भारत पर मनमानी करने के लिए अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है अमेरिका : ईरान
अमेरिका के खिलाफ भारत का साथ देने खुलकर सामने आया ईरान
भारतीय कंपनियों पर अमेरिका के प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान खुलकर भारत के साथ आया है
तेहरान। भारतीय कंपनियों पर अमेरिका के प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान खुलकर भारत के साथ आया है। ईरान ने अमेरिका को करारा जवाब देते हुए वॉशिंगटन की भेदभावपूर्ण कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया। नई दिल्ली स्थित में ईरानी दूतावास ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह भारत पर अपनी मनमानी करने के लिए अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है। साथ ही कहा कि वह प्रतिबंधों का इस्तेमाल भारत जैसे देशों के विकास में बाधा डालने के लिए कर रहा है।
भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध
अमेरिका ने बुधवार को भारत की छह कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इन कंपनियों पर ईरान से पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने ईरान पर परमाणु कार्यक्रम जारी रखने का आरोप लगाते हुए तेहरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में जो भी कंपनियां ईरान के साथ व्यापार करती हैं, उन्हें भी प्रतिबंधों की मार झेलनी पड़ती है। अमेरिकी विदेश विभाग ने 20 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है, जिसमें 6 भारतीय हैं।
गैर-पश्चिमी नेतृत्व वाली व्यवस्था का आह्वान
ईरानी दूतावास ने एक्स पर लिखा कि संयुक्त राज्य अमेरिका अर्थव्यवस्था को हथियार बनाना जारी रखे हुए है और ईरान व भारत जैसे स्वतंत्र देशों पर अपनी इच्छा थोपने और उनके विकास में बाधा डालने के लिए प्रतिबंधों का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में कर रहा है। इसमें आगे कहा गया कि ये बलपूर्वक भेदभावपूर्ण कार्रवाईयां अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं और आर्थिक साम्राज्यवाद के एक आधुनिक रूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसी नीतियों का विरोध करना एक अधिक शक्तिशाली, उभरती हुई गैर-पश्चिमी नेतृत्व वाली बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण के लिए एक कदम है। इसके साथ ही ईरानी विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है, जिसमें ईरान के तेल एवं ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े ईरानी व्यक्तियों, संस्थाओं और जहाजों के एक समूह पर अमेरिका के नए प्रतिबंध लगाए जाने की निंदा की है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकेई ने इन प्रतिबंधों को गैरकानूनी और दमनकारी बताते हुए इसे ईरानी जनता के प्रति अमेरिकी नीति-निमार्ताओं की दुश्मनी का प्रमाण बताया।

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