जल्द हो सकती है राजा की रामगढ़ की रानी से मुलाकात
बाघिन टी-102 को भाया रामगढ़ अभयारण्य, जंगल के माहौल में घुलने-मिलने की कर रही कोशिश ,बाघ टी-115 के गुलखेड़ी गांव स्थित महादेव मंदिर के पास मिले पगमार्क
टाइग्रेस टी-102 का मंगल प्रवेश के साथ ही जीवन साथी की तलाश में दो साल से भटक रहा टाइगर टी-115 का इंतजार खत्म हो गया। रामगढ़ के जंगल में बाघिन के कदम पड़ते ही वन्यजीव प्रेमियों में खुशियों की लहर है।
कोटा। रामगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां, घना जंगल, पहाड़, झरने, और सदानीरा मेज नदी और प्रकृति की गोद में पलते सैकड़ों प्रजाति के वन्यजीवों की अच्छी तादाद है। ऐसे में बाघों की बसावट के लिए रामगढ़ विषधारी अभयारण्य आदर्श जगह है। इसी का नतीजा है, टाइगर रिजर्व बनने के दो माह में ही रामगढ़ में बाघिन को बसा दिया गया। टाइग्रेस टी-102 का मंगल प्रवेश के साथ ही जीवन साथी की तलाश में दो साल से भटक रहा टाइगर टी-115 का इंतजार खत्म हो गया। रामगढ़ के जंगल में बाघिन के कदम पड़ते ही वन्यजीव प्रेमियों में खुशियों की लहर है। उम्मीद जताई जा रही है, जल्द ही जंगल के राजा का घर बसेगा। हालांकि, मुंह दिखाई की रस्म में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है। क्योंकि, बाघिन मछली की पौती थोड़ी शर्मिली है। अभी वह अपने नए घर के माहौल में घुलने-मिलने की कोशिश कर रही है। वहीं, होने वाले दूल्हे राजा के कदम भी अपनी रानी की ओर बढ़ रहे हैं। मंगलवार को बाघ टी-115 के पगमार्क गुलखेड़ी गांव स्थित महादेव मंदिर के पास मिले हैं। यह इलाका बाघिन के एनक्लोजर से ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में जल्द ही पहली मुलाकात के कयास लगाए जा रहे हैं।
मन को भाया रामगढ़
बाघिन टी-102 को रामगढ़ की वादियां पसंद आ रही है। 4 हैक्टैयर में फेला सॉफ्ट एनक्लोजर में घूम रही है। सुबह-शाम एनक्लोजर में टहलती है। असल में वह रामगढ़ के जंगल से रूबरू हो रही है। परिवेक्ष में घुलने-मिलने की कोशिश कर रही है। बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ है। रणथम्भौर से यहां आने के बाद सोमवार शाम तक 5-6 बार साइटिंग हुई है। वन विभाग के कर्मचारी लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। वहीं, रेडियोकॉलर से उसका मूवमेंट व मॉनिटरिंग की जा रही है। वहीं, सुरक्षा के लिहाज से एनक्लोजर में 4 कैमरे लगाए गए हैं, जिसके जरिए बाघिन के व्यवहार, स्वभाव में होने वाले बदलावों पर नजर रखी जा रही है।
तीन दिन बाद भी नहीं किया शिकार
बाघिन को रामगढ़ आए सोमवार को तीन दिन हो गए हैं। अभी तक उसने कोई शिकार नहीं किया। जबकि, एनक्लोजर में पर्याप्त मात्रा में प्री-बेस सहित भोजन-पानी की माकूल व्यवस्थाएं हैं। डीसीएफ संजीव शर्मा ने बताया कि शिफ्टिंग से पहले बाघिन ने रणथम्भौर में शिकार किया था। इसलिए, उसका पेट भरा होने से वह अभी शिकार नहीं कर रही है। टाइगर शिकार करने के बाद उसे पूरा नहीं खाते। एक बार में वह करीब 5 किलो मांस खाते हंै, इसके बाद 7-8 दिन बिना खाए भी रह सकते हैं।
जल्द हो सकता है मिलन
डीसीएफ शर्मा ने बताया कि टाइगर्स में सूंधने की शक्ति काफी तेज होती है। बाघ जैसे ही एनक्लोजर के आसपास आएगा तो उसे अपने ईर्द-गिर्द अन्य टाइगर या टाइग्रेस की मौजूदगी का पता चल जाता है। सोमवार को बाघ टी-115 के गुलखेड़ी गांव स्थित महादेव के मंदिर पास पगमार्क मिले हैं। यह जगह एनक्लोजर से ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में बाघ और बाघिन का आमना-सामना जल्द हो सकती है।
रामगढ़ की लाइफ लाइन है मेज नदी
वन्यजीव प्रेमियों के मुताबिक, 20 मई 1982 को रामगढ़ सेंचुरी बना और 2021 में टाइगर रिजर्व घोषित हुआ। जिसका गजट नोटिफिकेशन 16 मई 2022 को पब्लिश हुआ था। इसी के साथ रामगढ़ देश का 52वां और प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बन गया। रामगढ़ का कोर व बफर एरिया 1501 वर्ग किमी है। इसमें अभयारण्य का 225 वर्ग किमी, चंबल घड़ियाल सेंचुरी का 256 वर्ग किमी, बफर एरिया 1019.98 वर्ग किमी एरिया शामिल है। इसके बीच से गुजरती मेज नदी अभयारण्य की लाइफ लाइन है।
यहां बड़ी संख्या में है वन्यजीव
रामगढ़ अभ्यारण्य एक तरफ रणथम्भौर तो दूसरी तरफ मुकुंदरा टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है। इस टाइगर रिजर्व में नीलगाय, सियार, हिरण, भालू, आईना, जंगली कुत्ते, चीतल, सांभर, जंगली बिल्लियां, तेंदुए, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित कई प्रकार के वन्यजीव मौजूद हैं। वहीं, खूबसूरत बाघों के प्रजनन के लिए ग्रास लैंड है। इसके अलावा रणथम्भौर से ज्यादा वैरायटी के पौधे भी रामगढ़ में है
बाघों के प्रजनन के लिए खूबसूरत ग्रास लैंड
बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य सदियों से बाघों के लिए मैटरनिटी होम (जच्चा घर) के रूप में प्रसिद्ध रहा है। रामगढ़ का प्राकृतिक वातावरण व इसके बीच में बहने वाली मेज नदी की खूबसूरत वादियों में बाघों की दहाड़ ने ही इसे देश का एक प्रमुख अभयारण्य होने का गौरव प्रदान किया है। रणथम्भौर से टी-62 व टी-91 बाघों के यहां आने के बाद अभयारण्य का स्वरूप पूरी तरह बदल गया था। टी-91 को मुकुंदरा में शिफ्ट किया था और टी-62 वापस लौट गया था। वर्तमान में रणथम्भौर से निकला टी-115 यहां 2 साल से सेंचुरी में विचरण कर रहा है।
टूरिज्म के लिए बूंदी से बेहतर कोई स्पॉट नहीं
वाइल्ड लाइफ सफारी के लिए बूंदी से बेहतर कोई स्पोट नहीं है। यहां समृद्ध हेरिटेज है। फोर्ट पेंटिंग, बावड़ियां, झील-झरने, रॉक पेंटिंग्स हैं। यहां घड़ियाल सेंचुरी के साथ ही वेटलैंड्स है। बर्ड्स की हजारों की तादात में यहां प्रजातियां है।
बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ
बाघिन टी-102 पूरी तरह से स्वस्थ है। लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। उसकी साइटिंग भी हो रही है। रामगढ़ आए उसे अभी 48 घंटे ही हुए हैं। जंगल के माहौल में घुलने-मिलने की कोशिश कर रही है। पेट भरा होने से अभी तक बाघिन ने कोई शिकार नहीं किया। जबकि, एनक्लोजर में प्री-बेस सहित भोजन-पानी की सभी व्यवस्थाएं हैं। यहां आने से पहले उसने रणथम्भौर में शिकार किया था। बाघ 115 के महादेव मंदिर के पास ताजा पगमार्क मिले हैं। नियमित ट्रैकिंग व मॉनिटरिंग की जा रही है। - संजीव शर्मा, डीसीएफ, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व बूंदी

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