वर्ल्ड डायबिटीज डे: मोबाइल लैपटॉप बना रहा डायबिटीज की रील, हर चौथे आदमी को मधुमेह, युवाओं और महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा खतरा
डिजिटल लाइफस्टाइल ने बढ़ाई परेशानयिां, विशेषज्ञों की चेतावनी
संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
कोटा। हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके। हमारे शरीर में तनाव डायबिटीज का छिपा हुआ दुश्मन है। जब हम तनाव में रहते हैं, तो शरीर कोर्टिसोल हार्मोन छोड़ता है जो ब्लड शुगर स्तर को बढ़ा देता है। चिकित्सकों का कहना है कि डायबिटीज का कोई स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन एक संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
महिलाओं में भी डायबिटीज का खतरा
प्रेग्नेंट महिलाओं में भी डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, गर्भवती महिलाओं में 10 से 14 प्रतिशत तक मामले सामने आ रहे हैं। अगर ब्लड शुगर कंट्रोल में न हो, तो गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर पड़ता है और प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में मोटापा और बढ़ता स्क्रीन टाइम भी बड़ी चुनौती बन गए हैं। लंबे समय तक मोबाइल और कंप्यूटर पर रहने से शारीरिक गतिविधियां घट जाती हैं, खानपान बिगड़ता है और वजन बढ़ने लगता है। यही मोटापा आगे चलकर डायबिटीज का बड़ा कारण बनता है।
फैक्ट फाइल
टाइप-1 टाइप-2
ओपीडी आइपीडी ओपीडी आइपीडी
2024 2458 99 7701 349
2025 1841 33 5696 188
टाइप-1 टाइप-2
2025 ओपीडी आइपीडी ओपीडी आइपीडी
अगस्त 273 10 838 37
सितम्बर 295 5 221 19
अक्टूबर 257 - 799 15
[स्रोत एमबीएस अस्पताल कोटा]
ब्लड शुगर व बीपी की जांच जरूरी
डॉ. नरेंद्र नागर, सीएमएचओ, कोटा के मार्गदर्शन में ओपीडी में आने वाले 30 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों का रक्तचाप और शुगर नियंत्रित किया जाता है। मधुमेह एक गैर-संचारी रोग है, जिसे जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सक के उचित उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है। वजन मापने वाले पैमाने (बीएमआई) पर नजर रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिक वजन से मोटापा बढ़ता है और अंतत: उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां होती हैं।
- डॉ. यावर खान, प्रभारी, यूपीएचसी, केशवपुरा
हार्ट अटैक व लकवे का भी जोखिम
डायबिटीज एक गंभीर गैर-संचारी रोग है, जिसके दो प्रमुख प्रकार होते हैं—टाइप-1 व टाइप-2, टाइप-2 डायबिटीज प्राय: मोटापा, फेमिली हिस्ट्री और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण होती है, जबकि टाइप-1 डायबिटीज अधिकतर बच्चों में पाई जाती है, जिसमें इंसुलिन लेना आवश्यक होता है। पारिवारिक हिस्ट्री से रोगी को यह पहचानना जरूरी है कि उसे कौन-सा प्रकार है, ताकि सही प्रबंधन किया जा सके। यदि पांच से दस साल तक डायबिटीज नियंत्रण में नहीं रहे, तो आंखों का परदा, किडनी और पैरों की नसें खराब हो सकती हैं। इसके अलावा हार्ट अटैक और लकवे का जोखिम भी बढ़ जाता है।
- डॉ नितेश कुमार बौद्ध, विभागाध्यक्ष,एंडोक्रिनोलॉजी, एनएमसीएच
अपनाएं स्वस्थ जीवनशैली
मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के लिए सबसे जरूरी है एक संतुलित जीवनशैली अपनाना। इसके लिए मीठे और तैलीय भोजन से परहेज करते हुए आहार में फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल करें। रोजाना कम से कम 30 मिनट पैदल चलें या साइकिल चलाएं। तनाव दूर रखने के लिए ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच अपनाएं। नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करवाते रहें और धूम्रपान व मदिरा से दूरी बनाए रखें। याद रखें-स्वस्थ जीवनशैली ही मधुमेह पर नियंत्रण की सबसे बड़ी दवा है।
- डॉ धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल
स्क्रीन टाइम सीमित करें, पर्याप्त नींद जरूरी
हर व्यक्ति को 6 से 7 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। सोने-जागने का समय नियमित रखें और योग, ध्यान, संगीत, और परिवार के साथ समय बिताना तनाव कम करने के प्राकृतिक उपाय हैं। सकारात्मक सोच और नियमित दिनचर्या डायबिटीज नियंत्रण में मानसिक रूप से भी सहायक होती है। बच्चों में डायबिटीज से बचाव के लिए स्क्रीन टाइम सीमित करें, उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें और पौष्टिक भोजन दें। सोते समय भगवान का स्मरण जरूर करें। वहीं खाना दिन में चार बार खाएं या उसकी मात्रा कम रखें। ये आदतें न सिर्फ ब्लड शुगर को नियंत्रित रखेंगी बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाएंगी।
- डॉ. सुधीर उपाध्याय, वरिष्ठ फिजिशियन

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