ट्रम्प ट्रैरिफ : हाड़ौती में 500 करोड़ का निर्यात गड़बड़ाया

कोटा स्टोन, सेंड स्टोन, धनिया, मसाले व कैमिकल का घटेगा निर्यात

ट्रम्प ट्रैरिफ : हाड़ौती में 500 करोड़ का निर्यात गड़बड़ाया

अमेरिका में करीब 50 लाख से अधिक भारतीय, टैरिफ बढ़ने से महंगे मिलेंगे उत्पाद

कोटा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 50 फीसदी ट्रैरिफ लगाने से जहां देशभर से अमेरिका को होने वाले भारतीय उत्पादों का निर्यात प्रभावित होगा। वहीं इसका हाड़ौती संभाग पर भी सीधा असर पड़ेगा। यहां से अमेरिका को भेजे जाने वाले उत्पादों का निर्यात कम होगा। जिससे करीब 500 करोड़  का कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। हाड़ौती संभाग के चारों जिलों में कई उत्पाद ऐसे हैं जिनकी अमेरिका में काफी डिमांड रहती है। अमेरिका में रहने वाले करीब 50 लाख से अधिक भारतीय उन स्थानीय उत्पादों का उपयोग भी करते हैं। उन उत्पादों को भारत सरकार के माध्यम से अमेरिका में निर्यात किया जाता है। लेकिन हालत यह है कि पहले जहां अमिरिका द्वारा भारत पर 25 फीसदी ही टैरिफ लगाया हुआ था। वहीं उसे बढ़ाकर अब 50 फीसदी कर दिया है। इससे अमेरिका में निर्यात होने वाले भारतीय उत्पादों की जहां कीमत तो अधिक होगी ही साथ ही महंगी होने से वहां इन उत्पादों की मांग कम होने से निर्यात पर इसका सीधा असर पड़ेगा।  हालांकि भारत सरकार द्वारा टैरिफ का तोड़ निकालते हुए स्थानीय बाजार व अन्य देशों को निर्यात करने की योजना बनाई गई है। लेकिन उसमें समय लगने से निर्यात कम होने से हर उत्पाद का बाजार प्रभावित हुआ है। 

सबसे अधिक कोटा स्टोन व सेंड स्टोन उद्योग पर असर
कोटा का कोटा स्टोन व डाबी का सेंड स्टोन उच्च क्वा लिटी का होने से इसकी डिमांड अमेरिका समेत अन्य देशो में अधिक है। ऐसे में अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से न तो कोटा स्टोन का निर्यात हो सकेगा और न ही सेंड स्टोन का। उद्यमियों के अनुसार इससे दोनों का सालाना निर्यात करीब 100-100 करोड़ का होता है। जिससे कोटा संभाग से करीब 200 करोड़ का पत्थर उद्योग प्रभावित होगा। 

मसाले व चावल उद्योग प्रभावित
बूंदी व रामगंजमंडी में सबसे अधिक उच्च क्वालिटी का चावल पैदा होता है। जिसकी अमेरिका में सबसे अधिक डिमांड है। वहीं झालावाड़ व मंडी के धनिया की अमेरिका में अधिक खपत होती है। इसी तरह से कोटा में बनने वाला आशीर्वाद आटा भी सबसे अधिक अमेरिका में रहने वाले भारतीयों द्वारा उपयोग किया जाता है। ऐसे में करीब 100 करोड़ से अधिक के इन कृषि उत्पादों का हाड़ौती संभाग से निर्यात प्रभावित होगा।

कैमिकल का निर्यात भी होगा कम
हाड़ौती में करीब आधा दर्जन से अधिक कैमिकल उद्योग है। इन उद्योगों में तैयार होने वाला कैमिकल भी काफी मात्रा में अमेरिका में निर्यात होता है। अमेरिका के ट्रम्प टैरिफ का संभाग के कैमिकल उद्योग पर भी असर पडेÞगा। उद्यमियों के अनुसार करीब 100 करोड़ से अधिक का कैमिकल यहां से हर साल निर्यात किया जाता है। इनके अलावा भी कई ऐसे उत्पाद हैं जिनका हाड़ौती के चारों जिलों से कम मात्रा में ही सही निर्यात होता है। टैरिफ बढ़ने से ये सभी चीजें अमेरिका में तो महंगी होंगी ही। साथ ही इनका निर्यात करना भी महंगा हो जाएगा। ऐसे में यहां से होने वाला निर्यात प्रभावित होगा। 

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इनका कहना है
अमेरिका में करीब 50 लाख से अधिक भारतीय निवास कर रहे है। वे सभी अधिकतर भारत में तैयार सामानों का ही उपयोग करते हैं। हाड़ौती से कोटा स्टोन, सैंड स्टोन, धनिया,मसाले व आटा निर्यात किया जाता है। टैरिफ बढ़ाने से ये सभी वस्तुएं महंगी होने से वहां उनकी खपत कम होगी। साथ ही निर्यात भी प्रभावित होगी। सभी उद्योगों  का 400 से 500 करोड़ का निर्यात प्रभावित होने का अनुमान है।  
- अशोक माहेश्वरी, महासचिव कोटा व्यापार महासंघ

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अमेरिका द्वारा भारत पर दो गुना टैरिफ लगाना गलत है। इससे कोटा संभाग ही नहीं पूरे देश का निर्यात उद्योग प्रभावित होगा। हाड़ौती से भी कई उत्पादों का अमेरिका में निर्यात होता है। टैरिफ बढ़ने से निर्यात करना महंगा होगा। साथ ही वहां रहनगे वाले भारतीयों को भी अधिक महंगे दाम में वस्तुएं मिलेंगी तो लोग भारत की वस्तुओं को कम खरीदेंगे। हालांकि भारत सरकार के स्तर पर इसमें सुधार के प्रयास किए जा रहे है। लेकिन उसमें समय लगेगा।
- अंकुर गुप्ता, अध्यक्षलघु उद्योग भारती

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हाड़ौती से केवल कोटा स्टोन व सेंड स्टोन ही अमेरिका को निर्यात नहीं होता है। यहां के मसाले, चावल व आटा समेत कई ऐसे उत्पाद हैं जिनकी  अमेरिका में काफी अधिक खपत है। कोटा संभाग से भी बड़ी संख्या में लोग वहां रहते है। वे केवल यहां के चावल व आटे का ही उपयोग करते है। टैरिफ अधिक होने से अब वे अन्य देशों के सामान खरीदेंगे तो हाड़ौती के उद्योगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
- राजेन्द्र जैन, अध्यक्ष हाड़ौती ग्रामीण उद्योग संघ 

कोटा स्टोन व सेंड स्टोन सबसे अधिक निर्यात होता है। इनकी क्वालिटी व फिनिशिंग बेहतर होने से इनकी अमेरिका में डिमांड रहती है। हाड़।ती के कई अन्य उत्पाद भी टैरिफ अधिक होने से अमेरिका को भेजना महंगा होगा। साथ ही वहां रहने वालों के  लिए खरीदना भी महंगा होगा। ऐसे में ये वस्तुएं जिन देशों की सस्ती होंगी वहां की खरीदी जाएंगी। अमेरिका में डिमांड व खपत कम होने का सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा। अमेरिका में निर्यात कम होने से भारत में उनकी खपत का प्रयास तो किया जा रहा है लेकिन टैरिफ बढ़ाने से निर्यात पर तो सीधा असर पड़ेगा। 
- राकेश पाटौदी, अध्यक्ष स्टोन मर्चेंट विकास समिति

 

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