फेज-2 में न टॉय पैवेलियन बना न फूड जोन आया : दशहरा मैदान की अधिकतर दुकानें खाली, मैदान में उड़ रही धूल

निगम ने दिल्ली की इवेंट कम्पनी को दिया 64 लाख में टेंडर

फेज-2 में न टॉय पैवेलियन बना न फूड जोन आया : दशहरा मैदान की अधिकतर दुकानें खाली, मैदान में उड़ रही धूल

फेज दो में दुकानों के साथ ही कई नए तरह के झूले भी लगाने का दावा किया गया था।

कोटा। नगर निगम की ओर से दशहरा मेला शुरु हुए  करीब 15 दिन का समय हो चुका है। ऐसे  में दशहरे के दिन से फेज एक में तो मेला पूरी तरह से भर गया है। जबकि फेज दो में दिल्ली की इवेंट कम्पनी ने अस्थायी दुकानें तो बना दी। लेकिन उनमें न तो टॉय पैवेलियन बना और न ही फूड जोन। अधिकतर दुकानें खाली पड़ी है। साथ ही मैदान में भी धूड़ उड़ रही है। नगर निगम की ओर से आयोजित दशहरा मेले की विधिवत शुरुआत तो 22 सितम्बर को मेला उद्घाटन के साथ ही नवरात्र के  पहले दिन कर दी गई थी। हालांकि उस समय फेज एक में भी गिनती की ही दुकानें लगी थी। लेकिन 2 अक्टूबर को दशहरे के दिन से पूरा मेला परिसर भर गया। यहां अधिकतर दुकानों से लेकर झूले तक लग चुके है। दशहरा बीते भी 4 दिन का समय हो चुका है। ऐसे में शनिवार व रविवार को मेले में काफी भीड़ रही। 

नहीं जमा फेज दो में मेला
इधर नगर निगम की ओर से दशहरा मैदान फेज दो पुराना पशु मेला स्थल पर नव उत्सव नाम से नवाचार किया गया था। यहां मेले में दुकानें लगाने के लिए दिल्ली की इवेंट कम्पनी को करीब 65 लाख रुपए में टेंडर  दिया गया। निगम अधिकारियों व मेला समिति की ओर से दावा किया गया कि यहां नव उत्सव में करीब 250 से 300 दुकानें लगाई जाएगी। जिनमें टॉय पेवेलियन व देश के अलग-अलग रा’यों के विशेष खाद्य पदार्थ और उत्पाद आएंगे। जिससे लोगों को यहां हर प्रदेश के स्वाद का आनंद मिल सकेगा। 

दुकानें बनाई, अधिकतर खाली
दिल्ली की जिस इवेंट कम्पनी को टेंडर दिया गया। उसने मैदान में टेंट सिटी की तरह की छोटी-छोटी अस्थायी दुकानें तो बना दी। लेकिन अधिकतर दुकानें खाली पड़ी है। यहां गिनती की ही दुकानें लग सकी है। जिस तरह से नगर निगम ने फेज दो में दुकानों का प्रचार किया था। उसके चलते यहां लोग तो आ रहे हैं लेकिन खाली दुकानें देखकर निराश होकर लौट रहे हैं। लोगों का कहना है कि यहां तो ऊंट ही ऊंट नजर आ रहे है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली लठ व पशुओं के सामानों की कुछ ही दुकानें लगी है जो हमेशा से लगती रही है। ऐसे में यह शहर का मेला कम ग्रामीण मेला अधिक नजर आ रहा है। यहां कच्ची जमीन होने से धूल ही धूल उड़ रही है। 

नहीं लगे झूले
फेज दो में दुकानों के साथ ही कई नए तरह के झूले भी लगाने का दावा किया गया था। जिससे यहां भी दुकानदारों का व्यापार चल सके। लेकिन अभी तक तो एक भी झूला नहीं लगा। यहां सिर्फ सर्कस लगा हुआ है। वह भी पहले तो दूर से ही नजर आ रहा था लेकिन बड़ी संख्या में बनी दुकानों के कारण वह पीछे दबकर रह गया। 

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कम्पनी संचालक को ही लानी हैं दुकानें
इधर नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि इवेंट कम्पनी को टेंडर दिया है। उसे ही यहां दुकानें लानी है। इसी शर्त पर उसे टेंडर दिया गया है। उसने ही यहां दुकानें लाने के लिए कहा था। उन दुकानों का किराया निगम द्वारा तय दर पर निगम  में जमा होना है। अधिकारियों का कहना है कि यहां कुछ दुकानें तो आ गई है। शेष दुकानें भी एक दो दिन में आने की जानकारी दी जा रही है। 

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