जेड श्रेणी की सुरक्षा से बची सब्जियों की जान, बारिश से खेतों में मौजूद सब्जियों को नहीं हुआ नुकसान

अब जिले में सुरक्षित तरीके से हो रही सब्जियों की खेती

जेड श्रेणी की सुरक्षा से बची सब्जियों की जान, बारिश से खेतों में मौजूद सब्जियों को नहीं हुआ नुकसान

तेज बरसात में कारगर साबित हुई प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक ।

कोटा। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण कोटा जिले में बुधवार रात को तेज बरसात खेतों में मौजूद सब्जियों की फसल के लिए आफत बन सकती थी, लेकिन प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक सब्जियों के लिए जेड श्रेणी की सुरक्षा साबित हुई और कोई नुकसान नहीं हो पाया। इस तेज सर्दी के मौसम में बरसात से सब्जियों का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना बन गई थी। किसानों द्वारा उद्यान विभाग की मल्चिंग तकनीक से पौधों को सफेद प्लास्टिक से कवर करने से उनकी सुरक्षा हो गई है। अब कोटा जिले में मौसम की मार से परेशान किसान मल्चिंग खेती की ओर कदम बढ़ा रहे है। इससे न केवल उनकी फसल का उत्पादन बढ़ रहा है वहीं उनके खेती के खर्चे में भी कमी आने लगी है। 

उत्पादन और आमदनी में हो रहा इजाफा
जिले में सैकड़ों बीघा भूमि के खेतों में किसान अब इसी तर्ज पर मिर्च, करेला, आलू व टमाटर की खेती कर रहे हैं। कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि इस तकनीक से किसान के खेत में खरपतवार भी नहीं होती है जिससे उसे खरपतवार हटाने के लिए खुदाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है। अब सैकड़ों किसान इस तकनीक से फसल उत्पादन कर रहे है। मल्चिंग तकनीक का अर्थ अपनी फसल को पूरी तरह से सफेद प्लास्टिक के कवर करके उसकी सुरक्षा करना है। इससे पौधों की ग्रोथ में बढ़ोतरी हो रही है और ग्रोथ अच्छी होने से फसल का उत्पादन भी बढ़ने लगा है। इससे किसानों की आमदनी भी अन्य तरकीब से होने वाली आमदनी के बजाय दोगुनी होने लगी है।

पाले से सुरक्षा, शीतलहर का झंझट समाप्त
प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक से फसल की पौध को ऊपर की ओर प्लास्टिक से ढंकने के कारण सर्दी के मौसम में पाला पड़ने से सुरक्षा मिल रही है। वहीं शीत लहर से भी फसल को बचाया जा रहा है। उक्त प्लास्टिक सफेद व पारदर्शी होने से सूरज की किरणें भी पर्याप्त मात्रा में पौधों तक पहुंचने के कारण पौधे की बढ़ोतरी में कोई नुकसान नहीं हो रहा है। इस तरकीब को अपनाने से फसल के पौधे के चारों तरफ उगने वाले खरपतवार नहीं होने से खरपतवार हटाने के लिए लगने वाले मजदूर की आवश्यकता नहीं पड़ती है। साथ ही खरपतवार हटाने के लिए रासायनिक दवा की आवश्यकता भी नहीं होती है। इसी प्रकार फसल में किसानों की ओर से दिया जाने वाला रासायनिक खाद व गोबर की खाद भी बूंद- बूंद सिंचाई के साथ देने से खर्च में कमी आती है। 

शीत ऋतु में नुकसान का खतरा अधिक
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार जब शीतऋतु में तापमान काफी नीचे गिर जाए और दोपहर बाद अचानक हवा का बहाव बन्द हो जाए व आसमान साफ रहे तो उस रात तेज सर्दी पड़ने के संकेत है। तेज सर्दी के कारण फसलों, फलवृक्षों, सब्जियों के तनों, पत्तियों, फूलों तथा फलों में उपस्थित द्रव बर्फ के रूप में जम जाता है, जो सूर्य की रोशनी से पिघलना शुरू होती है। इससे पौधों के इन भागों की कोशिकाएं फट कर नष्ट हो जाती है। जिससे पौधों की पत्तियां झुलसी हुई नजर आती है और फल व फूल झड़ जाते हैं। इससे सब्जी फसलों का उत्पादन प्रभावित हो जाता है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

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हर बार सर्दी में बरसात के कारण सब्जियों की फसल को काफी नुकसान पहुंंचता था। इस साल प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक से पौधों को सुरक्षा प्रदान की गई थी। इस कारण तेज बरसात में भी सब्जियों की पौध को कोई नुकसान नहीं हो पाया।
- शिवरतन मीणा, किसान

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अब कोटा जिले में मौसम की मार से परेशान किसान मल्चिंग खेती की ओर कदम बढ़ा रहे है। इससे न केवल उनकी फसल का उत्पादन बढ़ रहा है वहीं उनके खेती के खर्चे में भी कमी आने लगी है। तेज बरसात, पाला और शीतलहर से पौधों को सुरक्षा मिलती है। 
- एन.बी. मालव, उपनिदेशक, उद्यान विभाग कोटा

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