सिर पर मंडरा रहा हादसे का खतरा
सरकारी स्कूल ही नहीं, आंगनबाड़ी, फायर स्टेशन और सीएचसी तक हो रही जर्जर
हादसे के बाद चेता प्रशासन, जर्जर व असुरक्षित भवनों की मांगी रिपोर्ट।
कोटा। केस 1 - नगर निगम कोटा उत्तर का पुरानी सब्जीमंडी स्थित फायर स्टेशन जो करीब 35 साल से अधिक पुराना होने से काफी जर्जर हालत में है। इस भवन के नया बनने के कारण सही ढंग से मरम्मत तक नहीं हो रही है। हालत यह है कि इसकी सीढ़ियों से लेकर प्लास्तर तक बदहाली की दास्ता बता रहा है। कर्मचारियों के रेस्ट रूम में छत से पानी टपक रहा है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
केस 2 - नयापुरा स्थित केन्द्रीय बस स्टैंड। जहां रोजाना बड़ी संख्या में यात्रियों का आवागमन हो रहा है। वहां के प्लेटफार्म की छत का अधिकतर प्लास्तर उखड़ा हुआ है। कई बार गिर भी चुका है। प्लेटफार्म पर हर समय बस का इंतजार कर रहे यात्रियों के सिर पर कभी भी प्लास्तर गिरने का खतरा मंडरा रहा है।
केस 3 - नगर निगम कोटा उत्तर के सूरजपोल स्थित झाला हाउस में संचालित जलदाय विभाग का कार्यालय। जिसका पूरा भवन ही जर्जर हो रहा है। यहां बाहर की दीवारों से लेकर कर्मचारियों के कमरों तक में प्लास्तर उखड़ा होने व पानी टपकने से बरसात के समय कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं शहर के उन सरकारी भवनों की बदहाली के जो जर्जर होने के बाद भी उपयोग में लिए जा रहे हैं। एक दिन पहले झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल के कक्षा कक्ष की छत ढहने से 7 बच्चों की मौत हो गई और कई बच्चे गम्भीर रूप से घायल हो गए। हालत यह है कि केवल सरकारी स्कूल ही नहीं आंगनबाड़ी,फायर स्टेशन, सीएचसी और अन्य सरकारी कार्यालय व भवन भी जर्जर हालत में है।
बरसात में कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
शहर व ग्रामीण क्षेत्र में जर्जर सरकारी भवनों में जिस तरह से कार्यालय संचालित हो रहे है और उन भवनों को असुरक्षित होने के बाद भी उपयोग में लिया जा रहा है। वर्तमान मेंं मानसून का सीजन चल रहा है। ऐसे में जिस तरह से कोटा में भारी से अति भारी बारिश हो रही है। उसमें इन जर्जर भवनों में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। सरकारी अनदेखी व लापरवाही से जनहानि होने का खतरा बना हुआ है।
महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र भी जर्जर
सूरजपोल स्थित पुराने भवन में संचालित महिला सुरक्षा सलाह केन्द्र भी जर्जर हालत में है। इसकी छत का प्लास्तर उखड़ा हुआ है। उस छत के नीचे महिला कर्मचारी दिनभर बैठती है। साथ ही यहां पीड़ित परिवारों के लोग भी रोजाना आ रहे है। ऐसे में बरसात के सीजन में यहां भी कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
हर समय खतरे के साए में
सरकारी जर्जर भवनों व कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि वे हर समय खतरे के साए में रह रहे है। सब्जीमंडी फायर स्टेशन में बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी संचालित हो रहा है। जहां तीन पारियों में फायरमेैन, गोताखोर व अन्य कर्मचारी रहते है। जानकारी के अनुसार एक समय में कम से कम 30 से 40 कर्मचारी रहते है। हालत यह है कि इस भवन के रेस्ट रूम की छत से पानी टपक रहा है। जिसे जमीन पर गिरने से बचाने के लिए नीचे तगारी रखी हुई है। हालांकि फायर अधिकारियों का कहना है कि कुछ समय पहले ही इसकी मरम्मत करवाई गई है।
पुराने शहर में अधिक भवन जर्जर
शहर में वैसे तो हर जगह पर पुराने भवन जर्जर है। लेकिन पुराने शहर में सबसे अधिक ऐसे भवन व हवेलियां है जो अधिक जर्जर हालत में है। उसके बावजूद भी लोग परिवार समेत उनमें रह रहे है। लोगों का कहना है कि आमजन से अधिक अधिकारियों को अपनी सुरक्षा की चिंता है। तभी तो कार्यालयों में लाखों रुपए खर्च चैम्बरों की दशा सुधारी जा रही है।
सबसे अधिक सरकारी स्कूल जर्जर
जिला कलक्टर के निर्देश के बाद संबंधित विभागों से पहले ही दिन जो रिपोर्ट आई है उनमें सबसे अधिक सरकारी स्कूल जर्जर बताए गए है। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग के 78 माध्यमिक विद्यालय,, प्रारम्भिक शिक्षा के 93 कुल 171 विद्यालय जर्जर व जमीदोज की स्थिति में है। इनमें 182 कक्षा कक्ष, 49 शौचालय,, 18 किचन, 17 सम्पूर्ण भवन व 20 बरामदेहैं। वहीं हर ब्लॉक में 39 आंगनबाड़ी केन्द्र पूर्ण क्षतिग्रस्त बताए गए है। इसी तरह सीएमएचओ के अधीन जिले में 14 सीएचसी व उप स्वास्थ्य केन्द्र भी जर्जर है। हालांकि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की रिपोर्ट में उनका न तो कोई भवन जर्जर है और न ही कोई कार्यालय जर्जर भवन में सचालित हो रहा है। हालांकि जलदाय विभाग के अधिकारियों का कहना है कि झाला हाउस में सहायक अभियंता कार्यालय संचालित हो रहा है। लेकिन वह जिस जगह पर संचालित हो रहा है वहां मरम्मत करवाकर उसे उपयोग में लिया जा रहा है। जबकि जर्जर भवन में कोई कार्यालय संचालित नहीं हो रहा है।
इनका कहना है
नगर निगम की ओर से हर साल जर्जर भवनों का सर्वे कराया जाता है। खतरे वाले भवनों पर क्रॉस के लाल निशान तक लगाए जाते है। लोगों को उनका उपयोग नहीं करने के लिए समझाइश भी की जाती है। निगम का कोई भवन जर्जर नहीं है। सब्जीमंडी फायर स्टेशन की हालत खराब है तो उसे दिखवाकर सही करवा दिया जाएगा।
- अशोक त्यागी, आयुक्त नगर निगम कोटा उत्तर
जिला कलक्टर ने सभी एसडीएम से उनके क्षेत्रों में सरकारी जर्जर भवनों व असुरक्षित भवनों की रिपोर्ट मांगी है। कई विभागों ने रिपोर्ट दी भी है। जिनमें जर्ज़र भवन बनाए गए हैं। सभी की रिपोर्ट आने के बाद उनके बारे में निर्णय लेकर कार्य कराया जाएगा।
- कृष्णा शुक्ला, एडीएम सीलिंग

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