कोटा में 90 हजार से अधिक स्ट्रीट डॉग, हर दिन लोगों को कर रहे घायल, लोग खतरे से चिंतित
स्ट्रीट डॉग के वैक्सीनेशन व बधियाकरण की धीमी गति से बढ़ रही श्वानों की संख्या
खूंखार श्वान आए दिन बना रहे लोगों को शिकार, सैकड़ों हो चुके घायल
कोटा । शहर में स्ट्रीट डॉग की समस्या नासूर बनती जा रही है। स्ट्रीट डॉग आए दिन किसी ना किसी कॉलोनी में खतरनाक घटना को अंजाम दे रहे हैं। सैकड़ों लोग डॉग बाइट के शिकार हो चुके हैं। हाल ही विवेकानन्द कॉलोनी में एक डेढ़ वर्षीय बच्चे को श्वानों द्वारा नोचने की घटना ने शहर भर को हतप्रभ कर दिया था। श्वान ना केवल बच्चों को अपितु युवा और बुजुर्गों पर भी आए दिन हमला कर रहे हैं। श्वान काटने से रैबीज रोग की संभावना बढ़ जाती है। विडंबना है कि कोटा शहर में आवार श्वानों का वैक्सीनेशन नाम मात्र का हो रहा है। स्ट्रीट डॉग का बधियाकरण व टीकाकरण तो किया जा रहा है लेकिन उसकी धीमी गति से जहां इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार कोटा शहर में 90 हजार से अधिक स्ट्रीट डाग हैं। इनकी संख्या में प्रतिवर्ष 15 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हो रही है। नगर निगम की ओर से श्वानों का बधियाकण व टीकाकरण करने के बाद ये और अधिक खूंखार होकर लोगों पर हमले कर रहे है। श्वानों के काटने पर सबसे अधिक खतरा रेबीज बीमारी के फे लने का रहता है।
25 से 30 हजार डॉग्स का ही वैक्सीनेशन
नगर निगम की ओर से श्वानशाला का निर्माण 2021 में कराया गया था। उसके बाद 2022 में इसकी शुरुआत कर दी थी। उसके बाद से अभी तक तीन साल में करीब 25 से 30 हजार श्वानों का ही बधियाकरण किया जा सका है। कोटा उत्तर में अप्रैल 2022 से मार्च 2024 तक 15084 श्वानों का, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 8725 का और अप्रैल 2025 से जुलाई तक करीब 550 श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा सका है। जबकि शहर में बिना वैक्सीनेशन वाले श्वानों की संख्या दोगुनी से अधिक है।
साल में दो बार बच्चे देती है मादा श्वान
नगर निगम की ओर से आवारा श्वानों का वैक्सीनेशन व बधियाकरण करने के बाद भी इनकी संख्या कम होने की जगह अधिक होती जा रही है। निगम की कार्रवाई का असर शहर में नजर ही नहीं आ रहा है। इसका कारण है मादा श्वान का साल में दो बार हर छह माह में बच्चे देना है। वह भी एक बार में 7 से 8 यानि एक मादा श्वान साल में करीब 15 से 16 बच्चों को जन्म देती है।
बधियाकरण के समय ही वैक्सीनेशन हो रहा
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण द्वारा श्वानों के बधियाकण व टीकाकरण का कार्य निजी फर्म को दिया हुआ है। फर्म की टीम मौहल्लों में जाकर वहां से श्वानों को पकड़ती है। उन्हें नगर निगम द्वारा बंधा धर्मपुरा में निमित श्वानशाला में ले जाकर वहां अलग-अलग कैनल में रखते हैं। वहां पकड़े गए नर व मादा श्वान का पशु चिकित्सकों की निगरानी में बधियाकरण किया जाता है। उसी दौरान उनका रेबीज बीमारी से बचाव का टीकाकरण भी किया जाता है। स्ट्रीट डॉग का टीकाकरण एक बार ही किया जा रहा है।
पहचान के लिए टैग
शहर में हजारों श्वानों में से किन का बधियाकरण व टीकाकरण हुआ है और किनका नहीं। इसकी पहचान के लिए टीकाकरण के समय ही श्वानशाला में उनके कान पर या गले पर एक टैग लगाया जाता है। जिससे उसकी पहचान की जा सके।
पालतू श्वानों का साल में दो बार टीकाकरण
एक ओर जहां स्ट्रीट डॉग का जीवन में एक बार ही टीकाकरण किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पालतू श्वानों का साल में दो बार टीकाकरण किया जाता है। श्वान के जन्म के बाद सवा से डेढ़ महीने में वैक्सीनीशन शुरु हो जाता है और 4 बार टीके लगाए जाते हैं। उसके बाद बड़ा होने पर उन्हें साल में दो बार टीके लगाए जाते हंै।
श्वानों का हो स्थायी समाधान
शहर के विभिन्न इलाकों में रहने वाले घृताची शर्मा,मृदुला मनोहर,मुकेश सिंह,शैलेन्द्र सिंह, करन खींची का कहना है कि आवारा श्वान आए दिन लोगों पर हमले कर रहे हैं। बच्चे व महिलाएं तो घर से बाहर निकलने में डरने लगे हैं। गत दिनों जिस तरह से छोटे बच्चे को काटा उसे देखकर तो रोंगटे खड़े हो गए थे। लोगों का कहना है कि नगर निगम व जिला प्रशासन को श्वानों का स्थायी समाधान करते हुए उन्हें शहर से दूर छोड़ना चाहिए।
टीकाकरण की गति धीमी
स्ट्रीट डॉग का बधियाकरण व टीकाकारण का काम निगम की बंधा धर्मपुरा स्थित श्वानशाला में किया जा रहा है। यहां कोटा उत्तर की श्वान शाला में 76 व कोटा दक्षिण की श्वान शाला में 30 कैनाल है। इस तरह से एक बार में करीब 100 श्वानों का ही बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। साथ ही एक श्वान को टीकाकरण के बाद 4 से 5 दिन निगरानी में रखा जाता है। इस तरह से टीकाकरण की गति जिस तेजी से होनी चाहिए वह काफी धीमी है।
टीकाकरण के बाद रेबीज का खतरा नहीं
पशु चिकित्सक व पशु चिकित्सालय के पूर्व उप निदेशक डॉ. नंद किशोर वर्मा ने बताया कि स्ट्रीट डॉग को बार-बार पकड़ पाना संभव नहीं है। ऐसे में उनका तो एक बार बधियाकरण के समय ही टीकाकरण किया जा रहा है। जबकि पालतू श्वानों में छोटे बच्चों का 4 बार व बड़े होने पर साल में दो बार टीकाकरण कराना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एक बार रेबीज का टीका लगने के बाद श्वान द्वारा किसी को काटने पर उसे रेबीज का खतरा नहीं रहता है। लेकिन यदि किसी श्वान का टीकाकरण नहीं हुआ है और उसे रेबीज है तो उसके द्वारा काटने पर 10 से 15 फीसदी रेबीज होने का खतरा रहता है। रेबीज वाले श्वान द्वारा अधिक लोगों को काटने पर यह बढ़ सकता है। वैसे सामान्य तौर पर यह संभावना कम रहती है। लेकिन श्वान के काटने पर रेबीज के खतरे से बचने के लिए लोगों को अस्पताल जाकर तुरंत इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
शहर में स्ट्रीट डॉग की संख्या-70 हजार से अधिक
- नगर निगम द्वारा वैक्सीनेशन किया गया-25 हजार का
- मादा श्वान साल में बच्चों को जन्म दे रही-2 बार
- एक मादा साल में बच्चे दे रही-15
- निगम एक बार में श्वानों का कर रहा वैक्सीनेशन-100
डॉग लवर्स का विरोध बड़ी समस्या
शहर में आवारा श्वानों की समस्या काफी गम्भीर है। हालांकि नगर निगम द्वारा उनका बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। लेकिन इसके लिए श्वानों को पकड़कर श्वानशाला लाना पड़ता है। हालत यह है कि श्वान पकड़ने जाते ही टीम को डॉग लवर्स के विरोध का सामना करना पड़ता है। हाल ही में स्वामी विवेकानंद नगर में भी डॉग पकड़ने के दौरान टीम के सदस्यों को महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा। श्वानों के बधियाकरण व टीकाकरण की गति को बढ़ाया जा सकता है।
-विवेक राजवंशी, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम कोटा दक्षिण
मादा श्वानों का बधियाकरण करना अधिक कारगर
मादा श्वान साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है। वह भी एक बार में 7 से 8 श्वानों को। ऐसे में निगम द्वारा श्वानों का बधियाकरण तो किया जा रहा है। लेकिन मादा श्वानों का बधियाकरण करना अधिक कारगर है। उसी से इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है। टीकाकरण होने के बाद श्वानों के काटने पर रेबीज का खतरा नहीं रहता। बिना टीकाकरण वाले श्वानों के काटने पर भी 10 से 15 फीसदी ही रेबीज का खतरा रहता है।
-डॉ. नंद किशोर वर्मा, सेवा निवृत्त उप निदेशक पशु चिकित्सालय
टीकाकरण के बाद लगा रहे टैग
नगर निगम की ओर से सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। स्ट्रीट डॉग का टीकाकण एक बार ही बधियाकरण के समय किया जाता है। उसके साथ ही उनके कान व गले पर टैग व निशान लगाया जाता है। जिससे उसके वैक्सीनेट होने की पहचान की जाती है। श्वानों को जिस जगह से लाया जाता है टीकाकरण के बाद वापस उसी जगह पर छोड़ने का आदेश है। जिससे इनकी संख्या कम नहीं दिख रही। जबकि बधियाकरण करने का मकसद ही इनकी संख्या पर नियंत्रण करना है। इसका असर कुछ समय बाद नजर आएगा। कोटा उत्तर निगम में अब तक करीब 25 हजार से अधिक श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा चुका है। इसी तरह से कोटा दक्षिण में भी किया जा रहा है।
- मोतीलाल चौधरी, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम कोटा उत्तर
निगम बोर्ड में पहली बार लिया था निर्णय
श्वानों के काटने की समस्या शहर में काफी गम्भीर है। उसे देखते हुए निगम का वर्तमान बोड बनने के बाद बोर्ड बैठक में निर्णय लेकर श्वान शाला का निर्माण किया। यहां सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार श्वानों का बधियाकरण व टीकाकरण किया जा रहा है। लेकिन उन्हें वापस उसी जगह पर छोड़ने से इनकी संख्या कम नहीं दिख रही है। वैसे सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन में संशोधन करवाने के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष से निवेदन किया हुआ है। नगर निगम श्वानों को श्वानशाला में रखकर उनकी देखभाल व खाने-पीने की व्यवस्था करने को तैयार है।
- राजीव अग्रवाल, महापौरनगर निगम कोटा दक्षिण

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