कुशलगढ़ के लोगों को इलाज के लिए जाना पड़ता है 20 किमी दूर
नर्सिंग स्टॉफ व एएनएम के अभाव में 42 लाख से बना उप स्वास्थ्य केंद्र खा रहा धूल
चिकित्सा के अभाव में ग्रामीणों को झोला छाप डॉक्टर की शरण लेनी पड़ती है।
रावतभाटा। रावतभाटा उपखंड के ग्राम पंचायत कुशलगढ़ का प्रधानमंत्री आयुष्मान आरोग्य केंद्र या उप स्वास्थ्य केंद्र एक साल पहले करीब 42 लाख रुपए की राशि खर्च पर बनाकर दिया गया। लेकिन विभाग द्वारा नियुक्त एएनएम और आशा सहयोगिनी कई महीनो से आती ही नहीं। जिस कारण उप स्वास्थ्य केंद्र पर निरंतर ताला जड़ा रहता है। जानकारी के अनुसार यहां करीब 14 छोटे गांवों की लगभग 10 हजार की भील और अन्य पिछड़ी जाति के लोग निवास करते हैं। चिकित्सा के अभाव में ग्रामीणों को झोला छाप डॉक्टर तक की शरण लेनी पड़ती है। कच्चे सड़क मार्ग और 20 किलोमीटर के लंबे सफर को तय कर ग्रामीण मरीजों को लेकर रावतभाटा उप जिला अस्पताल तक आते हैं। कई मर्तबा तो प्राथमिक उपचार कर मरीजों को अधिकांश कोटा रैफर कर दिया जाता है। ऐसे में दैनिक मजदूरी करने वाले गरीबों को ना तो चिकित्सा व्यवस्था गांव में मिलती है ना ही रावतभाटा उप जिला अस्पताल में मरीज और परिजन दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर होते हैं।
मेरी पत्नी सरपंच है और मैं सरपंच प्रतिनिधि हूं। हमारी कुशलगढ़ पंचायत में यह चिकित्सा केंद्र 1 वर्ष पूर्व बन गया है। लेकिन आज तक यहां ना तो कोई जीएनएम आई है और ना ही कोई एएनएम या आशा सहयोगीनी।
- कालू भील, सरपंच प्रतिनिधि
कुशलगढ़ पंचायत में आने-जाने का मार्ग सही नहीं है। साथ ही साथ जब हम यहां से पेशेंट को लेकर रावतभाटा 20 किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंचते हैं तो वहां के डॉक्टर उन्हें वहां से कोटा के लिए रेफर कर देते हैं।
- पीरु, ग्रामीण
एएनएम की नियुक्ति की गई है और वो क्षेत्र में कार्य भी कर रही है।
- डॉक्टर अनिल जाटव, मुख्य ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी

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