सिग्नल फ्री शहर में चौराहों पर नहीं हैं जेबरा क्रॉसिंग, हर शहर वासी को भुगतना पड़ रहा खामियाजा
पैदल चलने वालों को सड़क पार करने में हो रही समस्या, हादसों का खतरा
आमजन के लिए सुरक्षित ट्रेैफिक व्यवस्था बनाने की जगह उसे बिगाड़ दिया गया।
कोटा। दृश्य - 1 सीएडी रोड स्थित घोड़े वाले बाबा चौराहे पर करोड़ों रुपए खर्च कर उसका विकास व सौन्दर्यीकरण तो कर दिया लेकिन वहां ट्रेफिक सिग्नल लाइट नहीं होने से े वाहन तेज गति से निकल रहे हैं। जेबरा क्रॉसिंग भी नहीं होने से पैदल सड़क पार करने वालों के लिए समस्या बनी हुई है।
दृश्य-2 नयापुरा स्थित विवेकानंद सर्किल पर करीब 50 करोड़ से अधिक की लागत से चौराहे को आकर्षक व विशाल तो बना दिया। लेकिन वहां ट्रैफिक व्यवस्था इतनी बदतर हो गई है कि चारों तरफ से वाहन तेज गति से निकल रहे है। चौराहे पर जेबरा क्रॉसिंग नहीं होने से पैदल सड़क पार करने वालों के लिए हमेशा खतरा बना हुआ है।
दृश्य -3 स्टेशन से एरोड्राम और नयापुरा से नए कोटा की तरफ जाने वाला और नए कोटा से स्टेशन व नयापुरा की तरफ आने वाला मुख्य मार्ग है जेडीबी कॉलेज के सामने का रोड। वहां तिराहे को माउंट वाला इतना बड़ा बना दिया लेकिन न तो वहां सिग् नल लाइट है और न ही जेबरा क्रॉसिंग। ऐसे में कॉलेज आने-जाने व स्टेडियम की तरफ आने-जाने वालों के लिए सड़क पर करना किसी खतरे से कम नहीं है।
ये तो उदाहरण मात्र हैं, शहर की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था बताने के लिए जिसका सामना आमजन को करना पड़ रहा है। इस तरह की हालत पूरे शहर में है। विकास पर करोड़ों रुपए खर्च करने से शहर सुंदर तो नजर आ रहा है लेकिन आमजन के लिए सुरक्षित ट्रेैफिक व्यवस्था बनाने की जगह उसे बिगाड़ दिया गया। इसका खामियाजा हर शहर वासी को भुगतना पड़ रहा है। फिर चाहे वह चार पहिया वाहन वाला हो या दो पहिया वाहन चालक। वहीं सबसे अधिक पैदल चलने व सड़क पार करने वालों के लिए समस्या हो गई है।
किसी भी चौराहे पर नहीं ट्रैफिक सिग् नल लाइटें
शहर को ट्रैफिक सिग् नल लाइट फ्री बनाने के लिए पूर्व में जिन चौराहों पर लाइटें लगी हुई थी उन्हें हटा दिया गया है। अनंतपुरा चौराहा, एरोड्राम चौराहा, सीएडी चौराहा, अंटाघर चौराहा व कुन्हाड़ी स्थित महाराणा प्रताप चौराहा समेत शहर में कई जगह पर ट्रैफिक सिग् नल लाइटें लगी हुई थी। जो अब देखने को नहीं मिलती है। ऐसे में जब ट्रैफिक लाइटें ही नहीं हैं तो वहां वाहन भी नहीं रूक रहे हैं। वरन् वाहन पहले से भी तेज गति से निकल रहे हैं। जिससे हादसों का खतरा बना हुआ है।
पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ तक नहीं
स्मार्ट सिटी बनाने के साथ ही पर्यटन नगरी के रूप में विकसित किए जा रहे कोटा शहर में जहां देशी विदेशी पर्यटकों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ ट्रैफिक व्यवस्था इतनी बदहाल है कि स्थानीय लोग भी इस बढ़ते ट्रैफिक व वाहनों की स्पीड के बीच पैदल सड़क पार नहीं कर पा रहे हैं। बाहर से आने वालों के लिए तो यह किसी चुनौती से कम नहीं है।
सिर्फ एरोड्राम अंडरपास पर व्यवस्था
शहर में एक मात्र एरोड्राम चौराहे का अंडरपास ऐसा है जहां अंडर ग्राउंड पैदल सड़क पार करने वालों के लिए व्यवस्था की हुई है। एक तरफ से दूसरी तरफ आन-जाने के लिए सड़क के साइड से नीचे उतरकर रास्ता बनाया हुआ है। लेकिन उन रास्तों के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। जिससे अधिकतर लोगों को मेन रोड से ही बिना जेबरा क्रॉसिंग के जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ रही है। वहीं विवेकानंद सर्किल पर पैदल चलने वालों के लिए पाथ वे है लेकिन सड़क पार करने की सुविधा नहीं है। जबकि न तो रेलवे स्टेशन पर और न ही अदालत चौराहे पर। नयापुरा, जेडीबी, अंटाघर, कोटड़ी, नई धानमंडी, विज्ञान नगर, दादाबाड़ी,सीएडी, नगर निगम, चम्बल गार्डन, से लेकर नए कोटा तक में कहीं भी जेबरा क्रॉसिंग नहीं होने से पैदल सड़क पार करने वालों के लिए खतरा बना हुआ है।
सड़क सुरक्षा हो पहली प्राथमिकता
शहर का विकास होना अच्छा है। लेकिन उसके साथ ही सड़क सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। सड़क पर चलने से लेकर, सड़क पार करने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैुफिक पुलिस का होना भी जरूरी है। ट्रैफिक सिग्नल फ्री शहर बनाने के प्रयास में यातायात व्यवस्था बिगड़ गई। ट्रैफिक व्यवस्था को ध्यान में रखकर विकास किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं होने का खामियाजा आमजन को आए दिन एक्सीडेंट के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
-अरविंद विजय, बसंत विहार
अब भारी वाहनों से नहीं छोटे वाहनों से एक्सीडेंट
शहर से पहले ट्रक और भारी वाहन निकलने से उनसे आए दिन हादसे होते थे। लेकिन अब भारी वाहनों का तो शहर में प्रवेश बंद हो गया। लेकिन बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था और सिग् नल फ्री शहर के कारण जेबरा क्रॉसिंग तक नहीं होने से सड़क पार करते समय आए दिन छोटे वाहनों से ही एक्सीडेंट हो रहे हैं। जिला प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस को आमजन की सुरक्षा के लिए सिर्फ चालान बनाने पर ही ध्यान नहीं देकर ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार पर फोकस करना चाहिए।
-कमलेश दीक्षित, भीमगंजमंडी
वाहनों पर ब्रेक ही नहीं लगते
शहर को ट्रैफिक सिग् नल फ्री तो बना दिया जिससे अब किसी भी चौराहे पर वाहन रूकते ही नहीं है। ऐसे में वाहन पहले से भी तेज गति से निकल रहे हैं। जिससे हादसों का खतरा पहले से अधिक हो गया। फिर जिस तरह से शहर में चौराहे बनाए गए हैं वहां कौन सा वाहन किधर से और कब आ रहा है पता ही नहीं चलता। ऐसे में हादसों का खतरा अधिक हो गया है। इसमें सुधार किया जाना चाहिए।
-ओम पंजवानी, सिंधी कॉलोनी
शहर में विकास कार्य विशेषज्ञ इंजीनियरों की सलाह से करवाए गए हैं। ऐसे में उस समय ही ट्रैफिक व्यवस्था को ध्यान में रखकर कार्य किया जाना चाहिए था। ट्रैफिक पुलिस तो व्यवस्था बनाने व हादसों को रोकने के लिए नियमों की पालना करवाने के लिए संबंधित विभागों को पत्र लिख सकती है। वह समय-समय पर किया जाता है। लेकिन चौराहों पर और जहां भी सड़क के बीच कट है वहां जेबरा क्रॉसिंग होनी चाहिए। जिससे पैदल चलने वाले आसानी से व सुरक्षित तरकी से सड़क पार कर सकें।
-अशोक मीणा, उप अधीक्षक यातायात कोटा शहर
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के प्रोजेक्ट को केडीए ने टैक आॅफ किया है। इसके लिए प्रयास भी शुरु कर दिए गए हैं। करीब एक माह का समय दिया गया है। उस समयावधि में जबरा क्रॉसिंग से लेकर चौराहों पर सुरक्षित यातायात की जितनी भी व्यवस्थाएं होनी चाहिए वह करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-रविन्द्र माथुर, निदेशक अभियांत्रिकी कोटा विकास प्राधिकरण
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