीं दिलाते। जिसकी वजह से वे सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाती हैं। ऐसे में सरकार ने एडमिशन में तीस प्रतिशत सीटें आरक्षित कर देने से अभिभावकों का रुझान बढ़ेगा। बालिकाओं को आसानी से एडमिशन मिलने से उनकी संख्या में इजाफा होने के साथ स्कॉलरशिप सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
शहरी कॉलेजों में हाई रहेगा कटऑफ का पारा
जिले में राजकीय कन्या महाविद्यालय 6 हैं। इनमें दो इसी वर्ष नए खुले हैं। जिनमें कैथून व सुकेत शामिल हैं। नवीन कन्या महाविद्यालयों में इसी सत्र से एडमिशन दिए जाएंगे। हालांकि, कैथून, सुकेत व रामपुरा कॉलेज के मुकाबले जेडीबी आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स गर्ल्स कॉलेज साधन संसाधनों में मजबूत स्थिति में है। ऐसे में छात्राओं इन कॉलेजों में एडमिशन लेने में प्राथमिकता रहेगी लेकिन कटऑफ अधिक होने के कारण छात्राओं का रुख शहर के कोएड कॉलेजों की ओर बढ़ेगा। जिससे कटऑफ का लेवल अधिक होने से छात्रों के लिए सीटें मिलना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि,गर्ल्स कॉलेज में छात्र आवेदन नहीं कर सकते लेकिन छात्राएं कोएड कॉलेज में एडमिशन के लिए एप्लाई कर सकतीं हैं। ऐसे में छात्राओं के लिए 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित होने से छात्रों के अवसर कम हो जाएंगे।
क्या कहती हैं छात्राएं
कॉलेजों में सीटों की संख्या के मुकाबले दोगुने आवेदन आते हैं। परसेंटेज अधिक होने के बावजूद एडमिशन नहीं मिल पाता है। ऐसे में सरकार ने कुल सीटों में से 30 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित कर देने से एडमिशन की राह आसान कर दी है।
- वैशाली नागर, छात्रा, आकशवाणी
12वीं बोर्ड आर्ट्स में मेरी 85% बनी है। रिजल्ट अच्छा रहने से कटऑफ अधिक रहेगी। ऐसे में हमारे लिए तीस प्रतिशत सीटे आरक्षित रहने से रेगुलर एडमिशन मिलने की संभावना बढ़ गई है।
- प्रियंका गोचर, छात्रा बोरखेड़ा
सरकार ने बालिका शिक्षा बढ़ाने की दिशा में सराहनीय कदम उठाया है। उच्च शिक्षा में छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए राजकीय महाविद्यालयों (कोएड) में छात्राओं को प्रवेश में 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई है। इसका फायदा ग्रामीण अंचल के महाविद्यालयों में नजर आएगा। छात्राओं का रेगुलर एडमिशन होगा तो उन्हें सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
- प्रो. रोशन भारती, प्रिंसिपल गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज कोटा
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